उत्तराखंड

डिजिटल क्रांति से हिंदी को मिली नई पहचान..

यूनिकोड फॉन्ट से सोशल मीडिया पर अभिव्यक्ति हुई आसान..

हिंदी के प्रति नई पीढ़ी में रुझान बढ़ा..

 

 

उत्तराखंड: डिजिटल क्रांति के युग में हिंदी का दायरा और बढ़ने लगा हैं । पहले अखबार, पत्रिकाएं, टीवी, सिनेमा, काव्य गोष्ठियां और साहित्य सम्मेलन ही हिंदी के प्रचार-प्रसार के बड़े माध्यम थे। लेकिन अब फेसबुक, ट्विटर, व्हाट्सएप और ब्लॉग भी हिंदी को समृद्ध बनाने के सशक्त माध्यम बनकर उभरे हैं।
हिंदी में जितनी सृजन और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता है शायद उतनी किसी और भाषा में नहीं हो सकती है।

 

खासकर यूनिकोड फॉन्ट आने के बाद लोगों के लिए हिंदी में लिखना-पढ़ना और सहज हो गया है। इससे पहले सोशल मीडिया में लोग हिंदी भी रोमन लिपि में लिखा करते थे। यही कारण है कि डिजिटल क्रांति के इस स्वर्णिम दौर में नई पीढ़ी का हिंदी के प्रति रुझान बढ़ा है।

 

हिंदी अब केवल आम बोलचाल और साहित्यिक भाषा नहीं रह गई है। बल्कि विज्ञान और सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में भी फलफूल रही है। कोरोना काल में हिंदी साहित्यकारों और कवियों को श्रोताओं से जुड़ने में सोशल मीडिया ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। योगनगरी के साहित्यकार सोशल मीडिया पर हिंदी के वर्चस्व को एक क्रांति के तौर पर देख रहे हैं। वहीं विचार विनिमय के आभाषी मंचों से जुड़े आम लोग भी अपनी भाषा पर गर्व कर रहे हैं।

 

 

सोशल मीडिया हिंदी के लिए बहुत सकारात्मक पहलू बन गया है। हिंदी के प्रति नई पीढ़ी में रुझान बढ़ा है। फेसबुक, व्हाट्सएप और ट्विटर पर युवाओं की हिंदी में लिखी गई अभिव्यक्ति और टिप्पणियों को पढ़कर मन में बड़ी प्रसन्नता होती है। सोशल मीडिया पर जो स्वदेशी भाषा में प्रचार प्रसार हो रहा है उससे हिंदी को संबल मिला है। अंग्रेजी अंतरराष्ट्रीय भाषा है। लेकिन हिंदी हमारे अस्तित्व की पहचान है। सरकार की अनुकूलता के चलते सोशल मीडिया पर को हिंदी बढ़ावा मिल रहा है। एक बार फिर हिंदी का स्वर्णिम दौर वापस लौट रहा है।

 

कोरोना काल में और लॉकडाउन के दौरान लोग अधिकांश अपने घरों में ही रहे। ऐसे में सोशल मीडिया के विभिन्न प्लेटफार्म के लोगों की सक्रियता बढ़ती। जब संक्रमण काल के चलते जब चारों तरफ निराश थी, इसी दौरान सोशल मीडिया पर हिंदी के प्रचार और प्रचार बड़े पैमाने पर बढ़ा। डिजिटल क्रांति में हिंदी के आगाज के समय साहित्यकारों और कवियों में भी एकजुटता दिखी। सोशल मीडिया से हिंदी को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी बड़ी पहचान मिली।

 

हिंदी के प्रति देश में चेतना पैदा हो रही है। सोशल मीडिया का इसमें बड़ा योगदान है। नई पीढ़ी सोशल मीडिया पर अधिक सक्रिय रहती है। ऐसे में अपनी मातृभाषा के प्रति प्रेम की मनोवृति उनका हिंदी के प्रयोग को लेकर रुझान बढ़ा है। पहले अखबारों, समाचार चैनलों, रेडियो और टीवी ने हिंदी के प्रचार प्रसार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। अब सोशल मीडिया भी यही काम कर रहा है। हालांकि सोशल मीडिया पर वर्तनी की अशुद्धियों को लेकर सुधार की जरूरत है।

 

 

 

Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

To Top