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इस किसान ने इंजीनियर और वैज्ञानिक को भी कर दिया फेल, बना दी 30 मीटर ऊँचे पेड़ पर चढ़ने वाली बाइक..

इस किसान ने इंजीनियर और वैज्ञानिक को भी कर दिया फेल, बना दी 30 मीटर ऊँचे पेड़ पर चढ़ने वाली बाइक..

देश-विदेश: आवश्यकता ही आविष्कार की जननी होती है, इसी कहावत को सच करने में हमारे देश के किसान भी किसी इंजीनियर या वैज्ञानिक से पीछे नहीं हैं। भले ही उनके पास किसी कॉलेज और विश्वविद्यालय की डिग्री न हो लेकिन अनुभव का भंडार तो उन्हीं के पास होता है। वे अपने आस-पास की समस्याओं का हल अपनी ही तकनीक से निकालते हैं, इसलिए किसान से बड़ा शोधकर्ता कोई नहीं होता है। अपने छोटे-बड़े आविष्कारों के चलते आज हमारे देश में किसान-वैज्ञानिकों की कोई कमी नहीं।

 

आज हम आपको एक ऐसे किसान से मिलवाने जा रहे हैं, जिसके एक आविष्कार ने बहुत से किसानों की समस्याओं का हल निकाल दिया है। उस किसान का नाम है- गणपति भट। उन्होंने सुपारी के पेड़ पर चढ़ने के लिए खास ‘एरेका बाइक’ बनाई है। 60 वर्षीय गणपति भट का कहना हैं कि हम किसान परिवार से आते हैं। पढ़ाई के बाद से ही मैं अपने खेतों को संभालने लगा था। हमारे यहां नारियल और सुपारी के बहुत से पेड़ हैं और हमारे इलाके में यही कमाई का एकमात्र ज़रिया है। लेकिन पिछले कुछ सालों से पेड़ों पर चढ़कर नारियल और सुपारी तोड़ने वाले मजदूर नहीं मिलते हैं।” गणपति कहते हैं कि पलायन की वजह से उनके इलाके में किसानों को वक्त पर पेड़ों पर चढ़ने वाले माहिर लोग मिलना मुश्किल हो गया। वह खुद भी यह परेशानी झेल रहे थे। उन्होंने बताया कि अगर सही समय पर नारियल और सुपारी की फसल को नहीं तोड़ा जाता तो फल नीचे गिरकर बर्बाद हो जाता है।

 

गणपति बताते हैं कि पेड़ों पर चढ़ने वाले लोगों की कमी से जब खेती प्रभावित होने लगी तो उन्होंने सोचा कि दुनिया में इतनी मशीनें हैं तो क्या ऐसा कुछ नहीं बन सकता जिससे किसान बिना किसी डर से खुद पेड़ों पर चढ़ पाएं। लगभग दो साल की कड़ी मेहनत के बाद, पिछले साल गणपति को अपनी मशीन बनाने में सफलता मिली। उन्होंने सुपारी के पेड़ों पर चढ़ने के लिए ‘एरेका बाइक’ बनाई, जिसकी मदद से आप बिना किसी डर के पेड़ पर चढ़कर सुपारी तोड़ सकते हैं।

 

क्या है ‘एरेका बाइक’..

इस बाइक में उन्होंने 2 स्ट्रोक इंजन, हाइड्रोलिक ड्रम ब्रेक्स, हैंड गियर, और एक सेफ्टी बेल्ट का इस्तेमाल किया है। इस बाइक के जरिये आप 30 सेकेंड में 30 मीटर ऊँचे पेड़ पर चढ़ सकते हैं। साथ ही, इससे आपको न तो गिरने का डर है और न ही चोट लगने का।

गणपति का कहना हैं कि मैंने बाइक के मैकेनिज्म पर ही काम किया और पेट्रोल से चलने वाली यह बाइक बनाई। बाइक का वजन 28 किलोग्राम है और यह 80 किलोग्राम तक के वजन वाले इंसान का भार झेल सकती है। एक लीटर पेट्रोल में आसानी से 80 पेड़ों पर चढ़कर पेस्टीसाइड स्प्रे कर सकते हैं और फसल तोड़ सकते हैं। इस बाइक को बाज़ार में उतारने से पहले उन्होंने दो हज़ार से भी ज्यादा पेड़ों पर इसका परीक्षण किया, क्योंकि सुपारी के पेड़ के तनों की चौड़ाई बहुत अलग-अलग होती है। इस बाइक में उन्होंने सामान्य ब्रेक के साथ बैकअप ब्रेक सिस्टम भी लगाया है। यदि कभी भी किसी वजह से ब्रेक फेल हो जाता है तो यह बैकअप ब्रेक सिस्टम बाइक को और उसके ड्राइवर को नीचे नहीं गिरने देगा।

 

पिछले साल गणपति ने अपनी इस बाइक की एक वीडियो सोशल मीडिया पर पोस्ट की थी। वीडियो में उनकी बेटी इस बाइक को पेड़ पर चलाती हुई दिख रहीं थीं। यह वीडियो इतना वायरल हुआ कि देशभर के लोगों तक पहुंच गया। वीडियो वायरल होते ही उन्हें न सिर्फ भारत से बल्कि विदेशों से भी फ़ोन आने लगे। उन्होंने बाइक की मैन्युफैक्चरिंग के लिए शिमोगा की एक फर्म से टाई-अप किया है। उन्होंने इस बाइक का मूल्य 75 हजार रुपये रखा है, जिसमें वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) भी शामिल है। वह अब तक 1000 से भी ज्यादा बाइक बेच चुके हैं। वह बताते हैं कि उन्होंने लगभग 400 बाइक सिर्फ केरल और तमिलनाडु में बेचीं हैं।

 

गणपति ने बताया- “अभी मेरी कोशिश है कि इस बाइक में थोड़े बदलाव करके इसे नारियल के पेड़ों के लिए भी तैयार किया जाए। इसके साथ ही मैं चाहता हूँ कि हम मशीन की लागत कम कर पाएं। हालांकि, मैं किसानों को यह सलाह भी देता हूँ कि अगर आपकी खेती कम है तो वे तीन-चार किसान मिलकर एक मशीन खरीद सकते हैं। इससे उन पर पूरी लागत का भार भी नहीं पड़ेगा और उनका काम भी हो जाएगा।”

 

गणपति बताते हैं कि उनकी 14 एकड़ की ज़मीन पर सुपारी, नारियल और काली मिर्च की खेती है। अपने खेतों में काम को आसान करने के लिए उनके दिमाग में कोई न कोई आइडिया आता ही रहता है। अब दूसरे किसान भी अपनी समस्याओं के हल के लिए उनके पास आते हैं।

उन्होंने बताया कि जब मैंने शुरुआत की थी, तब ऐसा नहीं था। लोगों को लगता था कि मैं अपना वक़्त बर्बाद कर रहा हूँ। बहुत-सी चुनौतियाँ थीं, लोगों के साथ से लेकर पैसे तक की। मेरी अपनी कोई वर्कशॉप भी नहीं थी। मैं तो जैसे-तैसे अपने घर पर ही पुराने पार्ट्स से कोशिश में जुटा रहा और फिर एक दिन मेरी मेहनत रंग लाई।

 

गणपति ने अब अपने इस आविष्कार के लिए पेटेंट फाइल किया है। उनके पास विदेशी कंपनियों के भी ऑफर आए लेकिन उन्होंने सबको मना कर दिया। उनका कहना है- “मेरा उद्देश्य अपने किसान भाइयों की परेशानियों का निदान करना है। मुझे कोई रॉयलटी नहीं चाहिए। मैं चाहता हूँ कि मेरे सभी आविष्कार सबसे पहले हमारे अपने किसानों तक पहुंचे।”

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