दीपावली से पहले गांवों में फल फूल रहा कच्ची शराब का धंधा..
उत्तराखंड : कच्ची शराब का धंधा खूब फल फूल रहा है घरों में महिलाएं शराब बना रही हैं जिन घरों के चूल्हों में खाना पकाया जाता है, उन्हीं पर शराब बनायी जा रही है आसानी से शराब की अनुपलब्धता के कारण अब पारंपरिक कच्ची शराब का चलन बढ़ गया है। इससे एक बार फिर अंचल का माहौल बिगड़ने लगा है।
देवभूमि कहे जाने वाले हरिद्वार क्षेत्र में कई स्थानों पर दीपावली से पहले कच्ची शराब बनाने और शराब बेचने का अवैध कारोबार होने लगा है। धंधे से जुड़े लोगों का नेटवर्क पुलिस और आबकारी से मजबूत है। छापे की भनक लगने पर कारोबारी सामान समेटकर फरार हो जाते हैं।ग्रामीण अजितेश के मुताबिक दीनारपुर, सहदेवपुर, सुभाषगढ़, बुक्कनपुर, ऐथल, पुरुषोत्तम नगर, कमला नगर, एकड़ कलां, बहादरपुर जट, टिकौला, धारीवाला, शिवगढ़, गोविंदगढ़, फूलगढ़, दुर्गागढ़, बिशनपुर कुंडी, पुरानी कुंडी, नसीरपुर कलां, भुवापुर चमरावल, शाहपुर, रानीमाजरा समेत कई स्थानों पर कच्ची अवैध शराब की बिक्री हो रही है।
इनमें कई जगहों पर शराब बनाने की भट्टियां भी लगाई गई हैं। ग्रामीण मोहन सिंह ने बताया कि अवैध कारोबार से जुड़े लोग घरों और खेतों के अलावा जंगल में शराब बना रहे हैं। ग्रामीण नवीन कुमार और चंद्रशेखर ने बताया कि अवैध कारोबारियों का मजबूत नेटवर्क है।
ग्रामीण पूजा कौर और मीना कुमारी ने बताया कि शराब से कई घर बर्बाद हो गए हैं। मेहनत मजदूरी करने वाले शराब में पैसे उड़ा रहे हैं। ग्रामीण सविता देवी और बाला देवी ने कहा कि कच्ची शराब का अवैध कारोबार पर प्रतिबंध लगाया जाए। आबकारी इंस्पेक्टर लक्ष्मण सिंह बिष्ट के मुताबिक विभाग लगातार कार्रवाई करता रहता है। कई बार छापे की भनक लगने पर शराब बनाने और बेचने वाले फरार हो जाते हैं।
सस्ती शराब के नाम पर जिले के आदिवासी शराब की बिक्री खूब कर रहे है। पिछले कुछ वर्षों से महुआ की कच्ची शराब के अलावा नींबू को सड़ाकर भी शराब बनाई जा रही है। स्वास्थ्य को इससे होने वाले नुकसान से बेखबर लोग इसे बड़े चाव से पी रहे हैं।