उत्तराखंड

आखिर क्यों गैरसैंण में नहीं बनेगा भाषा संस्थान का मुख्यालय..

आखिर क्यों गैरसैंण में नहीं बनेगा भाषा संस्थान का मुख्यालय..

24 फरवरी 2009 को की गई थी भाषा संस्थान स्थापना..

 

 

उत्तराखंड: भाषा संस्थान का मुख्यालय गैरसैंण में बनने से पहले ही उसे शिफ्ट किए जाने की तैयारी है। 24 फरवरी वर्ष 2009 को भाषा संस्थान की स्थापना की गई थी। आपको बता दे कि छह अक्तूबर 2020 को तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैंण में इसके मुख्यालय की स्थापना के निर्देश दिए थे। लेकिन संस्थान को मैदान में स्थापित किए जाने की तैयारी है। भाषा मंत्री स्वामी यतीश्वरानंद के अनुसार जल्द ही संस्थान की प्रबंध कार्यकारिणी एवं आम सभा की बैठक बुलाई जाएगी। बैठक में तय किया जाएगा कि संस्थान के मुख्यालय की स्थापना कहां हो।

 

प्रदेश में उत्तराखंड भाषा संस्थान का अपना मुख्यालय नहीं है। त्रिवेंद्र सरकार में गैरसैंण में उत्तराखंड भाषा संस्थान के मुख्यालय की घोषणा के बाद उस दौरान कहा गया था कि गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाया गया है। इसके बाद वहां विभिन्न संस्थानों की स्थापना की प्रक्रिया शुरू होगी। गैरसैंण में उत्तराखंड भाषा संस्थान की स्थापना की घोषणा भी इसी दिशा में बढ़ाया गया कदम है।

 

संस्थान के लिए भूमि खरीदने के लिए 50 लाख की व्यवस्था की गई है, लेकिन विभागीय मंत्री स्वामी यतीश्वरानंद का कहना है कि उन्हें संस्थान की भूमि के लिए 50 लाख की धनराशि के संबंध में जानकारी नहीं है। उन्होंने कहा कि उनकी ओर से उत्तराखंड भाषा संस्थान बनाए जाने के बाद इसकी साधारण सभा और प्रबंध कार्यकारिणी का गठन किया गया है।

 

28 मई 2021 को गठित की गई साधारण सभा में मुख्यमंत्री इसके पदेन अध्यक्ष एवं भाषा मंत्री को कार्यकारी अध्यक्ष बनाया गया है। बैठक में तय होगा कि इसकी स्थापना कहां होगी। गैरसैंण में अकेले भाषा संस्थान के कार्यालय में काम करने में व्यावहारिक दिक्कतें आ सकती हैं। जल्द भाषा संस्थान की आम सभा की बैठक बुलाई जाएगी। इसमें तय किया जाएगा कि भाषा संस्थान का मुख्यालय हरिद्वार व देहरादून में बने या फिर किसी अन्य स्थान पर।

 

 

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