पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने खुद को बताया अभिमन्यु..
उत्तराखंड: पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत का दर्द अब छलकने लगा है। अब गाहे बगाहे उन्होंने इसका जिक्र करना भी शुरू कर दिया है। उनको अभी तक यही पता नही चल पा रहा है कि आखिर उन्हें हटाया क्यों गया ? खुद के कामो को ऐतिहासिक बताते हुए, खुद को ईमानदार छवि का नेता घोषित करते हुए कल एक कार्यक्रम में उन्होंने खुद के साथ हुए घटनाक्रम की तुलना अभिमन्यु से कर डाली। ऐसे में अब वो पार्टी आलाकमान पर ही अंगुलियां उठाने लगे हैं जोकि भाजपा के लिए चुनावी वर्ष में मुश्किलें खड़ी कर सकता है।
पूर्व सीएम त्रिवेंद्र रावत इतने खिलसे हुए हैं कि वो खुद को हटने के पीछे चक्रव्यूह व छल बता रहे हैं। क्या वाकई त्रिवेंद्र रावत को उनके सलाहकारों ने ये भी नही बताया कि उनके हटने के पीछे क्या क्या कारण हो सकते हैं ? ये समय त्रिवेंद्र रावत के लिए आत्ममंथन का है । उन्हें अपनी गलतियों पर बिंदुवार मंथन अवश्य करना चाहिए। सोशल मीडिया पर सबसे अधिक ट्रोल होने वाले मुख्यमंत्री भी त्रिवेंद्र रावत ही रहे हैं। उतरा बहुगुणा पंत अध्यापिका प्रकरण के बाद उनकी लोकप्रियता लगातार कम होती चली गयी । रही सही कसर हाईकोर्ट द्वारा उनके ख़िलाफ़ सीबीआई जांच के आदेश के बाद पूरी हुई जो मामला अभी भी सुप्रीमकोर्ट में विचाराधीन है। आजतक उत्तराखण्ड के किसी भी मुख्यमंत्री के ख़िलाफ़ इस प्रकार सीबीआई जांच के आदेश नहीं हुए।
वहीं उनके शासनकाल में पत्रकारों पर हुए फर्जी मुकदमे भी उनके गले की फांस बने। साथ ही बेरोजगारों को भी वो संतुष्ट नही कर पाए। उनके ही कार्यकाल में वन आरक्षी भर्ती परीक्षा में बड़ी धांधली भी हुई। नौकरशाही इतनी हावी रही कि लॉकडाउन में यूपी के विधायक अमनमणि लाव लश्कर के साथ बद्रीनाथ कूच कर गए। एक के बाद एक उनके क़ई आदेश ऐसे हुए जिन्हें ट्रोल होने के बाद उन्हें पलटना पड़ा। ऐसे में पार्टी हाईकमान ने जो भी फैसला लिया होगा पार्टी के हित मे ही लिया होगा। ऐसे में त्रिवेंद्र रावत का अपनी ही पार्टी पर सवाल उठाना भाजपा को असहज कर सकता है ।