राष्ट्रीय प्रतियोगिता में शिक्षक चैकियाल ने किया तीसरा स्थान हासिल…
देशभर के 18 हजार से अधिक शिक्षकों में रहे तीसरे स्थान पर..
प्रशस्ति पत्र, गोल्ड मेडल के साथ जीता दो हजार रूपये का इनाम..
एनसीटीएस की आजीवन सदस्यता से भी हुए सम्मानित..
ये सम्मान पाने वाले उत्तराखंड के पहले शिक्षक..
रूद्रप्रयाग। सारा भाई टीचर साइन्टिस्ट नेशल अवार्ड में राउप्रावि डांगी गुनाऊ के शिक्षक हेमंत चैकियाल ने देश भर में तीसरा स्थान हासिल कर न केवल जनपद का सम्मान बढ़ाया है, बल्कि प्रदेश का भी मान बढ़ाया है। नेशनल काउन्सिल ऑफ टीचर साइन्टिस्ट इण्डिया के चेयरमैन डाॅ चन्द्रमोली जोशी और एनसीटीएस के राष्ट्रीय सचिव सन्दीप डी पाटिल की ओर से शिक्षक चैकियाल को स्वर्ण पदक, ई-प्रशस्ति पत्र एवं दो हजार रूपये के पुरस्कार की घोषणा की गई। शिक्षक को यह पुरस्कार डाक के माध्यम से पहुंचाया गया।
तीन चरणों की इस प्रतियोगिता में पहले राउंड में देश भर के 18 हजार से अधिक शिक्षकों में चैकियाल ने शीर्षस्थ सौ में 63 वां स्थान हासिल कर दूसरे चरण की प्रतियोगिता के लिए क्वालिफाई किया। दूसरे चरण में उन्होंने टॉप टेन में 5वीं रैंकिंग हासिल की। तीसरे और अन्तिम चरण के बाद उन्हें कक्षा 6 से 8 के शिक्षकों की श्रेणी में तीसरा स्थान हासिल किया। वे प्रदेश के ही नहीं, बल्कि उत्तर भारत के अकेले ऐसे शिक्षक हैं, जिन्हें राष्ट्रीय स्तर पर यह गौरव हासिल हुआ है। बताते चलें कि अपने अध्यापकीय जीवन के पहले ही साल से उन्होंने बच्चों में विज्ञान की समझ बढ़ाने के लिए अपने छोटे-छोटे प्रयोग शुरू कर दिये थे।
पौधों में संगीत की समझ, वातावरण पर तापमान का प्रभाव जानने के लिए पिछले पांच वर्षों से स्कूली बच्चों के साथ तापमान का अध्ययन, बच्चों के शारीरिक विकास में संतुलित आहार का प्रभाव, बच्चों के साथ पौधों की वृद्धि दर का अध्ययन, बच्चे विज्ञान की अवधारणा को कब कैसे समझते हैं, जैसे अपने छोट -छोटे प्रयोगों वे पिछले तीन दशकों से बच्चों में विज्ञान की अवधारणाओं की समझ पुख्ता करने के कार्य में लगे हुए हैं। पिछले पांच सालों में हिन्दी (भाषा), अंग्रेजी, गणित, विज्ञान, सामाजिक विज्ञान जैसे विषयों पर विभिन्न संबोधों को समझने और समझाने के लिए उन्होंने बच्चों के साथ मिलकर छोटे-छोटे अनुप्रयोग किये हैं।
पौधे की वृद्धि का मापन और उसका अभिलेखीकरण, वातारणीय तापमान का मापन और उसका अभिलेखीकरण, बच्चों को स्वअनुभवों से सीखने के लिए प्रेरित कैसे करें, आदि छोटे-छोटे कक्षा में किये जाने वाले कार्यों से विज्ञान की समझ बढ़ाने का महत्वपूर्ण कार्य किया है। इसके अलावा जन सामान्य में विज्ञान की चेतना जगाने और विज्ञान की समझ बढ़ाने के लिए वे परिवेश के धार्मिक और सांस्कृतिक तत्वों में भी विज्ञान को समझने के महत्वपूर्ण कार्य में लम्बे समय से शोधरत हैं।
यही कारण रहा कि साराभाई जैसे प्रतिष्ठित राष्ट्रीय संस्थान ने भी उनके कार्यों को सराहा है और उन्हें इस राष्ट्रीय पुरस्कार के साथ गोल्ड मेडल देकर सम्मानित किया है। चैकियाल को रमन साइन्स और टेक्नोलॉजी फाउण्डेशन द्वारा एनसीटीएस की आजन्म सदस्यता से भी सम्मानित किया है।