उत्तराखंड

सल्ट विधानसभा उपचुनाव: पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत आज करेंगे तीन सभाएं..

सल्ट विधानसभा उपचुनाव: पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत आज करेंगे तीन सभाएं..

उत्तराखंड: आज सल्ट विधानसभा उपचुनाव के लिए प्रचार का अंतिम दिन है। जिसके चलते पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव हरीश रावत का सल्ट उपचुनाव के लिए प्रचार का कार्यक्रम तय हो गया है। हरीश रावत हेलीकाप्टर से सल्ट जाएंगे और वहां पर कम से कम तीन जनसभाएं करेंगे। पूर्व मुख्यमंत्री के मुख्य प्रवक्ता सुरेंद्र अग्रवाल का कहना हैं कि हरीश रावत आज गुरुवार को अपने निवास स्थान से सहस्त्रधारा हेलीपैड के लिए रवाना होंगे। वहां से हेलीकाप्टर से राजकीय इंटर कालेज देवायल सल्ट अल्मोड़ा जाएंगे। जिसके बाद उनकी पहली जनसभा पोखरी विधानसभा क्षेत्र में होगी। दोपहर बाद हरड़ा मौलिखाल में जनसभा करेंगे और फिर छयाड़ी बगड़ स्याल्दे में जनसभा करने के बाद वे देहरादून वापस लौट आएंगे।

 

प्रचार के आखिरी दिन भाजपा अपने कई महारथियों को मैदान में उतारेगी। मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत, केंद्रीय शिक्षा मंत्री डॉ.रमेश पोखरियाल निशंक, पार्टी प्रभारी दुष्यंत गौतम और प्रदेश भाजपा अध्यक्ष मदन कौशिक आज सल्ट उपचुनाव के प्रचार में होंगे। वही देहरादून पहुंचे भाजपा प्रभारी दुष्यंत गौतम ने दावा किया कि भाजपा सल्ट उपचुनाव भारी मतों से जीत रही है। केंद्र और प्रदेश सरकार ने  विकास के नए आयाम स्थापित किए हैं। कई योजनाएं शुरू की हैं, जिनसे आम लोगों को फायदा मिला है।

 

मतदाता खामोश उलझन में कांग्रेस और भाजपा..

उपचुनाव में अभी तक मतदाता खामोश है और कांग्रेस-भाजपा ने स्टार प्रचारकों की सूची में शामिल बड़े नामों को सल्ट की ओर रुख न करवाकर मतदाताओं के रुझान को सामने लाने का जोखिम भी नहीं उठाया। छह माह के लिए जनप्रतिनिधि के चुनाव की इस कोशिश को मतदाता खासी खामोशी के साथ परख रहे हैं। अनुमान यह भी है कि छह माह के लिए जनप्रतिनिधि के इस चुनाव को देखते हुए मतदाता बड़ी संख्या में बाहर न निकलें। इस हिसाब से दोनों ही दल कम मतदान होने पर नफा नुकसान का आकलन भी कर रहे हैं। छह माह के लिए जनप्रतिनिधि को चुना जाना है लिहाजा दलों के भविष्य के वादे भी काम नहीं आ पा रहे हैं।

 

हाल यह है कि उपचुनाव के लिए कांग्रेस और भाजपा ने बड़े-बड़े नामों की स्चार प्रचारकों की सूची जारी की थी। इनमें से एक नाम भी सल्ट उपचुनाव में उभर कर सामने नहीं आया। कांग्रेस और भाजपा ने अपने ही नेतृत्व पर भरोसा किया। माना जा रहा है कि मतदाताओं के रुख को भांपते हुए ही दोनों दलों ने केंद्रीय नेतृत्व, मंत्रियों आदि को सल्ट से दूर रखा।

Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

To Top