कैलाश मानसरोवर यात्रा पांच साल बाद फिर शुरू, इस बार खर्च में बड़ा इजाफा..
उत्तराखंड: पांच वर्षों के लंबे अंतराल के बाद कैलाश मानसरोवर यात्रा एक बार फिर शुरू होने जा रही है, लेकिन इस बार श्रद्धालुओं की जेब पर महंगाई की मार पड़ेगी। कुमाऊं मंडल विकास निगम (केएमवीएन) ने यात्रा के लिए शुल्क में भारी इजाफा किया है। जहां पहले यात्रियों को निगम को 35,000 चुकाने पड़ते थे, वहीं अब उन्हें 56,000 देने होंगे। इस बढ़ी हुई राशि में यात्रियों के आने-जाने, ठहरने और भोजन आदि की व्यवस्था शामिल होगी। इसके साथ ही मेडिकल जांच, चीन का वीजा, कुली, तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र और चीन सीमा में अलग से खर्च करना पड़ेगा। यात्रा की योजना तैयार कर रहे अधिकारियों का कहना हैं कि बढ़ी हुई परिवहन लागत, लॉजिस्टिक खर्च और अंतरराष्ट्रीय समन्वय के कारण यह वृद्धि अनिवार्य हो गई है। कैलाश मानसरोवर यात्रा भारत-चीन सीमा विवाद और कोविड-19 प्रतिबंधों के चलते बीते पांच वर्षों से स्थगित थी। अब जब यह दोबारा शुरू हो रही है, तो हजारों श्रद्धालु इस आध्यात्मिक और साहसिक यात्रा के लिए तैयार हैं, लेकिन उन्हें अतिरिक्त आर्थिक बोझ उठाना होगा।
इस पवित्र यात्रा का प्रबंधन कुमाऊं मंडल विकास निगम (केएमवीएन) द्वारा किया जाएगा। वर्ष 2019 के बाद यह पहली बार है जब श्रद्धालु इस आध्यात्मिक यात्रा पर निकलेंगे। इस वर्ष यात्रा 30 जून से प्रारंभ होगी। केएमवीएन ने जानकारी दी है कि यात्रा के लिए 50-50 यात्रियों के पांच जत्थे भेजे जाएंगे। यात्रा की व्यवस्था और योजना पहले से तैयार कर ली गई है। यात्रियों को इस बार पंजीकरण के साथ 56,000 की राशि केएमवीएन को चुकानी होगी। बता दे कि लिपुलेख दर्रा भारत-चीन सीमा पर स्थित है और केएमवीएन इसी मार्ग से कैलाश मानसरोवर यात्रा का संचालन करता है। भारत-चीन सीमा विवाद और कोविड-19 महामारी के चलते यात्रा 2019 के बाद से बंद थी, जो अब 2025 में फिर से शुरू हो रही है।
इसके साथ ही दिल्ली के हार्ट एंड लंग इंस्टीट्यूट में जांच, स्ट्रेस ईको, चीन का वीजा, भारतीय सीमा में कुली खर्च, टट्टू, उसके चालक का खर्च, सामूहिक कार्यकलापों में अंशदान, जत्थे के लिए रसोइया भाड़े पर लेने, अलग से खाद्य पदार्थ खरीदने, मेहनताना, तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र और चीन सीमा में अलग से खर्च करना पड़ेगा। यह खर्च विदेश मंत्रालय की गाइड लाइन के अनुसार होगा।
यात्रा का पहला पड़ाव होगा टनकपुर..
पहला जत्था दिल्ली से 30 जून 2025, दूसरा चार जुलाई, तीसरा आठ जुलाई, चौथा दल 31 जुलाई और अंतिम जत्था दिल्ली से चार अगस्त 2025 को रवाना होगा। यात्रा का पहला पड़ाव टनकपुर होगा। यहां से रात्रि विश्राम के बाद धारचूला जाएगा। यहां दो दिन यात्री ठहरेंगे। अगले पड़ाव पर नाभीढांग में श्रद्धालु दो दिन और विश्राम करेंगे। इसके बाद लिपुलेख दर्रे से श्रद्धालु तकलाकोट जाएंगे। वापसी में बूंदी, चौकोड़ी, गंगालीहाट, हाट कालिका, पाताल भुवनेश्वर, अल्मोड़ा, जागेश्वर, गोलज्यू मंदिर चितई, भीमताल और कैंचीधाम में दर्शन करेंगे। यात्रा अंत में काठगोदाम होते हुए दिल्ली लौटेगी। इस दौरान श्रद्धालु न केवल कैलाश के दर्शन करेंगे, बल्कि उत्तराखंड के प्रमुख तीर्थ स्थलों में भी पूजा-अर्चन का लाभ उठा सकेंगे। कैलाश मानसरोवर यात्रा पर जाने वाले श्रद्धालुओं को केएमवीएन को इस बार 56 हजार रुपये देने होंगे। इसके अलावा विदेश मंत्रालय की गाइडलाइन के अनुसार यात्री अन्य खर्च खुद वहन करेंगे।
