देश/ विदेश

महाकुंभ 2021 : महाकुंभ की ऐसी दीवानगी कि विदेशी श्रद्धालु भी बढ़ चढ़कर ले रहे है भाग..

महाकुंभ 2021 : महाकुंभ की ऐसी दीवानगी कि विदेशी श्रद्धालु भी बढ़ चढ़कर ले रहे है भाग..

देश-विदेश : विदेशों की चमक दमक वाला जीवन जीने वाले एक बार हिंदुस्तान घूमने आए तो फिर यहीं के होकर रह गए। विदेशी लोगों को भी सनातन संस्कृति ऐसी भायी कि वह न सिर्फ यहां के संतों के अनुयायी बन गए, बल्कि कुछ खुद ही साधु बन गए। महाकुंभ में ऐसी ही कई विदेशी श्रद्धालु और संतों की दुनिया दिखाई देती है। यूरोप से ही 30 सदस्यीय दल के साथ आई फ्रांसेस भारतीय संस्कृति से इतनी प्रभावित हुई कि उसने अपना नाम बदलकर सीता रख दिया।

 

 

सीता ने बताया कि उन्हें भारतीय संस्कृति और सनातन धर्म के बारे में बहुत कुछ जानने और सीखने को मिला। उन्होंने अपने गुरु से काफी कुछ ज्ञान प्राप्त किया। महाकुंभ मेले में भारतीयों के साथ ही विदेशी श्रद्धालु भी पहुंच रहे हैं। स्वामी ज्ञानेश्वर पुरी ने बताया कि वह क्रोशिया के रहने वाले हैं और अब जयपुर में रहते हैं। उन्होंने बताया 2007 में उनके गुरु महामंडलेश्वर स्वामी महेश्वरानंद गिरि उनके देश आए थे। जहां पर उन्होंने महेश्वरानंद गिरि के प्रवचनों को सुना। उन्होंने बताया कि स्वामी जी ने कई ऐसी बातें बताई कि मुझे भारतीय संस्कृति और सनातन परंपरा बहुत ही अच्छी लगने लगी। इसके बाद 2007 में संन्यास ग्रहण कर लिया।

हरिद्वार कुंभ

 

स्वामी ज्ञानेश्वर पुरी संन्यास ग्रहण करने के बाद भारत पहुंचा और यहां पर 2013 में अखाड़े ने मुझे महामंडलेश्वर की उपाधि दे दी। स्लोवाकिया से वैरागी कैंप में महाकाल सेना के संस्थापक व नागा साधु दिगंबर खुुशहाल भारती के दर्शनों के लिए पहुंचे थॉमस ने बताया कि वह दूसरी बार महाकुंभ मेले में पहुंचे हैं। इससे पहले 2019 में प्रयागराज भी गए थे। उन्होंने बताया कि भारतीय संस्कृति व सनातन परंपरा ने उन्हें मांसाहारी से शाकाहारी बना दिया। उन्होंने बताया कि उन्हें योग व हिंदू संस्कृति बहुत ही प्रभावित करती है।

 

 

महामंडलेश्वर ज्ञानेश्वरपुरी ने बताया कि वह संस्कृत पर शोध कर रहे हैं। भारतीय संस्कृति व संस्कृत को जानने का प्रयास कर रहा हूं। हमारा राजस्थान में एक संस्कृत शोध संस्थान है। संस्थान का कई विश्वविद्यालयों के साथ अनुबंध हुआ है।
फ्रांसेस

 

फ्रांसेस उर्फ सीता ने बताया कि वह सनातन धर्म और भारतीय संस्कृति की बहुत कायल है। कहती हैं कि भारतीय संस्कृति में संतों को ईश्वर का रूप मना गया है। वह श्रीमद्भागवत गीता का अध्ययन करती हैं। गीता के कई श्लोक उन्हें याद हैं।

 

थॉमस ने बताया कि वह पेट की बीमारी से ग्रस्त रहते थे। इसके बाद उन्होंने एक दिन एक योगाचार्य को योग करते हुए यू ट्यूब पर देखा। उन्होंने भी योग किया तो पेट की बीमारी से आराम मिलने लगा। इसके बाद वह योग के मुरीद हो गए।

 

Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

To Top