उत्तराखंड

राज्यपाल ने महिलाओं के लिए 30 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण विधेयक को दी मंजूरी..

राज्यपाल ने महिलाओं के लिए 30 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण विधेयक को दी मंजूरी..

 

 

 

 

 

 

 

प्रदेश की महिलाओं के आरक्षण विधेयक को मंगलवार को राज्यपाल ने मंजूरी दे दी हैं। राजभवन की मंजूरी के बाद महिला उम्मीदवारों को अब सरकारी नौकरियों में 30% क्षैतिज आरक्षण का कानूनी अधिकार मिल गया है।

 

 

 

 

 

उत्तराखंड: प्रदेश की महिलाओं के आरक्षण विधेयक को मंगलवार को राज्यपाल ने मंजूरी दे दी हैं। राजभवन की मंजूरी के बाद महिला उम्मीदवारों को अब सरकारी नौकरियों में 30% क्षैतिज आरक्षण का कानूनी अधिकार मिल गया है। इस बिल को 30 नवंबर, 2022 को राज्य विधानमंडल द्वारा सर्वसम्मति से अनुमोदित किया गया था, और फिर इसे राजभवन को सौंप दिया गया था। विधानसभा के शीतकालीन सत्र के दौरान सदन में पारित 14 बिलों, जिनमें अधिकतर संशोधित विधेयक थे, के साथ महिला आरक्षण बिल को भी राज्यपाल की मंजूरी मिलनी थी

राजभवन ने अधिकांश बिलों को मंजूरी दे दी, लेकिन महिला क्षैतिज आरक्षण बिल पर अभी भी बहस चल रही थी। कानून को मंजूरी देने से पहले राजभवन ने न्यायिक और कानूनी पेशेवरों से इसकी समीक्षा कराई थी। जिसके बाद बिल को मंजूरी मिलने में एक महीने का समय लग गया। महिला क्षैतिज आरक्षण अधिनियम को शीघ्र लागू करने की हाल ही में घोषणा मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने की थी। राजभवन के सूत्रों के मुताबिक राज्यपाल की मंजूरी के साथ विधेयक विधायी विभाग को भेज दिया गया है।

एनडी तिवारी सरकार ने किया था आदेश

आपको बता दे कि कांग्रेस के नारायण दत्त तिवारी सरकार ने 24 जुलाई, 2006 को राज्य सरकार के पदों पर उत्तराखंड की महिलाओं के लिए 30 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण की घोषणा की थी। इस आदेश का याचिकाकर्ताओं ने इस आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। इस वजह से हाईकोर्ट ने आदेश पर रोक लगा दी है।

याचिकाकर्ताओं के वकील ने तर्क दिया कि राज्य सरकार के पास राज्य में किसी व्यक्ति के निवास स्थान के आधार पर आरक्षण देने का अधिकार नहीं है। भारतीय संविधान के अनुसार, संसद केवल अधिवास के आधार पर रिजर्व बना सकती है। राज्य सरकार का 2006 का निर्देश संविधान के अनुच्छेद 14, 16, 19 और 21 का उल्लंघन करता है।

12 विधेयकों को मिली मंजूरी, दो शेष

राजभवन को 14 विधेयक मंजूरी के लिए भेजे गए थे। इनमें से महिला आरक्षण समेत 12 को मंजूरी मिल गई है। जबकि भारतीय स्टांप उत्तराखंड संशोधन विधेयक और हरिद्वार विश्वविद्यालय विधेयक को राजभवन से अभी मंजूरी नहीं मिली है।

 

 

 

 

 

 

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