उत्तराखंड

अंकिता भंडारी की हत्या और भर्ती घोटालों की सीबीआई जांच की मांग..

अंकिता भंडारी की हत्या और भर्ती घोटालों की सीबीआई जांच की मांग..

ओटोमेटेट फिटनेस सेंटर की अनिवार्यता समाप्त करने की मांग..

यूकेडी जिला संगठन ने भेजा मुख्यमंत्री को ज्ञापन..

 

 

 

 

 

 

 

रुद्रप्रयाग। उत्तराखंड क्रांति दल ने अंकिता हत्याकांड, यूकेएसएसएससी, विधानसभा उत्तराखंड, उत्तराखंड सचिवालय सहित समस्त विभागों में हुई भर्ती घोटालों की जांच सीबीआई से कराये जाने की मांग को लेकर जिलाधिकारी के माध्यम से मुख्यमंत्री को ज्ञापन भेजा।

उत्तराखंड क्रांति दल के जिलाध्यक्ष बुद्धिबल्लभ ममगाई ने कहा कि हमारे राज्य को अस्तित्व में आये 22 वर्ष व्यतीत हो चुके हैं जिसे हमने 22 ही वर्षों तक लगातार संघर्ष एवं 42 से अधिक शहादतें देकर प्राप्त किया है। अपनी मातृशक्ति के अपमान की कसक तो हमारे सीनों में आजीवन रहेगी। परन्तु आज 22 वर्ष बीत जाने के बावजूद भी हमें वह राज्य नहीं मिला जिसके लिए हमने इतनी बड़ी कुर्बानी दी। अब तक की सरकारों ने दिल्ली की केन्द्र सरकार के संरक्षण में बाहरी माफियाओं से मिलकर राज्य के संसाधनों का दोहन किया।

जल जंगल जमीन के अधिकार हमारे पहले ही छीने जा चुके थे बाकी रहे सहे अधिकार भी राज्य बनने के बाद हमसे छीन लिए गए। हमारी परिसंपत्तियां आज भी उत्तर प्रदेश के कब्जे में है। बिना स्थाई राजधानी का यह राज्य स्वतंत्र राज्य होने के बावजूद उत्तरप्रदेश का उपनिवेश बनकर रह गया है। आज हम विगत बीस वर्षों में सरकार द्वारा हर क्षेत्र में उत्तराखंड के जनमानस के हितों के विरुद्ध किए नकारात्मक फैसलों से आहत हैं। भ्रष्टाचार में लिप्त नौकरशाहों ने सरकार के संरक्षण में अलोकतांत्रिक एवं सुनियोजित तरीके से प्रश्नपत्र लीक करवाकर यहां के युवाओं की नौकरियां 20 से 35 लाख रुपए लेकर अपने अपने चहेते अपात्र अभ्यर्थियों को बेच डाली हैं। जिसमें पूर्व मुख्यमंत्रियों, मंत्रियों एवं विधायकों की संलिप्तता की पूरी पूरी संभावना है। यहां तक कि विधानसभा अध्यक्ष जैसे गरिमामय पद पर आसीन माननीयों ने भी विधानसभा में मनमाने तरीके से अपने रिश्तेदारों एवं राज्य के बाहरी व्यक्तियों की नियुक्तियां कर डाली।

सबसे आश्चर्यजनक व निंदनीय घटना जनपद चमोली के हेलंग में हुई जहां पर ग्राम समाज की जमीन पर घास काटने वालीं महिलाओं पर डंपिंग जोन के नाम पर जनता की आंखों में धूल झोंक रहे जलविद्युत परियोजना बना रही कंपनी के मालिकों से हुई मोटी डील के चलते उन महिलाओं को गिरफ्तार कर दिन भर भूखा प्यासा रखा गया और अंत में आपराधिक धाराओं में उनका चालान कर उन्हें छोड़ा गया। इससे भी बड़ी हृदय विधायक घटना विगत 18 सितम्बर 2022 को पौड़ी जनपद के यमकेश्वर ( चीला बैराज) क्षेत्र के वनंतरा रिसॉर्ट में हुई जहां पर डोभ श्रीकोट निवासी एक 19 वर्षीय लड़की अंकिता भंडारी की निर्मम हत्या कर उसकी लाश नहर में डाल दी गई। इस घटना से उत्तराखंड ही नहीं संपूर्ण देश की जनता आहत एवं आक्रोशित है। हालांकि सरकार ने एसआईंटी का गठन किया है परन्तु उनके द्वारा जांच गलत दिशा में की जा रही है।

साक्ष्यों को नजरंदाज कर रही है तथा सरकार एवं पुलिस के संरक्षण में साक्ष्य मिटाये जा रहे है, इसी क्रम में दो बार वनंतरा रिसॉर्ट एवं उसी परिसर से जुड़ी फैक्ट्री में आग लगा कर साक्ष्य मिटाये गये और पुलिस मूकदर्शक बनी रही। यह भी सुनने में आया है कि अंकिता भंडारी के कमरे से उनका सामान व अन्य दस्तावेज गायब किए गए हैं और उनके प्रयोग में लाई गई बेडशीट भी जला दी गई है। जो यह संकेत देता है कि उनके साथ जोर जबरदस्ती की गई जिसके साक्ष्य उस बेडशीट की फोरेंसिक जांच से सामने आ सकते थे। तबसे तमाम सामाजिक संगठन, महिला संगठन व राजनैतिक दल रैलियों, धरनों, ज्ञापनों के माध्यम से मुख्यमंत्री जी से मांग कर रहे हैं कि इस प्रकरण की जांच सीबीआई से कराई जाय। परन्तु सभी का यह आरोप है कि सरकार और सरकार की पुलिस बुल्डोजर चलाकर व आग लगवा कर साक्ष्यों को नजरंदाज कर उन्हें नष्ट करवा रही है। स्थानीय जनता, प्रत्यक्षदर्शियों, पत्रकारों व तथ्यान्वेषी समितियों को जो साक्ष्य मिले हैं पुलिस उन्हें नकार रही है। जिन पत्रकारों ने इस जघन्य अपराध को उजागर किया उनको जान से मारने की धमकियां मिल रही हैं। यहां तक कि अंकिता के माता पिता को धमकियां मिल रही है।

यह बात खुल कर सामने आई है कि रिसॉर्ट संचालक द्वारा किसी वीआइपी को अतिरिक्त सेवा देने के लिए अंकिता पर दबाव डाला जा रहा था। परंतु उसका प्रस्ताव न मानना ही अंकिता की हत्या का कारण बना। लक्ष्मण झूला थाने के पुलिस स्टाफ की भूमिका भी अत्यंत संदेहात्मक है क्योंकि उस क्षेत्र में अन्य भी कुछ घटनाएं होने की जानकारी मिली है जिसमें अग्निवीर परीक्षा में असफल हुए केदारभंडारी का लापता होना भी एक गंभीर प्रश्न है जिसे लक्ष्मण झूला थाने में पुलिस द्वारा जबरन बिठाया जाना भी प्रकाश में आया है। इसमें कोई संदेह नहीं कि उस क्षेत्र में अन्य रिसॉर्ट भी पुलिस व प्रशासन के संरक्षण में चल रहे हैं और उनमें भी संदिग्ध गतिविधियां संचालित हो रही हैं।

उत्तराखंड क्रांति दल एवं हर उत्तराखंड का नागरिक उपरोक्त घटना से आहत हैं तथा सरकार की एसटीएफ वह एसआईंटी की जांच से असंतुष्ट है। हम मांग करते हैं कि अंकिता भंडारी की निर्मम हत्या की जांच सीबीआई से अथवा माननीय उच्च न्यायालय के वर्तमान न्यायाधीश से कराई जाय। उक्त रिसॉर्ट में आने वाले तथाकथित वीआइपी का नाम पता लगाकर उसका नाम सार्वजनिक किया जाय। वनंतरा रिसॉर्ट पर बुलडोजर चलाने का आदेश देने वाले व्यक्ति के विरुद्ध आपराधिक धाराओं में मुकदमा दर्ज किया जाय। इसके लिए विधायक यमकेश्वर, जेसीबी के आपरेटर एवं जेसीबी के मालिक को भी पूछताछ के लिए हिरासत में लिया जाय। यूकेएसएसएससी भर्ती घोटाले एवं विधानसभा में वर्ष 2000 से 2022 तक हुई सभी नियुक्तियों की जांच सीबीआई अथवा उच्च न्यायालय के वर्तमान न्यायाधीश से कराई जाएं।

2000 में पटवारी भर्ती से प्रारंभ हुए और 2022 तक उत्तराखंड सचिवालय सहित राज्य सरकार के सभी विभागों में हुई भर्तियों की जांच सीबीआई से कराई जाय। हेलंग में घसियारियों के साथ बदसलूकी करने वाले अधिकारियों के विरुद्ध कठोर दण्डात्मक कार्यवाही की जाय तथा घसियारियों पर दर्ज मुकदमे वापस लिए जाएं। देश का सीमांत राज्य होने के कारण सामरिक दृष्टि एवं पलायन रोकने के लिए राज्य के मध्य में स्थित गैरसैंण को राज्य की स्थाई राजधानी घोषित किया जाय। वर्ष 1950 से उत्तराखंड राज्य की परिधि के अंदर निवास करने वाले सभी नागरिकों को मूलनिवास प्रमाण पत्र जारी करते हुए स्थाई निवास की व्यवस्था समाप्त की जाय।

समान भौगोलिक, सांस्कृतिक एवं सामाजिक परिवेश वाले हिमाचल प्रदेश की भांति उत्तराखंड में भी सशक्त भू-कानून लागू किया जाए। दिल्ली में उत्तराखंड की बेटी किरन नेगी की बलात्कार के बाद जघन्य हत्या के अपराध में निचली अदालत व उच्च न्यायालय से फांसी की सजा प्राप्त अपराधियों का 9 वर्ष बाद माननीय उच्चतम न्यायालय से बरी हो जाना अपने आप में एक आश्चर्यजनक घटना है जो दिल्ली सरकार की कमजोर पैरवी और वहां की पुलिस की कमजोर विवेचना व नियम कानूनों के प्रति लापरवाही का परिणाम बताया जा रहा है। हम मांग करते हैं कि दिल्ली सरकार व केन्द्र सरकार पर दबाव बनाया जाय कि सक्षम न्यायपीठ में पुनर्विचार याचिका दायर कर दोषियों की फांसी की सजा बहाल रखी जाय।

उत्तराखंड की सरकार भी अपनी ओर से पुनर्विचार याचिका दायर करे। आवश्यक हो तो देश के सर्वोच्च शासक महामहिम राष्ट्रपति के सम्मुख याचिका प्रस्तुत करें। ऑटोमेटेड फिटनेस सेंटर की अनिवार्यता और दस साल से पुराने विक्रम, ऑटो बंद करने के फैसले को वापस लिया जाय। इससे वाहन चालकों के सामने गंभीर आर्थिक संकट खड़ा हो जाएगा। जिलाधिकारी को ज्ञापन देने वालों में यूकेडी के केंद्रीय मीडिया प्रभारी मोहित डिमरी, वरिष्ठ जिला उपाध्यक्ष भगत चौहान , जिला महामंत्री अशोक चौधरी , युवा नेता शुभांक मैठाणी आदि मौजूद थे।

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