उत्तराखंड

तीर्थ पुरोहितो को लेकर BJP सोशल मीडिया में फैला रही झूठी खबर..

तीर्थ पुरोहितो को लेकर BJP सोशल मीडिया में फैला रही झूठी खबर..

 

उत्तराखंड: देवस्थानम बोर्ड एक बड़ा मुद्दा बन चुका है तो दूसरी तरफ, बद्रीनाथ मास्टर प्लान को लेकर भी विरोध के सुर भड़क चुके हैं. इसी सिलसिले में मंगलवार को देवप्रयाग के विधायक विनोद कंडारी और केदारनाथ की पूर्व विधायक शैलारानी रावत उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से मुलाकात करने पहुंचे । जिसमे आश्वासन देते हुए धामी ने कहा कि किसी के हित के साथ कोई खिलवाड़ नहीं होगा। पूर्व विधायक शैलारानी रावत का कहना हैं कि उनके नेतृत्व में दोनों धामों का पुरोहित समुदाय एकजुट होकर उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से मुलाकात करने पहुंचे। जो की सरासर झूठी खबर हैं।

 

तीर्थ पुरोहितों ने कहा कि केदारनाथ तीर्थ पुरोहित समाज से कोई भी शीर्ष मंडल पूर्व विधायक शैला रानी रावत के साथ देवरस्थानम् बोर्ड के संबंध में वार्ता करने के लिए नहीं गया था। फेसबुक व सोशियल मीडिया के माध्यम से मालूम हुआ कि केदारनाथ के तीर्थपुरोहित माननीय मुख्यमंत्री के साथ वार्ता कर रहे हैं। जो कि सरासर झूठ हैं। मीडिया को सोच समझ कर बयान देना चाहिए।

 

यह सब सोशल मीडिया और फेसबुक पर झूठी खबर हैं। पूर्व विधायक शैला रानी रावत को और न्यूज़ पोर्टल इस बात का खंडन करना चाहिए कि श्री केदारनाथ धाम के कोई भी तीर्थ पुरोहित मा० मुख्यमंत्री से नहीं मिले यदि उन्होने इस खबर का खंडन नही किया तो केदारनाथ के तीर्थपुरोहित का कहना हैं कि उन पर क़ानूनी कार्यवाही की जायेगी।

 

चरोधामो के तीर्थ पुरोहित समाज व हकहकूम धारी और होटल व्यसायी जहा एक और इस काले कानून का विरोध जोरों से कर रहे हैं। वही आगामी विधानसभा चुनाव 2022 में भाजपा पुर जोर विरोध करेंगे।


वही एक और देवस्थानम बोर्ड के विरोध में तीर्थ पुरोहितों औऱ हकूकधारियो का धरना प्रदर्शन लगातार जारी है। तीर्थ पुरोहितों द्वारा बोर्ड के विरोध में भाजपा सरकार को तीर्थ पुरोहितों ने श्राप भी दिया। केदारनाथ में पंडा पुरोहितों का कहना हैं कि हम भाजपा सरकार को श्राप देते हैं कि तुम दुबारा कभी सत्ता मे नही आओगे , तुम्हारा जड़ मूल नाश हो जाएगा ।  वही दूसरी और पूर्व  विधायक शैलारानी रावत का कहना हैं कि उनके नेतृत्व में दोनों धामों का पुरोहित समुदाय एकजुट होकर उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से मुलाकात करने पहुंचे।

 

इतिहास के पाने एक बार फिर पलटे हैं। इतिहास ख़ुद को दोहरा रहा है। सन 1906-07 में किशन सिंह और अजीत सिंह (शहीद भगत सिंह के पिता और चाचा) ने अंग्रेजों के तीन काले कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ आंदोलन खड़ा किया था, जिन्हें बाद में अग्रजों को वापस लेना पड़ा। और आज देवस्थानम बोर्ड को लेकर तीर्थ पुरोहित भी आंदोलन करने को मजबूर हो रखे हैं। उनका कहना हैं कि जब तक सरकार देवस्थानम बोर्ड को भंग नहीं करती तब तक इनका आंदोलन जारी रहेगा।

 

 

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