उत्तराखंड

भाजपा के लिए प्रतिष्ठा का सवाल बनेगी केदारनाथ सीट..

भाजपा के लिए प्रतिष्ठा का सवाल बनेगी केदारनाथ सीट..

वर्ष 2012 और 2017 में कांग्रेस प्रत्याशी की हुई है जीत..

वर्तमान समय में निर्दलीय प्रत्याशियों की ओर दिख रहा जनता का मन..

भाजपा केदारनाथ विधानसभा सीट पर उतार सकती है पैराशूट प्रत्याशी..

पैराशूट प्रत्याशी उतारने से पार्टी संगठन में बिखराव होने की बनेगी संभावना..

 

 

 

 

रुद्रप्रयाग। आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर दावेदारों की धड़कने तेज होती जा रही हैं। सभी दावेदारों ने जनता के बीच जाकर जनता को रिझाने के साथ ही पार्टी से अधिकृत होने के लिए देहरादून के चक्कर मारकर संगठन प्रदेश पदाधिकारियों की गणेश परिक्रमा शुरू कर दी है। राष्ट्रीय पार्टी भाजपा-कांग्रेस के पर्यवेक्षकों ने भी विधानसभा वार भ्रमण कर दावेदारों एवं कार्यकर्ताओं की नब्ज टटोलनी शुरू कर दी है। केदारनाथ विधानसभा की बात करें तो यह सीट इस बार भाजपा के लिए प्रतिष्ठा का सवाल बनी हुई है, जबकि पार्टी से अधिकृत होने के लिए कार्यकर्ताओं में घमासान मचा हुआ है

केदारनाथ विधानसभा सीट वर्ष 2012 व 2017 में कांग्रेस द्वारा झटकने से यह सीट भाजपा के लिए प्रतिष्ठा का सवाल बनी हुई है। वर्तमान आंकड़ों पर गौर करें तो वर्ष 2017 में दूसरे स्थान पर रहे सामाजिक कार्यकर्ता कुलदीप रावत सब पर भारी दिख रहे हैं। क्योंकि वर्ष 2017 में हारने के बाद भी कुलदीप रावत हमेशा गरीब, असहाय, विधवा विंकलागों के लिए समर्पित रहे हैं तथा वैश्विक महामारी कोरोना संक्रमण के कारण लगे लाॅकडाउन में जहां अधिकांश दावेदारों ने घरों में कैद रहने में अपनी भलाई समझी, वहीं कुलदीप रावत सहित उनके कार्यकर्ताओं ने अपनी जान की परवाह किये बगैर आम जनता तक राहत सामग्री पहुंचाने की सराहनीय पहल की।

विगत दिनों कुलदीप रावत के आगमन पर तल्लानागपुर, गुप्तकाशी, अगस्त्यमुनि, क्यूंजा घाटी व ऊखीमठ में आयोजित सम्मान रैलियों में उमडे़ जन सैलाब ने अन्य दावेदारों की रातों की नींद हराम कर दी है। सूत्रों के मुताबिक राष्ट्रीय पार्टी कांग्रेस के केन्द्रीय हाईकमान ने 35 विधानसभा सीटों पर नामों की सूची को अंतिम रूप दे दिया है, मगर फिर भी प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल का कहना है कि आचार संहिता के बाद ही सूची प्रकाशित की जायेगी। कांग्रेस पार्टी से केदारनाथ विधानसभा सीट से विधायक मनोज रावत का अधिकृत होना तय है, जबकि भाजपा इस बार भी सुयोग्य प्रत्याशी को अधिकृत नहीं करती है तो विगत वर्षों की तरह इस बार भी भाजपा को केदारनाथ विधानसभा सीट गंवानी पड़ सकती है। केदारनाथ विधानसभा सीट से भाजपा के लगभग एक दर्जन से अधिक लोगों की दावेदारी सामने आने से संगठन असमंजस की स्थिति में है।

 

अभी तक भाजपा से पूर्व विधायक शैलारानी रावत, आशा नौटियाल, पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष चण्डी प्रसाद भटट, पूर्व राज्यमंत्री अशोक खत्री, दिनेश बगवाडी, अजेन्द्र अजय, दिल्ली हाईकोर्ट के अधिवक्ता संजय शर्मा दरमोड़ा, भाजपा जिलाध्यक्ष दिनेश उनियाल, पंकज भटट, जयवर्धन काण्डपाल, देव प्रकाश सेमवाल, रमेश बेंजवाल, अनूप सेमवाल सहित कई लोगों ने संगठन के सामने अपनी दावेदारी प्रस्तुत की है। पार्टी सूत्रों की माने तो यदि भाजपा में जिताऊ प्रत्याशी के पक्ष में एकजुटता नहीं बनती है तो भाजपा केदारनाथ विधानसभा सीट पर पैराशूट प्रत्याशी भी उतार सकती है और यदि भाजपा केदारनाथ विधानसभा सीट से पैराशूट प्रत्याशी उतारती है तो पार्टी संगठन में बिखराव होने की संभावनाओं से भी इनकार नहीं किया जा सकता है।

केदारनाथ विधानसभा सीट पर आम आदमी पार्टी से जिला पंचायत उपाध्यक्ष सुमन्त तिवारी की दावेदारी लगभग तय मानी जा रही है तथा उत्तराखण्ड क्रान्ति दल से गजपाल रावत, न्याय धर्म सभा से दिनेश चन्द्र सेमवाल, पीपल्स पार्टी आफ इण्डिया से मनोज तिनसोला के नामों पर मुहर लग चुकी है। जबकि कुलदीप रावत, देवेश नौटियाल, कुलदीप नेगी सहित कई लोग निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में अपना भाग्य आजमा सकते हैं तथा बसपा, सपा सहित अन्य पार्टी के प्रत्याशियों के नामों पर मुहर लगनी बाकी है।

 

कुल मिलाकर कर देखा जाय तो सर्द हवाओं में राजनीतिक समीकरण गर्म हैं। भले ही आगामी विधानसभा चुनाव में केदारनाथ विधानसभा सीट पर जनता किसके सिर ताज सुशोभित करती है, यह भविष्य के गर्भ में है। मगर भाजपा के लिए इस बार केदारनाथ विधानसभा सीट प्रतिष्ठा का सवाल बनी हुई है।

 

 

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