उत्तराखंड

बद्री-केदार मंदिर समिति अध्यक्ष अजेंद्र अजय अपने गिरेबान में झांके..

बद्री-केदार मंदिर समिति अध्यक्ष अजेंद्र अजय अपने गिरेबान में झांके..

बद्रीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति के पूर्व अध्यक्ष ने अजेंद्र अजय के बयान को बताया गलत..

तिवारी मामले में मंदिर समिति जांच रिपोर्ट सार्वजनिक करे..

 

 

 

 

 

 

देहरादून। बद्रीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति में महाभारत चल रहा है। दिन प्रति दिन नये खुलासे उजागर हो रहे हैं। एक दूसरे की टांग खींचने का दौर भी जारी है। अब मंदिर समिति अध्यक्ष अजेंद्र अजय ने कांग्रेस प्रवक्ता सुजाता पाल के बयान को आधार बनाकर पूर्व कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष तथा कांग्रेस के समय बद्रीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति के पूर्व अध्यक्ष गणेश गोदियाल को मंदिर समिति के उप मुख्य कार्याधिकारी सुनील तिवारी की पदोन्नति विवाद में दोषी ठहरा दिया है।

इस बाबत मंदिर समिति पूर्व अध्यक्ष गणेश गोदियाल ने कहा कि मंदिर समिति का अध्यक्ष रहते हुए तत्कालीन समिति ने 2018 में सर्वसम्मति से लेखाधिकारी सुनील तिवारी को कार्य प्रभार देने का प्रस्ताव किया। उनकी समिति ने पद पर स्थायी नियुक्ति नहीं की थी, वह केवल कामचलाऊ व्यवस्था थी। प्रस्ताव में यह कहीं नहीं था कि सुनील तिवारी को उप मुख्य कार्याधिकारी बना दिया जाए। उनके द्वारा अपने हस्ताक्षर से किसी कार्मिक की नियुक्ति तथा पदोन्नति नहीं दी गई, बल्कि शासन से नियुक्त मुख्य कार्याधिकारी को आदेश के लिए अधिकृत किया। यह अब मुख्य कार्याधिकारी का विवेक है कि वह आदेश जारी करें या आवश्यक होने पर शासन से भी राय लें।

उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में मंदिर समिति अध्यक्ष अजेंद्र अजय आरोपों से स्वयं घिर रहे हैं और कांग्रेस को दोषी बता रहे हैं। उन्होंने कहा कि सरकार को पूर्व और वर्तमान व्यवस्था की जांच करानी चाहिए, जिससे सच्चाई सामने आ सके। दूसरी ओर कांग्रेस प्रदेश प्रवक्ता सूरज नेगी ने कहा कि कुछ दिन पहले मंदिर समिति अध्यक्ष अजेंद्र अजय को दूध का धुला साबित करने के लिए मंदिर समिति मीडिया प्रभारी ने हास्यास्पद खंडन जारी किया। बयान में बताया गया है कि शासन ने मंदिर समिति के कागजों के आधार पर क्लीन चिट दे दी। इसमें सच्चाई नहीं है।

क्योंकि यदि जांच में सब सही था तो जांच रिपोर्ट कहां है। जांच रिपोर्ट को सार्वजनिक क्यों नहीं किया जा रहा है। कांग्रेस प्रदेश प्रवक्ता ने कहा कि वास्तविकता यह है कि मंदिर समिति के पास सुनील तिवारी की जांच रिपोर्ट है ही नहीं। बयान से साफ जाहिर हो रहा है कि मंदिर समिति के अध्यक्ष अजेंद्र अजय अपने साथ ही उप मुख्य कार्याधिकारी सुनील तिवारी को किसी तरह बचाने की कोशिश में जुटे हैं, ताकि कहीं एसआईटी या सीबीआई जांच की आंच न पड़े।

कांग्रेस प्रदेश प्रवक्ता सूरज नेगी ने मंदिर समिति के बयान को थोथा चना करार दिया है। कहा कि मंदिर समिति अध्यक्ष स्वीकार कर चुके हैं कि उन्होंने जिस लेखाधिकारी की जांच के लिए शासन को पत्र लिखा। अब उसी लेखाधिकारी को अपने हस्ताक्षर से उप मुख्य कार्याधिकारी (डिप्टी सीईओ) बना दिया। डिप्टी सीईओ ने बिना शासन की स्वीकृति के सीईओ बनकर अवैध पदोन्नतियां, मृतक आश्रितों को नियुक्तियां, मंदिर समिति में पांच साल की स्थायी सेवा के बाद जोड़-तोड़ के बल पर पेंशन पा चुके रिटायर विधि अधिकारी को सेवा विस्तार दे दिया।

अब मंदिर समिति की ओर से बचकाने बयान आ रहे हैं कि मंदिर समिति के अध्यक्ष के जांच पत्र पर अनियमितता नहीं पायी गयी। अगर अनियमितता नहीं थी तो जांच रिपोर्ट को सार्वजनिक क्यों नहीं किया जा रहा है। प्रदेश प्रवक्ता ने यह भी कहा कि अगर माना कि सब दूध के धुले हैं तो अजेंद्र अजय ने बेचारे लेखाधिकारी की झूठी शिकायत शासन से क्यों की।

मंदिर समिति मीडिया प्रभारी के बयान जिसमें कहा गया है कि कर्मचारी विभागीय स्तर पर अपना पक्ष रखंे। इस पर प्रभावित मंदिर समिति कर्मचारियों का आरोप है कि मंदिर समिति अध्यक्ष किसी की नहीं सुन रहे हैं। उनके द्वारा विभाग के प्रोन्नति सहित अनियमितताओं के बाबत लिखित रूप से लिखकर दिया है, लेकिन नकारखाने में तूती की आवाज साबित हो रही है। कांग्रेस प्रदेश प्रवक्ता ने कहा कि आज सभी जान गये हैं कि मंदिर समिति की 17 प्रोन्नतियों में धांधली हुई हैं। मंदिर समिति की नियुक्ति एवं प्रोन्नति उप समिति नियम विरुद्ध फैसले लेती जा रही है।

कहा कि उप मुख्य कार्याधिकारी प्रोन्नति, नियुक्ति, पांच वर्ष की स्थायी सेवा के बाद मंदिर समिति से अनाधिकृत रूप से पेंशन का खैराती लाभ ले रहे विधि अधिकारी को सेवा विस्तार देने के लिए अधिकृत नहीं हो सकता, लेकिन मंदिर समिति में अराजकता के चलते ”सब चलता है“ का परम वाक्य सही साबित हो रहा है। बयान में उप मुख्य कार्याधिकारी का कहना है कि मुख्य कार्याधिकारी छुट्टी पर थे तो मंदिर समिति ने उन्हें मुख्य कार्याधिकारी (सीईओ) बना दिया।

यह कैसे संभव है बिना शासन की स्वीकृति के सीईओ किसी को भी बना दिया जाए। कर्मचारियों की पदोन्नति, मृतक आश्रितों की नियुक्ति पांच वर्ष की स्थायी सेवा के बाद अवैध रूप से दान के पैंसों से पेंशन की खैरात पा रहे रिटायर विधि अधिकारी को सेवा विस्तार देने के लिए डिप्टी सीईओ कैसे अधिकृत हो गया, यह यक्ष प्रश्न लगातार मंदिर समिति का पीछा कर रहे हैं।

 

 

 

 

 

 

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