तो आखिर इन वजहों से कोठियाल सहित कई नेताओं ने छोड़ी आम आदमी पार्टी..
उत्तराखंड: कर्नल कोठियाल (सेनि.) के भरोसे आम आदमी पार्टी ने विधानसभा चुनाव की जंग में भाजपा और कांग्रेस के राजनीतिक साम्राज्य में सेंध लगाने के मंसूबे पाले थी, वे अब पराजय के साथ ही धराशायी हो गए हैं। विधानसभा में चुनावी मात के बाद अब कर्नल कोठियाल ने भी आम आदमी पार्टी को नमस्ते कर दिया है।
हार से आहत आम आदमी पार्टी हिमाचल विधानसभा चुनाव में नई संभावनाओं को अभी ठीक से बुन भी नहीं पाई थी कि उत्तराखंड में उसके बड़े स्तंभ उससे जुदा हो गए। लगातार जारी आम आदमी पार्टी से मोहभंग का यह सिलसिला उसके लिए किसी बड़े झटके से कम नहीं माना जा रहा है।
आपको बता दे कि उत्तराखंड में आम आदमी पार्टी को सत्ता में लाने के लिए केजरीवाल ने कर्नल अजय कोठियाल (सेनि.) और संगठन की मजबूती के लिए भूपेश उपाध्याय पर भरोसा जताया था। लेकिन दोनों ही नेताओं ने पार्टी छोड़ दी। चुनाव में पार्टी को मिली करारी शिकस्त के बाद पार्टी ने प्रदेश संगठन के साथ सभी प्रकोष्ठों को भंग कर नए सिरे से संगठन बनाया। जिससे पार्टी में अप्रत्यक्ष रूप से विरोध की चिंगारी सुलगने लगी थी।
कर्नल कोठियाल और भूपेश उपाध्याय ने पार्टी छोड़ने का फैसला लिया। आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक एवं दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने उत्तराखंड नवनिर्माण का नारा देकर कर्नल कोठियाल पर पार्टी को सत्ता में भरोसा जताया था। साथ ही कर्नल कोठियाल को उनकी पंसद के अनुसार गंगोत्री विधानसभा सीट से चुनाव भी लड़ाया था।
वहीं, चुनाव से पहले कपकोट से भूपेश उपाध्याय को कार्यकारी अध्यक्ष की बागडोर सौंपी थी। आम आदमी पार्टी से सियासी सफर शुरू करने वाले कर्नल कोठियाल पार्टी में रहते हुए लंबी पारी नहीं खेल पाए। एक साल के भीतर ही उन्होंने पार्टी छोड़ दी। एक साल के भीतर कई नेता आम आदमी पार्टी का साथ छोड़ चुके हैं।
उत्तराखंड चुनाव के बाद आम आदमी पार्टी का हिमाचल में फोकस है। आप की पूरी टीम हिमाचल के सियासी जाल बुनने में जुटी है। इस बीच कर्नल कोठियाल और भूपेश उपाध्याय के इस्तीफे से आम आदमी पार्टी को बड़ा सियासी झटका लगा है।