उत्तराखंड के छात्र-छात्रों ने बनाये बिना आवाज किये हवा पानी में जासूसी करने वाले ड्रोन…
ड्रोन ऐसे की कोई बिना आवाज तो कोई पानी के अंदर कर सकता है जासूसी…
देहरादून : देहरादून में आयोजित ड्रोन फेस्टिवल में ज्यादातर सामान्य ड्रोन ही पहुंचे। लेकिन कुछ ड्रोन अपनी विशेषताओं के चलते दर्शकों को पसंद आए। तीन लाख रुपये की लागत का ग्लेडियस अंडर वाटर ड्रोन पानी के अंदर सौ मीटर गहराई तक जाकर फोटो और वीडियो ले सकता है।
इससे पानी के अंदर चीजें ढूंढने में आसानी होगी। करीब 40 ग्राम वजन का नैनो ड्रोन भी दर्शकों को आकर्षित करने में कामयाब रहा। करीब 10 हजार रुपये कीमत का यह ड्रोन बिना आवाज किए जासूसी या अन्य कार्यों में इस्तेमाल किया जा सकता है।
उत्तराखंड जैसे विषम भौगोलिक परिस्थितियों वाले राज्य में ड्रोन तकनीक फायदेमंद साबित हो सकती है। प्राकृतिक आपदा की स्थिति में इसका लाभ उठाया जा सकता है। यह बात मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने मंगलवार को आईटी पार्क में आयोजित पहले इंडिया ड्रोन फेस्टिवल का शुभारंभ अवसर पर कही।
मुख्यमंत्री ने कहा कि सुरक्षा, सर्वे, आपदा राहत व बचाव, स्वास्थ्य सेवा, भीड नियंत्रण, रेलवे लाइनों, नदियों व वनों की देखरेख जैसे कार्यों में ड्रोन का इस्तेमाल किया जा सकता है। दून में देश के पहले ड्रोन एप्लीकेशन प्रशिक्षण केंद्र व अनुसंधान प्रयोगशाला की स्थापना की गई है। साथ ही डिफेंस मैन्यूफैक्चरिंग एवं आपूर्ति संघ का भी गठन किया गया है। सीएम ने कहा कि युवा तकनीक के जल्दी अभ्यस्त हो जाते हैं। राज्य सरकार भी बेहतर कार्य करने वाले युवाओं को पूरा प्रोत्साहन दे रही है ताकि वे विकास में साथ मिलकर काम कर सकें।
इस अवसर पर विधायक गणेश जोशी ने कहा कि जिस तरह ड्रोन का विकास हो रहा है अगले कुछ वर्षों में यह कई तरह की सेवाओं में इस्तेमाल किए जा सकेंगे। इस मौके पर सचिव आईटी आरके सुधांशु, सचिव वित्त अमित नेगी, पुलिस महानिदेशक (कानून व्यवस्था) अशोक कुमार, आईटीडीए निदेशक अमित सिन्हा, सर्वेयर जनरल ऑफ इंडिया ले.ज. गिरीश कुमार, हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड के निदेशक डीएस चमोला, मनीष उप्रेती, नलिन थपलियाल आदि मौजूद रहे।
फेस्टिवल के पहले दिन दो प्रतियोगिताओं का आयोजन किया गया। इसके तहत ड्रोन हर्डल रेसिंग और मैक्स वेट चैलेंज प्रतियोगिताएं हुईं। हर्डल रेसिंग में ड्रोन को विभिन्न बाधाओं को पार करते हुए आगे बढ़ना था। वहीं, मैक्स वेट चैलेंज में ड्रोन को वजन लेकर एक निश्चित ट्रैक पर जाना था।