तैरना नहीं जानती थी, पर मां को डूबता देख उफनाती गंगा में कूदी बहादुर बेटी, सुरक्षित ले आई किनारे
महिला पैर फिसलने से धौली गंगा नदी के उफान में बह गई। बेटी ने जब यह देखा तो बिना वक्त गंवाए नदी में कूद पड़ी और लहरों से संघर्ष करते हुए मां को सुरक्षित किनारे ले आई।
उत्तराखंड : चमोली के जोशीमठ में चारा-पत्ती लाने बेटी के साथ जंगल में गई महिला पैर फिसलने से धौली गंगा नदी के उफान में बह गई। बेटी ने जब यह देखा तो बिना वक्त गंवाए नदी में कूद पड़ी और लहरों से संघर्ष करते हुए मां को सुरक्षित किनारे ले आई। पास ही काम कर रहे नेशनल थर्मल पावर कॉरपोरेशन (एनटीपीसी) की तपोवन विष्णुगाड जल-विद्युत परियोजना के पर्यावरण मित्रों की सहायता से स्थानीय लोगों ने मां-बेटी को बेहोशी की स्थिति में 108 सेवा के जरिये जोशीमठ अस्पताल पहुंचाया। जांबाज बेटी की इस बहादुरी पर स्थानीय लोगों ने उसे पुरस्कृत करने की मांग की है।
दरअसल, तपोवन(जोशीमठ) निवासी रामकली देवी शनिवार शाम अपनी बेटी किरन के साथ धौली गंगा नदी के किनारे जंगल में चारा-पत्ती और सूखी लकड़ियां एकत्रित कर रही थी। इसी दौरान असावधानीवश रामकली देवी का पैर फिसल गया और वह धौली गंगा के तेज बहाव में बहने लगी। मां को बहता देख किरन ने भी आव देखा न ताव और बिना वक्त गंवाए उफनती नदी में कूद गई, जबकि उसे तैरना भी नहीं आता।
तकरीबन सौ मीटर दूर तक लहरों से जूझते हुए आखिरकार वह रामकली को सुरक्षित किनारे लाने में कामयाब रही। हालांकि, किनारे आते ही दोनों बेहोश हो गई। वह तो संयोग से वहां पास ही एनटीपीसी की जल-विद्युत परियोजना के पर्यावरण मित्र काम कर रहे थे। उन्होंने ही घटना की सूचना तपोवन चौकी के प्रभारी सुनील भारती को दी।
इसके बाद पर्यावरण मित्र और स्थानीय लोगों की मदद से मां-बेटी को सड़क तक लाकर 108 सेवा के जरिये सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र जोशीमठ पहुंचाया गया। तपोवन के ग्राम प्रधान किशोर कन्याल ने बताया कि नेपाली मूल की रामकली देवी का परिवार बीते 20 वर्षो से तपोवन में रह रहा है। रामकली की 17-वर्षीय बेटी किरन ने इस साल राजकीय इंटर कॉलेज तपोवन से दसवीं की परीक्षा दी है।