बिना ढांचागत सुविधाओं के नई कमीश्नरी का क्या फायदा..
रुद्रप्रयाग: उत्तराखंड क्रांति दल ने गैरसैंण को वर्तमान परिस्थितियों में कमिश्नरी बनाने के सरकार के फैसले को हैरानी भरा बताते हुए कहा कि यह एक चुनावी जुमला मात्र है। जैसे सरकार ने ग्रीष्मकालीन राजधानी की बात कर उत्तराखंड के लोगों को बेवकूफ बनाने की कोशिश की, ठीक उसी तरह बिना ठोस कार्य योजना के अब गैरसैंण को मंडल मुख्यालय बनाने का फैसला गले नहीं उतर रहा है।उक्रांद के केन्द्रीय प्रवक्ता देवेन्द्र चमोली ने कहा कि जब गैरसैंण को वर्षों से जिला बनाने की मंाग जनता द्वारा की जा रही है। सरकार द्वारा गैरसैंण को जनपद न बनाकर मंडल मुख्यालय बनाने का फैसला शिगूफा मात्र है।
उन्होंने कहा कि सरकार पहले ये बताये कि गड़वाल कमिश्नरी पौड़ी देहरादून से क्यों संचालित हो रही है। राज्य बनने से पहले गढ़वाल मंडल मुख्यालय पौड़ी में खूब चहल कदमी होती थी, जो कि राज्य बनने के बाद सरकारों के देहरादून प्रेम की भेंट चढ़ गयी है। स्थिति यह है कि कमिश्नर का दफ्तर भी देहरादून शिफ्ट हो गया। ऐसे मे क्या नई कमिश्नरी गैरसैंण से सरकार चला पायेगी। सरकार यह भी बताये कि गैरसैंण में मंडल मुख्यालय के लिये आवश्यक आधारभूत ढ़ांचा कहां व कब तक तैयार होगा।
उक्रांद के केन्द्रीय प्रवक्ता देवेन्द्र चमोली एवं युवा नेता मोहित डिमरी ने कहा कि उत्तराखंड क्रांति दल ने पहाड़ के विकास का ठोस दस्तावेज 1992 में जनता के सामने रखा था, जिसमें उत्तराखंड में प्रस्तावित विकासखंड, जनपद मुख्यालय सहित मंडल मुख्यालय बनाने का भी स्पष्ट उल्लेख है। वर्तमान सरकार बिना सोचे समझे जनता को गुमराह करने का प्रयास कर रही है। यदि सरकार की मंशा साफ है तो वह पहले गैरसैंण को अलग जिला बनाये। क्योंकि जिले में जिलाधिकारी को बैठने की मजबूरी होगी, अन्यथा पौड़ी कमिश्नरी की तरह गैरसैंण कमिश्नरी भी देहरादून से ही संचालित होगी।