उत्तराखंड

कोरोना ड्यूटी में लगे कर्मचारियों को गाय-भैंस चराने की सलाह..

दो साल तक कोरोना ड्यूटी में लगे कर्मचारियों को सरकार ने दिखाया बाहर का रास्ता..

वर्ष 2020 में कोरोना महामारी के समय पैरा मेडिकल स्टाफ की हुई थी भर्ती..

42 स्वास्थ्य कर्मचारियों को स्वास्थ्य विभाग ने किया था तैनात..

तीन दिनों से माधवाश्रम अस्पताल में धरना देकर कर्मचारी कर रहे पुनः बहाली की मांग..

एक अधिकारी ने कर्मचारियों को दी गाय-भैंस पालने की सलाह, स्वास्थ्य कर्मचारियों में आक्रोश..

 

 

 

 

रुद्रप्रयाग। कोरोना महामारी में दो साल तक ड्यूटी देने वाले पैरा मेडिकल स्टॉफ को सरकार ने बाहर का रास्ता दिखा दिया है। ऐसे में कर्मचारियों में आक्रोश फैल गया है। उन्होंने सरकार से पुनः नौकरी पर बहाल करने की मांग की है। साथ ही जल्द से जल्द कोई ठोस कदम नहीं उठाये जाने पर उग्र आंदोलन की चेतावनी दी है।
बता दें कि स्वास्थ्य विभाग की ओर से मई 2020 में कोरोना लहर को देखते हुए पैरा मेडिकल स्टॉफ की भर्ती की गई, जिसमें जिले के 42 बेरोजगारों को संविदा के तौर पर रोजगार दिया गया। इन स्वास्थ्य कर्मियों से रात-दिन काम करवाया गया। यहां तक कि जब हर व्यक्ति को घर से बाहर नहीं निकलने की सलाह दी गई, वहीं इन स्वास्थ्य कर्मचारियों को मरीजों की सेवा करवाई गई। अपनी जान की परवाह किये बगैर कर्मचारियों ने पूरी तन्मयता के साथ कार्य किया। यहां तक कि सरकार के कदम से कदम मिलाकर चलकर इन्होंने अपनी ड्यूटी का निर्वहन किया, लेकिन आज इन्हें बाहर का रास्ता दिखा दिया है। ऐसे में स्वास्थ्य कर्मचारियों में आक्रोश बना हुआ है। कोरोना ड्यूटी में तैनात कर्मचारी कोटेश्वर स्थित माधवाश्रम अस्पताल में धरने पर बैठे हुए हैं और सरकार से पुनः बहाली की मांग कर रहे हैं। स्टाफ नर्स अंजली, अनुभी, स्वाती, रूचिता ने कहा कि कोरोना महामारी के दो सालों तक उन्होंने मरीजों की रात-दिन सेवा की।

 

अपनी जान की परवाह किये बगैर मरीजों की सेवा में लगे रहे। जब सब लोग घर में थे, तब उन्होंने घर से बाहर निकलकर सरकार का साथ देते हुए काम किया। उन्होंने कहा कि घर में उन्हें अलग कमरे में रखा गया। यहां तक फैमली के हर सदस्य से वे दूर रहे। वेतन भी समय पर नहीं दिया गया। समय पर मरीजों का इलाज किया और आज जब सरकार का मतलब निकल गया तो उन्हें नौकरी से निकाल दिया गया है। उन्होंने कहा कि वे कोर्स करके आये हैं और जिस कोर्स को उन्होंने किया है, उसी के अनुसार ही रोजगार करना चाहते हैं, मगर कुछ अधिकारी उनसे कह रहे हैं कि वे इतने कम मेहनताना में कैसे काम कर पायेंगे। उन्हें गाय-भैंस चराने की सलाह दी जा रही है। स्वास्थ्य कर्मियों ने कहा कि अधिकारियों के इस रवैये से मन में काफी निराशा है। कोरोना के समय उन्होंने भूखे और प्यासे रहते हुए कार्य किया। यहां तक कि टिन शेड में रहकर रात काटी और अब उन्हें बाहर का रास्ता दिखाकर गाय-भैंस पालने की बात कही जा रही है।

 

इससे कर्मचारियों में आक्रोश पनप गया है। उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी में अच्छा कार्य करने पर कोरोना वारियर्स कहकर सम्मान किया गया। साथ ही फूल-मालाओं से स्वागत किया गया और अब काम निकलने के बाद बाहर का रास्ता दिखाया जाना, उचित नहीं है। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य विभाग में कर्मचारियों की काफी कमी बनी है। वे कम मेहनताना में भी कार्य करने के लिए तैयार है। ऐसे में सरकार को उनकी समस्या को समझते हुए पुनः पैरा मेडिकल स्टॉफ को नियुक्ति दे देनी चाहिए, अन्यथा कर्मियों को आंदोलन के लिए मजबूर होना पड़ेगा। इस मौके पर अंजली, अनुभी, स्वाती, रूचिता, नवीन, प्रियंका, निधि, पंकज, दीपक, बबीता, सरिता, कुलदीप, गौरव, राजेन्द्र सिंह, अखिलेश, आशीष सिंह, अनामिका, नीलम, अनूप सिंह सहित अन्य मौजूद थे।

 

 

 

 

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