उत्तराखंड

शीतकालीन गददीस्थल मक्कूमठ में विराजमान हुये तृतीय केदार तुंगनाथ..

आज से तुंगनाथ की शीतकालीन पूजा का विधिवत होगा शुभारंभ..

रुद्रप्रयाग: पंच केदारो में तृतीय केदार के नाम से विख्यात भगवान तुंगनाथ की चल विग्रह उत्सव डोली अपने शीतकालीन गद्दीस्थल तुंनाथ मंदिर मक्कूमठ में विराजमान हो गयी है। भगवान तुंगनाथ की चल विग्रह उत्सव डोली के कैलाश से शीतकालीन गद्दीस्थल मक्कूमठ आगमन पर सैकड़ों श्रद्धालुओं ने पुष्प वर्षा कर डोली की अगुवाई की। शनिवार से भगवान तुंगनाथ की शीतकालीन पूजा मक्कूमठ में विधिवत होगी।
शुक्रवार को भनकुण्ड में पण्डित विनोद मैठाणी, प्रकाश चन्द्र मैठाणी व आशीष मैठाणी ने बह्म बेला पर पंचांग पूजन के तहत भगवान तुंगनाथ, पृथ्वी, अग्नि, कुबेर सहित तैतीस कोटि देवी-देवताओं का आवाहन कर भगवान तुंगनाथ की आरती उतारी तथा परम्परा के अनुसार भगवान तुंगनाथ की चल विग्रह उत्सव डोली को भोग अर्पित किया गया।

 

 

दस बजे भगवान तुंगनाथ की चल विग्रह उत्सव डोली भनकुण्ड से अपने शीतकालीन गद्दीस्थल मक्कूमठ के लिए रवाना हुई तथा डोली आगमन पर विभिन्न स्थानों पर ग्रामीणों ने पुष्प अक्षत्रांे से भव्य स्वागत किया तथा अनेक प्रकार की पूज्यार्थ सामाग्रियां तथा लाल पीले वस्त्र अर्पित किये। राकेश्वरी नदी के किनारे पहुंचने पर भगवान तुंगनाथ की चल विग्रह उत्सव डोली व साथ चल रहे अनेक देवी-देवताओं के निशानों ने गंगा स्नान किया। भगवान तुंगनाथ की चल विग्रह उत्सव डोली खेत-खलिहानों में नृत्य करते हुए मक्कूमठ बस स्टेशन पर ज्यो पहुंची श्रद्धालुओं की जयकारों से सम्पूर्ण भूभाग भक्तिमय बन गया।

 

दोपहर दो बजे भगवान तुंगनाथ की चल विग्रह उत्सव डोली अपने शीतकालीन गद्दी स्थल पहुंची तथा मुख्य मन्दिर की तीन परिक्रमा की तथा भूतनाथ मन्दिर में शीश नवाकर अपने शीतकालीन गद्दी के परिसर में विराजमान हुई। भगवान तुंगनाथ की चल विग्रह उत्सव डोली के शीतकालीन मन्दिर परिसर में विराजमान होते ही ग्रामीणों ने सामूहिक अघ्र्य अर्पित किया तथा मठापति राम प्रसाद मैठाणी ने भगवान तुंगनाथ की डोली व अन्य देवी-देवताओं की पूजा अर्चना, दान कर आरती उतारी तथा भगवान तुंगनाथ की डोली शीतकालीन गद्दी स्थल के सभामण्डप में विराजमान हुई।

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