निर्मला सीतारमण के पिटारे से उत्तराखंड को कुछ खास मिलने की हैं उम्मीदें..
केंद्र सरकार के आम बजट पर उत्तराखंड की नजर है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण बुधवार को बजट का पिटारा खोलेंगी। उत्तराखंड जैसे हिमालयी राज्यों को उनके पिटारे से क्या मिलेगा, यह तभी पता चलेगा। मौजूदा समय में राज्य सरकार और प्रदेश की जनता को बजट से काफी उम्मीदें हैं।
उत्तराखंड: केंद्र सरकार के आम बजट पर उत्तराखंड की नजर है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण बुधवार को बजट का पिटारा खोलेंगी। उत्तराखंड जैसे हिमालयी राज्यों को उनके पिटारे से क्या मिलेगा, यह तभी पता चलेगा। मौजूदा समय में राज्य सरकार और प्रदेश की जनता को बजट से काफी उम्मीदें हैं।
इस बार प्रदेश के वित्त विभाग के बजट पर पैनी नजर रहेगी। विभागीय अधिकारी आम बजट की उन योजनाओं एवं वित्तीय प्रावधानों का विश्लेषण करेंगे, जो राज्य के हित में होंगे। इससे उन्हें राज्य का बजट तैयार करने में मदद मिलेगी।
1- भूस्खलन के अध्ययन व उपचार को केंद्रीय संस्थान- जोशीमठ की आपदा ने राज्य में ऐसे संस्थान की जरूरत को और बढ़ा दिया है। सरकार इस संस्थान के लिए केंद्र से बजट चाहती है। राज्य के आपदा प्रबंधन विभाग इस संस्थान के लिए प्रयास कर रहा है।
2- टनकपुर से बागेश्वर व डोईवाला से उत्तरकाशी के लिए ट्रेन : टनकपुर से बागेश्वर रेल लाइन का मामला कई दशकों से लंबित है। 154 किमी लंबी इस रेल लाइन का 2021 में सर्वे हो चुका है। इसे राष्ट्रीय प्रोजेक्ट का दर्जा प्राप्त है। डोईवाला से उत्तरकाशी रेल लाइन के सर्वेक्षण की एलाइनमेंट रिपोर्ट तैयार हो चुकी है। इस 102 किमी लंबी परियोजना पर 30 हजार करोड़ खर्च का अनुमान है। इन दोनों प्रोजेक्टों के लिए बजटीय प्रावधान की उम्मीद की जा रही है।
3- हिमालयी राज्यों के लिए : यह भी आस है कि जलवायु परिवर्तन और पर्यावरणीय महत्व को ध्यान में रखते हुए हिमालयी राज्यों के लिए केंद्र सरकार किसी योजना की घोषणा करे। सीमांत इलाकों में वाइब्रेंट विलेज की तरह ही वाइब्रेंट टूरिज्म जैसी योजना का प्रावधान हो।
4- खेती, कृषि, उद्यान और आईटी सेक्टर : उत्तराखंड के लिए इन चार प्रमुख सेक्टर का खास महत्व है। बजट में इन चारों क्षेत्रों के लिए विशेष बजट के प्रावधान की भी उम्मीद की जा रही है।
5- बड़े प्रोजेक्टों के लिए भी वित्तीय राह की उम्मीद : ऐसी उम्मीद की जा रही है कि बजट में केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय के स्तर पर कोई ऐसी योजना शुरू हो, जिसमें जमरानी व सौंग बांध जैसी बड़ी परियोजनाओं की फंडिंग की राह और आसान हो जाए।
ये प्रमुख उम्मीदें भी
1- 15वें वित्त आयोग के तहत मिल रहे अनुदान की राशि साल दर साल कम हो रही है, इसलिए राज्य सरकार की अपेक्षा है कि केंद्र विशेष सहायता योजना में सरकार धनराशि का आवंटन बढ़ाए।
2- जीएसटी की प्रतिपूर्ति बंद होने से राज्य को सालाना पांच हजार करोड़ का नुकसान हो रहा है। इसकी भरपाई के लिए सरकार जीएसटी की तर्ज पर राज्यों से वसूले जाने वाले सेस में राज्य को हिस्सा दे।
3- पर्यावरणीय सेवाएं दे रहे हिमालयी राज्यों को ग्रीन बोनस दिया जाए, ये उम्मीद भी की जा रही है।
4- प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के उन कार्यों के लिए बजटीय प्रावधान हो, जो पूरे नहीं हो पाए हैं।
