उत्तराखंड

जखोली विकासखण्ड में सुलगी नैलचामी पट्टी की आग..

ब्लाॅक मुख्यालय का नाम बदले जाने को लेकर जनता को किया गुमराह..

स्व सत्ये सिंह राणा ने रखी थी ब्लाॅक जखोली की नीव..

राणा के नाम से ब्लाॅक मुख्यालय जखोली का रखा जाना था नाम..

तथाकथित लोग अपनी कुंठित मानसिकता का दे रहे परिचय..

सीएम से अनुमोदन को निरस्त करने का किया गया है आग्रह: भंडारी..

 

 

 

रुद्रप्रयाग। विकासखण्ड जखोली का नाम परिवर्तित करने को लेकर किये जा रहे आंदोलन पर कटाक्ष करते हुए क्षेत्र पंचायत सदस्य भूपेन्द्र भंडारी ने कहा कि कुछ तथाकथित लोग जनता को भ्रमित करने का काम कर रहे हैं। उनकी ओर से जनता को कहा जा रहा है कि विकासखण्ड जखोली का नाम बदला जा रहा है, लेकिन ऐसा नहीं है। जिस व्यक्ति ने जखोली ब्लाॅक की नीव रखी, उनके नाम से जखोली ब्लाॅक मुख्यालय का नाम रखे जाने को लेकर सीएम पुष्कर सिंह धामी को पत्र भेजा गया था, जिस पर अनुमोदन मिल गया है। मगर अब सीएम से इस अनुमोदन को निरस्त करने को कहा गया है।

बता दें कि विकासखण्ड जखोली का नाम बदलने को लेकर कुछ तथाकथित जनप्रतिनिधियों एवं स्थानीय लोगों की ओर से आंदोलन किया जा रहा है और जनता को भ्रमित करने का भी काम किया जा रहा है। मामले में क्षेत्र पंचायत बैठक में भी ध्वनिमत से प्रस्ताव पारित करवाया गया। अब मामले में चुप्पी तोड़ते हुए क्षेत्र पंचायत सदस्य भूपेन्द्र भंडारी ने यहां जारी बयान में कहा कि जिस तरह से अगस्त्यमुनि विकासखण्ड का नाम मंदाकिनी रखा गया है और विकासखण्ड का नाम अगस्त्यमुनि ही है।

ठीक उसी प्रकार मात्र जखोली ब्लाॅक मुख्यालय का नाम स्वर्गीय सत्ये सिंह राणा के नाम पर होना था और ब्लाॅक का नाम यथावत जखोली विकासखण्ड ही रहना था। यही अनुमोदन मुख्यमंत्री से कराया गया था। जिस पर स्वीकृति मिलने के साथ ही पत्र भी जारी हो गया है, लेकिन कुछ तथाकथित जनप्रतिनिधियों और लोगों के विरोध के बाद अब इस पत्र को निरस्त करने को कहा गया है।

क्षेत्र पंचायत सदस्य भंडारी ने कहा कि टिहरी रियासत के महाराज नरेन्द्र शाह ने भी कहा था कि उनके क्षेत्र में एक होशियार व्यक्ति है, लेकिन दुर्भाग्य यही है कि वह सरकारी सेवा में हैं। स्वर्गीय सत्ये सिंह राणा गढ़वाल के प्रथम आईएएस अधिकारी के साथ वर्ष 1947 में कीर्तिनगर में डिप्टी कलक्टर भी रहे।

 

भंडारी ने बताया कि टिहरी के महाराजा नरेन्द्र शाह की इच्छा पर स्वर्गीय सत्ये सिंह राणा ने उस समय सरकारी सेवा से त्याग पत्र दे दिया और वे उत्तरकाशी व टिहरी के 72 पट्टियों के जिला परिषद अध्यक्ष भी बने। नैलचामी गांव के होने के बावजूद होने जखोली ब्लाॅक की नीव रखी, जबकि वे चाहते तो नैतचामी को ब्लाॅक बनाने को लेकर कार्यवाही करते, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया। जिस व्यक्ति को टिहरी महाराज नरेन्द्र शाह इतना पसंद करते थे और जिन्होंने जखोली ब्लाॅक की स्थापना की, उनके नाम से अगर ब्लाॅक जखोली मुख्यालय का नाम रखा जाता तो इसमें कौन सा नुकसान है।

 

क्षेत्र पंचायत सदस्य भूपेन्द्र भंडारी ने आश्चर्य व्यक्त करते हुए कहा कि जखोली ब्लाॅक प्रमुख ने जिस बात का कोई ना अनुमोदन ना प्रस्ताव हुआ, उस पर सदन से प्रस्ताव पारित करवा दिया, लेकिन जो मात्र मुख्यालय का नाम स्वर्गीय सत्ये सिंह राणा के नाम पर रखे जाने का प्रस्ताव था, उस पर एक भी शब्द नहीं बोला।

 

क्षेत्र पंचायत सदस्य भंडारी ने कहा कि वे चाहते थे कि बिना किसी सरकारी धन का व्यय किये ही मात्र एक स्वर्गीय सत्ये सिंह राणा के नाम पटिका ब्लाॅक मुख्यालय में लगाई जाय, जिससे इस ब्लाॅक के संस्थापक को सम्मान मिल सके। उन्होंने दुख जताया कि कुछ तथाकथित बुद्धिजीवियों द्वारा जनता को गुमराह करने का प्रयास किया जा रहा है कि विकासखण्ड का नाम परिवर्तित कर दिया गया है और इसमें से जखोली शब्द हटा दिया गया है।

 

ये लोग यहां तक कह रहे हैं कि अब विकासखण्ड के सभी संस्थानों जैसे महाविद्यालय, स्कूल, बैंक, तहसील आदि से जखोली का नाम हट जायेगा, जोकि सरासर झूठ है। ऐसा करने से ये लोग अपनी कुंठित मानसिकता का परिचय दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि अंजान व गुमराह किये गये लोगों की भावनाओं के सम्मान के खातिर मुख्यमंत्री से अनुमोदन पर शासनादेश जारी न करने का लिखित आग्रह किया गया है। कहा कि सच सामने आने पर जखोली की जनता गुमराह करने वालों को कभी माफ नहीं करेगी।

 

 

 

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