उत्तराखंड

उत्तराखंड के 5 जिलों में बनेंगे आधुनिक वेयरहाउस..

उत्तराखंड के 5 जिलों में बनेंगे आधुनिक वेयरहाउस..

 

उत्तराखंड: प्रदेश के पांच जिलों में राज्य भंडारण निगम आधुनिक सुविधाओं से युक्त 40 हजार मीट्रिक टन क्षमता के गोदाम बनाए जायेंगे। इसके लिए मंत्री धन सिंह ने इन पांचों जिलों के जिलाधिकारियों को गोदाम निर्माण के लिए भूमि चिन्हित कर अगले एक सप्ताह के भीतर शासन को रिपोर्ट सौंपने के निर्देश दिए हैं। बता दे कि सहकारिता मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने दिल्ली से सहकारिता विभाग की वर्चुअल बैठक की। जिसमें सभी जिलों के जिलाधिकारी भी मौजूद रहे।

बैठक में मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने विभागीय अधिकारियों को निर्देश दिए कि पूरे प्रदेश में भंडारण क्षमता का विस्तार कर उसे बाजार की मांग के अनुसार तैयार किया जाए, ताकि बड़े पैमाने पर खाद्यान्न और खाद का भंडारण किया जा सके। ऐसे में प्रदेश के पांच जिलों में 40 हजार मीट्रिक टन क्षमता के गोदाम बनाए जाएंगे, जो आधुनिक सुविधाओं से लैस होंगे। पौड़ी और टिहरी जिलों में 5-5 हजार मीट्रिक टन क्षमता के गोदाम बनाए जाएंगे। इसी क्रम में हरिद्वार, देहरादून और ऊधमसिंह नगर जिलों में 10-10 हजार मीट्रिक टन क्षमता के गोदाम बनाए जाएंगे।

जिलों में 40 हजार मीट्रिक टन क्षमता के गोदाम बनाने के लिए करीब 22 एकड़ भूमि की आवश्यकता होगी। इसे देखते हुए विभागीय मंत्री ने पांचों जिलों के जिलाधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि वे अपने-अपने जिलों में गोदाम निर्माण के लिए भूमि का चयन कर एक सप्ताह के भीतर रिपोर्ट शासन को उपलब्ध कराएं। उनका कहना है कि राज्य में भंडारण क्षमता को बढ़ाना बेहद जरूरी है और इसके लिए हर स्तर पर ठोस कदम उठाने होंगे। डॉ. रावत ने कहा कि राज्य भंडारण निगम के तहत पूरे राज्य में 1,31,550 मीट्रिक टन क्षमता की भंडारण सुविधा उपलब्ध है। जिसका विस्तार किया जाना है। भविष्य में निगम के द्वारा पर्वतीय जिलों में कोल्ड स्टोरेज खोलने जाएंगे, ताकि काश्तकार अपने उत्पादों को इसमें सुरक्षित रख सके। इसके साथ ही सेना और आईटीबीपी के लिए भी कोल्ड स्टोरेज खोले जाने की योजना है। मंत्री ने कहा कि वर्तमान में रुद्रपुर, गदरपुर, गूलरभोज, काशीपुर, रामनगर, किच्छा, सितारगंज, नानकमत्ता, हल्द्वानी, अल्मोड़ा, हरिद्वार, विकासनगर और नकरौंदा में उत्तराखंड राज्य भंडारण निगम के भंडार गृह उपलब्ध हैं। इन सभी भंडार गृह में 131550 क्षमता में से 119634 मीट्रिक टन ही उपयोग में है।

 

 

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