उत्तराखंड

ओंकारेश्वर मंदिर में विराजमान हुये बाबा केदारनाथ..

ओंकारेश्वर मंदिर में विराजमान हुये बाबा केदारनाथ..

शीतकाल के छह माह यहीं होगी बाबा केदार की पूजा-अर्चना..

 

 

 

रुद्रप्रयाग। छह माह शीतकाल की पूजा-अर्चना के लिए बाबा केदार अपने शीतकालीन गददीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर में विराजमान हो गये हैं। बाबा केदार की भोग मूर्ति के शीतकालीन गददीस्थल में विराजमान होते ही हिमालय में स्थित केदारधाम में होनी वाली पूजाएं अब शीतकालीन गददीस्थल में संपंन होंगी।

सोमवार प्रात: विश्वनाथ मंदिर गुप्तकाशी में भगवान केदार की पूजा-अर्चना के बाद बाबा केदार की पंच मुखी चल विग्रह उत्सव डोली आर्मी बैंड और स्थानीय वाद्य यंत्रों की धुनों पर शीतकालीन गददीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर पहुंची। जहां पहले से मौजूद हजारों भक्तों ने बाबा केदार की डोली का फूल-मालाओं से भव्य स्वागत किया। डोली ने ओंकारेश्वर मंदिर की परिक्रम की। जिसके बाद भोग मूर्ति को मंदिर के गर्भ गृह में स्थापित किया गया। बाबा केदार की डोली आगमन को लेकर सम्पूर्ण ऊखीमठ का वातावरण भक्तिमय बना रहा और गुप्तकाशी से ऊखीमठ का क्षेत्र जय बाबा केदार के उदघोषों से गुंजता रहा।

 

इस दौरान केदारनाथ के मुख्य पुजारी बागेश लिंग को छह माह तक केदारनाथ में रहने और केदारनाथ की पूजा-अर्चना करने का जो संकल्प रावल की ओर से दिया गया था, उसे भी तोड़ा गया। केदारनाथ के पुजारी शिव शंकर लिंग ने बताया कि कपाट बंद होने के बाद हिमालय में भगवान केदार की पूजा देवता करते हैं। जबकि भगवान की जो पूजाएं हिमालय में संपंन होती हैं, वह विधि-विधान से शीतकाल में शीतकालीन गददीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर में संपंन होती हैं।

 

उन्होंने कहा कि डोली के शीतकालीन गददीस्थल में पहुंचने पर बाबा केदार की पूजा-अर्चना भी शुरू हो गई है। अब भक्त ओंकारेश्वर मंदिर आकर बाबा केदार के दर्शन एवं पूजा-अर्चना कर सकते हैं। इस मौके पर केदारनाथ रावल भीमा शंकर लिंग के प्रतिनिधि केदार लिंग, गंगाधर लिंग, डोली प्रभारी अरविंद शुक्ला, गिरिश देवली, आरसी तिवारी, राजकुमार नौटियाल, युद्धवीर पुष्पवाण, पूनम राणा, पुष्कर सिंह, प्रेम सिंह रावत, देवी प्रसाद तिवारी, विजयलक्ष्मी पुष्पवाण सहित अन्य मौजूद थे।

 

 

 

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