कांग्रेस में लौटने के बाद सरकार ने यशपाल आर्य को कैबिनेट से हटाया..
मुख्यमंत्री के पास रहेंगे विभाग..
उत्तराखंड: सरकार ने भाजपा छोड़कर कांग्रेस में गए यशपाल आर्य को प्रदेश मंत्रिमंडल से हटा दिया है। हालांकि आर्य ने कांग्रेस में शामिल होने से पहले मुख्यमंत्री को अपना इस्तीफा भेज दिया था, लेकिन सरकार ने उनका इस्तीफा स्वीकार नहीं किया। मुख्य सचिव डॉ.एसएस संधू ने यशपाल आर्य को पद मुक्त करने की अधिसूचना जारी की। आर्य के पास परिवहन समाज कल्याण, अल्पसंख्यक कल्याण, छात्र कल्याण, निर्वाचन व आबकारी मंत्रालय थे। राज्यपाल ने मुख्यमंत्री की सलाह पर यह भी आदेश दिए कि आर्य के आवंटित विभाग व विषय मुख्यमंत्री के पास अतिरिक्त कार्य प्रभार के रूप में रहेंगे।
आर्य के जाने से कोई भी असर नहीं पड़ेगा-भाजपा..
कैबिनेट मंत्री यशपाल आर्य के पार्टी छोड़ने पर प्रदेश भाजपा का कहना हैं कि व्यक्तिगत स्वार्थों की वजह से कोई पार्टी छोड़कर जाता है तो उसे कौन रोक सकता है। इसकी वजह व्यक्तिगत स्वार्थ और बड़ा पद पाने की लालसा है। पार्टी के प्रदेश मीडिया प्रभारी मनवीर सिंह चौहान ने कहा कि भाजपा एक कैडर बेस पार्टी है। पार्टी के बूथ स्तर तक कार्यकर्ता हैं। किसी के पार्टी छोड़कर जाने से भाजपा को कोई असर नहीं होगा।
पार्टी 60 प्लस के लक्ष्य को पूरा करेगी। कहा कि भाजपा विश्व की सबसे बड़ी पार्टी है। भाजपा में राष्ट्र हित और व्यक्तिगत हित में से किसी एक को चुनना होता है। जो व्यक्ति अपने व्यक्तिगत हित को सर्वोपरि रखेगा, उसे भाजपा में समस्या आनी ही आनी है। पार्टी मीडिया प्रभारी का कहना हैं कि कुछ समान विचारधारा के विपक्षी नेता भी भाजपा के संपर्क में हैं और पार्टी उनका स्वागत करेगी। पहले भी भाजपा की विचार और विकासपरक सोच के चलते कई लोग भाजपा में शामिल हुए हैं।
जाने वाले को कहां रोक सका है कोई-धामी..
कैबिनेट मंत्री यशपाल आर्य व उनके विधायक बेटे संजीव आर्य के भाजपा छोड़ने पर मुख्यमंत्री ने कहा कि शायद उनके व्यक्तिगत हित सामने आ गए होंगे। मुख्यमंत्री आवास स्थित जनता दर्शन हाल में एक कार्यक्रम के दौरान सीएम से मीडिया कर्मियों ने यशपाल आर्य के पार्टी छोड़ने से जुड़ा प्रश्न पूछा। इस पर मुख्यमंत्री का कहना हैं कि हमेशा हम लोगों ने सभी का सम्मान किया है। आदर किया।
हमने परिवार माना है। भाजपा परिवार में राष्ट्र प्रथम है, पार्टी द्वितीय है और व्यक्तिगत अंतिम का सिद्धांत है। जिनको इसमें परेशानी होती होगी, हो सकता है उनके व्यक्तिगत हित ज्यादा आगे आ जाते होंगे, तो वह भाजपा में असहज हो जाते होंगे। मैं समझता हूं कि उनका व्यक्तिगत हित आगे आ गया होगा। अंत में उन्होंने शायराना अंदाज में दो पंक्तियां पढ़ीं। ‘जाने वाले को कहां रोक सका है कोई, तुम चले हो तो रोकना वाला भी नहीं कोई।