उत्तराखंड

भू-कानून की ओर बढ़ रही है धामी सरकार..

भू-कानून की ओर बढ़ रही है धामी सरकार..

भूमाफियाओं पर शिकंजा कसने से क्या खाली नहीं होंगे पहाड़..

 

 

 

 

 

प्रदेश में भू-कानून को लेकर काफी समय से मांग उठ रही है। प्रदेश में भूमि पर अतिक्रमण को रोकने के लिए काफी प्रयास किए जा रहे हैं। इसी बीच शुक्रवार को हुई कैबिनेट की बैठक में भूमि अतिक्रमण को रोकने के लिए लाए गए प्रस्ताव को पास कर दिया गया है।

 

 

 

 

 

उत्तराखंड: प्रदेश में भू-कानून को लेकर काफी समय से मांग उठ रही है। प्रदेश में भूमि पर अतिक्रमण को रोकने के लिए काफी प्रयास किए जा रहे हैं। इसी बीच शुक्रवार को हुई कैबिनेट की बैठक में भूमि अतिक्रमण को रोकने के लिए लाए गए प्रस्ताव को पास कर दिया गया है। जिसके बाद ये माना जा रहा है कि जल्द ही धामी सरकार इसको लेकर अध्यादेश ला सकती है।

प्रदेश में जमीनों को अतिक्रमण मुक्त कराने की धामी सरकार बीते कुछ समय से तेजी से अभियान चला रही है। सरकारी जमीनों से भी अवैध कब्जे हटाए जा रहे हैं। प्रदेशभर से धार्मिक अतिक्रमणों को धवस्त किया जा रहा है। लेकिन फिर भी भूमाफियाओं पर शिकंजा कसने के लिए ये प्रयास कम पड़ते दिखाई दे रहे हैं। इसी बीच शुक्रवार को हुई कैबिनेट की बैठक में भूमि अतिक्रमण को रोकने के लिए लाए गए प्रस्ताव पर मुहर लगा दी गई है। जिसके बाद माना जा रहा है कि अब सरकार इसको लेकर अध्यादेश ला सकती है। जिसके बाद इसे विधानसभा के पटल पर रखा जाएगा और फिर प्रदेश में का नया कानून बन जाएगा।

10 साल तक की होगी सजा..

पहली बार उत्तराखंड, भूमि अतिक्रमण (निषेध) अध्यादेश में निजी भूमि को भी शामिल किया गया है। नए कानून के तहत इस तरह के मामलों की सुनवाई शिकायतकर्ता सीधे डीएम से कर सकेगा। इसके साथ ही इसमें आरोपी साबित होने पर न्यूनतम सात वर्ष या अधिकतम 10 वर्ष तक कारावास की सजा होगी। बता दें कि इस कानून में पीड़ित व्यक्ति को राहत देते हुए भूमि अतिक्रमणकर्ता या आरोपी पर ही मालिकाना हक साबित करने का भार डाला गया है।

लंबे समय से प्रदेश में उठ रही है भू-कानून की मांग..

इस प्रस्ताव को मंजूरी मिलने के बाद से अब उत्तराखंड में सरकारी, सार्वजनिक और निजी परिसंपत्तियों पर अनधिकृत कब्जा अथवा अतिक्रमण गैर जमानती और संज्ञेय अपराध माना जाएगा। इस फैसले के बाद से ऐसा लग रहा है कि धामी सरकार प्रदेश में भू-कानून को लाने के लिए आगे बढ़ रही है। भू-कानून समिति भी प्रदेश में जमीन की खरीद फरोख्त पर नियंत्रण की पैरवी कर चुकी है। प्रदेश में लगातार हिमाचल की तरह ही उत्तराखंड में भी भू-कानून की मांग की जा रही है। इस मामले के तूल पकड़ने के बाद सीएम धामी ने भू-कानून के अध्ययन एवं परीक्षण के लिए उच्च स्तरीय समिति गठित की थी। जिसके बाद ये इस समिति ने अपनी रिपोर्ट भी सरकार को सौंप दी है।

सीएम धामी के भू-कानून लाने की चर्चाएं तेज..

शुक्रवार को कैबिनेट बैठक में भूमि अतिक्रमण पर रोक लगाने के लिए प्रस्ताव को मंजूरी मिलने के बाद से प्रदेश में भू-कानून को लाने की चर्चाएं तेज हो गई हैं। माना जा रहा है कि धामी सरकार भू-कानून की ओर आगे बढ़ रही है। माना जा रहा है कि अगर उत्तराखंड में भू-कानून आ जाता है तो काफी हद तक पलायन को रोकने में मदद मिल सकती है। पलायन रूकने से पहाड़ के लोगों को पहाड़ पर ही रोजगार मिलने की भी संभावना है। अब देखना ये है कि क्या धामी सरकार भू-कानून लाती है या नहीं? इसके साथ ही देखना ये भी होगा कि अगर भू-कानून लाया जाता है तो क्या प्रदेश में भू-माफियाओं पर पूरी तरह से रोक लगाने में सफलता मिलेगी।

 

 

 

 

 

 

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