उत्तराखंड

सरकार की बेरूखी से परेशान किसान ने मांगी पेड़ों को काटने की अनुमति

सरकार की बेरूखी से परेशान किसान ने मांगी पेड़ों को काटने की अनुमति..

औरिंग गांव निवासी पूर्व सैनिक ने माल्टे का सही दाम नहीं मिलने पर जताया दुख..

ए तथा बी ग्रेड का माल्टा उपलब्ध होने के बाद भी सी ग्रेड में बेचना पड़ रहा..

 

 

 

 

 

 

 

रुद्रप्रयाग। रुद्रप्रयाग जनपद में सबसे अधिक माल्टा उत्पादन करने वाले औरिंग गांव निवासी 90 वर्षीय बुजुर्ग पूर्व सैनिक अजीत सिंह कंडारी ने सरकार द्वारा माल्टा उत्पादकों की अनदेखी से नाराज होकर मुख्यमंत्री से उनके उत्पादित माल्टे को उचित मूल्य पर उठाने की मांग की है। अन्यथा उन्हें उनके माल्टे के पेड़ों को काटने की अनुमति प्रदान की जाए।

बता दें कि अजीत सिंह कंडारी ने उद्यान विभाग की योजना से कुछ वर्ष पूर्व 200 पेड़ माल्टा अपनी नाप भूमि में लगाये थे। जो अब बराबर फल देने लगे हैं। वर्तमान में उनके पास 40 से 50 कुंतल तक अच्छी गुणवत्ता का माल्टा तैयार है, मगर सही ढंग से मूल्य नहीं मिलने से यह पेड़ों पर ही खड़ा है। पिछले वर्ष भी उनका माल्टा बिना बिके ही रह गया था और उन्होंने सरकार से पेड़ काटने की अनुमति मांगी थी, मगर तत्कालीन केदारनाथ विधायक मनोज रावत के आश्वासन के बाद उन्होंने अपनी मांग वापस ली थी।

विधायक मनोज रावत के प्रयासों के बाद उनके माल्टे का कुछ हिस्सा अच्छी कीमत पर निकल गया था। इस बार फिर से उनका माल्टा पेड़ पर ही रह गया है। इस बार भी सरकार द्वारा केवल सी ग्रेड के माल्टा का ही समर्थन मूल्य घोषित किया गया है। वह भी मात्र 8 रूपए प्रति किग्रा। कण्डारी ने बताया कि उनके पास ए तथा बी ग्रेड का माल्टा उपलब्ध है। ऐसे ही कई कास्तकार और होंगे, जिनके पास ए तथा बी ग्रेड का माल्टा होगा।

लेकिन वह भी सी ग्रेड के ही भाव बिक रहा है। ऐसे में कास्तकार को उसकी लागत भी नहीं मिल पा रही है। इससे बेहतर है कि वह अपने माल्टे को खेत में ही सड़ने दें और माल्टे के सभी पेड़ों को काटकर कुछ नया करें। अन्यथा चाय की दुकान खोले, जो कम से कम 10 रूपए प्रति कप बिक रहा है। अजीत सिंह कंडारी का कहना है कि पहाड़ में एक माल्टा ही ऐसा फल है, जिसका न केवल फल बल्कि बीज एवं छिलका भी काम आता है।

जो कास्तकार की आर्थिकी में मददगार साबित हो सकता है, मगर सरकार की अनदेखी से कास्तकारों का माल्टा बर्बाद हो रहा है और पूरा बाजार बाहर से आने वाले किन्नू से भरा पड़ा है। इसके बावजूद सरकार मौन बैठी है। कंडारी ने मुख्यमंत्री को ज्ञापन भेजकर मांग की कि या तो सरकार उनके माल्टे को उचित मूल्य पर उठवा दे या उन्हें उनके माल्टे के पेड़ों को काटने की अनुमति प्रदान करे।

क्योंकि उनके पास ए व बी ग्रेड का माल्टा उपलब्ध है और वे अपनी फसल का अवमूल्यन नहीं कर सकते हैं। वे सरकार की अनदेखी से व्यथित हैं तथा उस दिन को कोस रहे हैं, जिस दिन उन्होंने अपने खेतों में माल्टे के पेड़ लगाये थे।

 

 

 

 

 

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