राजनीतिक दलों की रैलियों और आयोजनों में कहाँ चले जाता है कोरोना जनता को चाहिए जवाब?
उत्तराखण्ड: गजब की बात है कि कोविड के चक्कर मे उत्तराखण्ड सरकार चारधाम यात्रा को बंद करे हुए है पर अन्य पर्यटन स्थल खुले हुए है और राजनीकित पार्टियों की रैलिया यात्राएं जोरो शोरो से शुरू हो गई हैं।
एक तरफ भाजपा की आज से शुरू हो रही जन आश्रीवाद यात्रा तो वहीं कोंग्रेस की सत्ता परिवर्तन यात्रा। इसके बाद शायद अन्य दल आम आदमी पार्टी औऱ यूकेडी और निर्दलीय प्रत्याशी भी इस तरह की यात्रा प्रारंभ करते है तो कोरोना संक्रमण कहाँ चले जायेगा क्या तब ये इन पार्टियों से छुप जाएगा ।
जहाँ एक और चारधाम यात्रा से अपनी आजीविका चलाने वाले लोगो के लिए दो जून की रोटी का इंतज़ाम करना मुश्किल हो रहा है वहीं दूसरी तरफ राजनीतिक पार्टियों की इन यात्राओं से मानो कोरोना कहीं छुपकर बैठ रहा हो। कोविड नियमो की जितनी धज्जियां नेताओं की रैलियों में उड़ाई जा रही हैं उतनी कहीं नहीं। उत्तराखण्ड में विधानसभा चुनाव अभियान के तेज़ी पकड़ते ही इसके साथ कंधे से कंधा मिला कर कोरोना के मामले भी तेज़ी से बढ़ सकते हैं.
विशेषज्ञों ने चेताया कि 2 0 2 2 विधानसभा चुनाव होने पर उत्तराखण्ड में कोरोना संक्रमण का नया रिकॉर्ड बन सकता है. उनका कहना है कि चुनाव प्रक्रिया कोरोना के लिहाज़ से भारी साबित हो सकते है.
सोशल डिस्टेंसिंग के नियम की उड़ाते है धज्जियाँ…
तमाम राजनीतिक दलों की रैलियों और चुनाव अभियान के दौरान न तो कहीं किसी के चेहरे पर मास्क नज़र आता है और न ही सोशल डिस्टेंसिंग के नियम का पालन हो रहा है.