उत्तराखंड

महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरि ने कुंभ मेले को लेकर कही ये बात..

महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरि ने कुंभ मेले को लेकर कही ये बात..

उत्तराखंड: श्री पंचदशनाम जूना अखाड़ा के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरि का कहना हैं कि 27 अप्रैल चैत्र पूर्णिमा का स्नान बैरागी अखाड़े शाही स्नान करेंगे, जबकि बाकी अखाड़े उसमें प्रतीकात्मक रूप से शामिल होंगे। शनिवार को यह बात उन्होंने अपने कनखल स्थित हरिहर आश्रम में मीडिया से बातचीत में कही। अवधेशानंद गिरि महाराज ने कहा कि आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से उनकी फोन पर बातचीत हुई है। प्रधानमंत्री ने कुंभ मेले के बारे में पूछा, साधु-संतों के स्वास्थ्य के बारे में जानकारी ली और मेले में चल रही धार्मिक गतिविधियों के बारे में भी पूछा। उन्होंने कहा कि मैंने उन्हें बताया कि बहुत ही अच्छे भव्य और दिव्यता के साथ धार्मिक आयोजन और कुंभ मेला चल रहा है।

 

उन्होंने प्रधानमंत्री को सकुशल संपन्न हुए शाही स्नान के बारे में भी जानकारी दी। साथ ही उन्होंने बताया कि गुजरात, महाराष्ट्र, पंजाब और हरियाणा व छत्तीसगढ़ में कोरोना बहुत ज्यादा फैल रहा है। संभवत वहां से कुछ संक्रमित लोग कुंभ स्नान करने के लिए आए होंगे और उनकी वजह से कुछ संक्रमण यहां पर फैल गया है। उन्होंने आगे कहा कि हरिद्वार की वजह से या साधु-संतों की वजह से हरिद्वार में कोरोना नहीं फैला है।

 

अवधेशानंद गिरि महाराज ने देशभर के श्रद्धालुओं से अपील की है कि जो वृद्ध हैं, वह यहां आने में संकोच करें और जो बीमार हैं, छोटे बच्चे हैं और गर्भवती महिलाएं हैं वह यहां पर ना आए। अधिकतर लोग यहां से स्नान करके चले गए हैं अब जो यहां संख्या है वह भी बहुत सीमित है। उन्होंने कहा कि जो बैरागी अखाड़ो का 27 अप्रैल का शाही स्नान है। उसका वह सम्मान करते हैं, वह होना भी चाहिए, लेकिन जो अन्य अखाड़े हैं वह इस स्नान को प्रतीकात्मक ही करते आए हैं और इस बार भी प्रतीकात्मक ही करेंगे।

 

साथ ही उन्होंने कहा कि कुंभ मेला समाप्त नहीं हुआ है, कुंभ मेला अपनी अवधि में ही समाप्त होगा, बैरागी अखाड़े स्नान करेंगे, मेला प्रशासन उनकी व्यवस्था में लगा हुआ है। उन्होंने लोगों से आह्वान किया है कि सीमित संख्या में ही हरिद्वार आए, कोविड गाइडलाइन का पालन करें। अन्य अखाड़े प्रतीकात्मक रूप से ही अब कुंभ मेला करेंगे। उन्होंने कहा कि धर्म और आस्था बड़ी चीज है पर उनसे बड़ा जीवन और प्राण है। हमें उसकी भी रक्षा करनी है।

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