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वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया है इस सीरियल किलर’ ने, सिर्फ रुमाल से कर दिए 900 से ज्यादा कत्ल..

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वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया है इस सीरियल किलर’ ने, सिर्फ रुमाल से कर दिए 900 से ज्यादा कत्ल..

देश-विदेश : इतिहास में ऐसे कई सीरियल किलर (Serial Killers) हुए हैं जिनकी हैवानियत को सुनकर आज भी लोग सिहर उठते हैं. दुनियाभर में अपराधियों की फहरिस्त में ऐसे कई सीरियल किलर्स के नाम दर्ज हैं, जिन्होंने एक के बाद एक हत्या करके लोगों के मन में खौफ पैदा किया है. 18वीं और 19वीं शदी में भारत में एक ऐसा ही सीरियल किलर था, जिसके बारे में कहा जाता है कि उसने सीरियल किलिंग का वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया है. भारत के इस सबसे खतरनाक सीरियल किलर का नाम है ठग बेहराम, जिसे ‘King of Thugs’ भी कहा जाता है.

 

 

बेहराम (Behram) के बारे में कहा जाता है कि वह सन 1790 से 1840 के बीच बड़ा कुख्यात था, जिससे ईस्ट इंडिया कंपनी के अंग्रेज भी घबराया करते थे, क्योंकि वह लूट के लिए लोगों पर हमला करता था और फिर बेहद अनोखे तरीके से अपने शिकार का गला घोंटकर उनकी हत्या कर देता था. कहते हैं कि ठग बेहराम जिस रास्ते से गुजरता था, वहां लाशों के ढेर लग जाया करते थे. बेहराम का काफी बड़ा गैंग था. उसके गिरोह के लोग व्यापारियों और सैलानियों के बीच भेष बदलकर उनके साथ लग जाते थे और मौका मिलते ही लोगों की हत्या करके उनका सारा सामान लूट लिया करते थे.

 

 

बेहराम अपने साथ रखता था एक पीला रुमाल..

ईस्ट इंडिया कंपनी के एक अफसर जेम्स पैटोन ने लिखा है कि बेहराम ने अपनी पूरी जिंदगी में 931 लोगों की हत्या की थी और उसने इन हत्याओं का जुर्म भी कुबूल कर लिया था. जेम्स पैटोन के अनुसार, बेहराम अपने साथ एक पीला रुमाल रखा करता था और उसी रुमाल से गला घोंटकर उसने 900 से ज्यादा लोगों को मौत के घाट उतारे थे और उसके इस वहशियाना जुर्म के लिए उसका नाम गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में भी दर्ज हो गया.

 

 

इस हद तक बढ़ गया था बेहराम का खौफ..

कहा जाता है कि उस दौर में बेहराम का खौफ इतना बढ़ गया था कि दिल्ली से लेकर ग्वालियर, झांसी और जबलपुर तक व्यापारियों, सैलानियों, सैनिकों और तीर्थयात्रियों ने उन रास्तों पर चलना बंद ही कर दिया था, जहां कहीं भी बेहराम के हमले की आशंका हुआ करती थी, क्योंकि बेहराम पूरा का पूरा काफिला ही खुफिया तरीके से रास्ते से गायब कर देता था. और हैरानी की बात ये थी कि पुलिस को उनकी लाशें तक नहीं मिल पाती थीं.

 

 

खास भाषा में बात करते थे ये ठग, समझना मुश्किल..

कहते हैं कि ये ठग एक खास भाषा में बात किया करते थे, जो किसी के पल्ले नहीं पड़ती थी. इस भाषा को समझने की ब्रिटिश जासूसों ने बहुत कोशिश की लेकिन कुछ समझ नहीं पाए. बेहराम के गिरोह के ठग जिस खास भाषा में बातचीत करते थे, उसे ‘रामोसी’ कहा जाता था. रामोसी एक सांकेतिक भाषा होती थी. रास्ते से गुजरने वाले काफिले के लोग जब सो जाते थे, तब ये ठग गीदड़ के रोने की आवाज में हमले का इशारा करते थे. फिर अपने गिरोह के साथ बहराम ठग मौके पर पहुंच जाता और अपने पीले रुमाल में सिक्का बांधकर तेजी से काफिले के लोगों का एक एक करके गला घोंट देता था. लोगों की लाश को कुओं में फेंक दिया जाता था या फिर कहीं दफन कर दिया जाता था.

 

 

 

गैंग में शामिल थे 200 से ज्यादा ठग और हत्यारे..

बेहराम के आतंक की कहानी इंग्लैंड तक पहुंची तो ईस्ट इंडिया कंपनी ने साल 1809 में एक अंग्रेज अफसर कैप्टन स्लीमैन को ये जिम्मेदारी सौंपी कि वो आए दिन खुफिया तरीके से गायब हो रहे लोगों के रहस्य का पता लगाएं. जांच के बाद इस बात का खुलासा हुआ कि ठग बेहराम का गिरोह ही लोगों की हत्या करके उनकी लाश तक गायब कर दिया करता था. कैप्टन स्लीमैन ने खुलासा किया कि ठग बेहराम के गिरोह में 200 से ज्यादा ठग और हत्यारे थे.

 

 

आखिरकार हुई गिरफ्तारी और मिली सजा-ए-मौत..

कैप्टन स्लीमैन ने बेहराम की तलाश के लिए लंबा अभियान चलाया और आखिरकार 10 साल बाद उन्हें इस खतरनाक ठग और सीरियल किलर को ढूंढने में कामयाबी मिली. बेहराम को जब गिरफ्तार किया गया, तब उसकी उम्र तकरीबन 75 साल थी. फिर साल 1840 में बेहराम को उसके बेशुमार अपराधों के लिए सजा ए मौत दे दी गई. Thugs of Hindustan फिल्म में अमिताभ बच्चन ने ठग बेहराम का किरदार निभाया था, इस फिल्म में आमिर खान, कटरीना कैफ और फातिमा सना शेख ने भी अहम भूमिका निभाई थीं.

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