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मकर सक्रांति पर क्यों उड़ाते है पतंग, जानिए क्या है इसका कनेक्शन…

मकर सक्रांति

मकर सक्रांति पर क्यों उड़ाते है पतंग, जानिए क्या है इसका कनेक्शन…

देश-विदेश :  मकर संक्राति की धूम देशभर है, आज सुबह से ही लोग गंगा घाटों पर पुण्य की डुबकी लगा रहे हैं। इलाहाबाद हो या काशीपुर, हर जगह के गंगा घाटों पर लाखों लोगों की भीड़ दिखाई पड़ रही है। घने कोहरे और हाड़ कंपा देने वाली सर्दी के बावजूद भक्तों ने सूरज की पहली किरण से साथ ही गंगा में स्नान किया है। बाजारों में तिल-गुड़, चूड़े, गजक-मूंगफली की भरमार है तो वहीं दूसरी ओर गुड्डी यानी पतंगों की दुकानें भी सजी हुई हैं। लाल-पीली, हरी-गुलाबी पतंगों से सजी दुकानें इस वक्त हर किसी का मन मोह रही है लेकिन क्या कभी आपने सोचा है कि मकर संक्रांति पर पतंग क्यों उड़ाते हैं और इसका इस त्योहार से क्या संबंध है.

 

दरअसल ऐसा माना जाता है कि पतंग उमंग, खुशी, उल्लास, आजादी, मस्ती और शुभ संदेश की वाहक है, संक्रांति के दिन से घर में सारे शुभ काम शुरू हो जाते हैं और वो शुभ काम पतंग की तरह ही सुंदर, निर्मल और उच्च कोटि के काम होते है इसलिए पतंग उड़ाई जाती है। इंसान पंतग की तरह ऊंचाई पाए, इसलिए संक्रान्ति के दिन पतंग उड़ाने की परंपरा चलती है। आपको बता दें कि यूपी-बिहार के जिलो में पतंग को ‘गुड्डी’ कहते हैं।

पतंग उड़ाने से दिल खुश और दिमाग संतुलित हो जाता है, उसे ऊंचाई तक उड़ाना और कटने से बचाने के लिए हर पल सोचना इंसान को नयी सोच और शक्ति देता है इस कारण पुराने जमाने से लोग पतंग उड़ा रहे हैं, दूसरे शब्दों में अगर कहा जाए तो पतंग विचारों , संयम और सोच का घोतक है इसलिए पंतग उड़ाई जाती है, जिसनें एक परंपरा का रूप धारण कर लिया।

 

पतंग अकेले उड़ाई नहीं जा सकती है, एक इंसान माझा पकड़ता है तो डोर किसी और के हाथ में होती है, एक छोटी सी पतंग लोगों को प्रेम और एकता का पाठ पढ़ाती है, यही नहीं पतंग के जरिए लोग हार-जीत का अंतर भी समझते हैं और एक-दूसरे के करीब आते हैं, लोगों के अंदर शेयरिंग और सामजस्य की भावना का विकास होता है, जो शायद और किसी भी खेल में संभव नहीं है।

 

पतंग अकेले उड़ाई नहीं जा सकती है, एक इंसान माझा पकड़ता है तो डोर किसी और के हाथ में होती है, एक छोटी सी पतंग लोगों को प्रेम और एकता का पाठ पढ़ाती है, यही नहीं पतंग के जरिए लोग हार-जीत का अंतर भी समझते हैं और एक-दूसरे के करीब आते हैं, लोगों के अंदर शेयरिंग और सामजस्य की भावना का विकास होता है, जो शायद और किसी भी खेल में संभव नहीं है।

 

दरअसल इसका एक बहुत बड़ा कारण स्वास्थ्य से भी जुड़ा हुआ है। पतंग उड़ाने के लिए इंसान सुबह-सुबह उठता है और सूरज की पहली किरण का आनंद लेता है, इसी बहाने इंसान को विटामिन डी मिलता है, जो कि इंसान की हड्डियों के लिए बहुत ज्यादा जरूरी होता है।

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