डूब रहा है जोशीमठ,बहुत बड़ी आपदा का खतरा..
बचा सको तो बचालो इस धर्मनगरी को..
आपदा की दृष्टि से उत्तराखंड बेहद संवेदनशील राज्य है। बीते कई सालों में उत्तराखंड कई बड़ी आपदाओं को झेल चुका है, इस बार पौराणिक नगरी जोशीमठ पर आपदा का संकट मंडरा रहा है। बात दे कि यहां घरों में दरारें पड़ रही हैं। शहर के तीन सौ से ज्यादा परिवार खतरे की जद में हैं।
उत्तराखंड: आपदा की दृष्टि से उत्तराखंड बेहद संवेदनशील राज्य है। बीते कई सालों में उत्तराखंड कई बड़ी आपदाओं को झेल चुका है, इस बार पौराणिक नगरी जोशीमठ पर आपदा का संकट मंडरा रहा है। बात दे कि यहां घरों में दरारें पड़ रही हैं। शहर के तीन सौ से ज्यादा परिवार खतरे की जद में हैं। केंद्र सरकार को राष्ट्रीय स्तर की धर्मनगरी जोशीमठ शहर की इन भयावह ताजा तस्वीरों का संज्ञान लेना चाहिए। शहर के मारवाड़ी क्षेत्र में बड़े-बड़े क्रैक्स आ गए हैं।
इसे देखकर आप समझ सकते हैं कि पूरा जोशीमठ किस कदर आपदा के खतरे के जूझ रहा है। पूरा शहर भूधंसाव की चपेट में है। बचा सको तो बचालो इस धर्मनगरी को। विकास के नाम पर टिहरी को डुबाया था आज जोशीमठ उसी कगार पर खड़ा है। बीते दिनों शहर की एक तस्वीर सोशल मीडिया पर वायरल हुई थी, जिसमें बहुमंजिला होटल धंसते हुए तिरछा होते दिखा था। होटल की ये हालत देख यहां आने वाले पर्यटक डरे हुए हैं। बता दें कि साल 2021 में यहां गांधीनगर में एकाएक मकानों में दरारें आनी शुरू हुईं, जो की बढ़ती गईं।
पहले तो इसे मानसून का असर माना गया, लेकिन धीरे-धीरे भूधंसाव का दायरा बढ़ता चला गया। अब मनोहर बाग, टीसीपी बाजार, नृसिंह मंदिर, दौडिल और रविग्राम समेत तमाम क्षेत्रों में मकानों में दरारें आ गई हैं। प्रशासन की ओर से कराए गए सर्वे में यहां के 559 मकानों, भूखंडों में गहरी, आंशिक दरारें दर्ज की गई हैं। वैज्ञानिकों की टीम भी शहर का सर्वेक्षण कर चुकी है। टीम ने नगर में जल निकासी और सीवरेज की निकासी की सही व्यवस्था न होने को इस भूधंसाव का प्रमुख कारण बताया था। जोशीमठ शहर में वर्ष 1970 के दशक से हल्का भू-धंसाव हो रहा है।