देश/ विदेश

ब्लड ग्रुप A को भी बनाया यूनिवर्सल डोनर..

वैज्ञानिकों ने बैक्टीरियल एंजाइम का उपयोग करके ब्लड ग्रुप A को यूनिवर्सल डोनर बनाया..

वैज्ञानिकों ने इंसानों के आंत कुछ माइक्रोब्स की खोज की है जिसमें दो तरह के एंजाइम निकलती है..

देश-विदेश: कनाडा के वैज्ञानिकों ने एक बड़ा कारनामा कर दिखाया है. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार वैज्ञानिकों ने एक खास तरह के बैक्टीरियल एंजाइम का उपयोग करके ब्लड ग्रुप A (Blood Group A) को यूनिवर्सल डोनर बनाया हैं। इसका मतलब यह है कि अब दुनिया में ब्लड ग्रुप O ही यूनिवर्सल डोनर नहीं रह गया हैं। वैज्ञानिकों के इस प्रयास से अब अस्पतालों में खून की कमी से होने वाली मौतों पर रोक लग सकेगी। वैज्ञानिकों की इस उपलब्धि से आम आदमी को कई फायदे होने की संभावना जताई जाने लगी हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार अकेले अमेरिका में ऑपरेशन, रूटीन ट्रांसफ्यूजन आपातकालीन सर्जरी के लिए साढ़े 16 हजार लीटर खून की जरूरत पड़ती हैं। आपको बता दें कि एक सफल ट्रांसफ्यूजन के लिए यह जरूरी है मरीज के खून से डोनर का ब्लड ग्रुप मिल रहा हो।

 

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार वैज्ञानिकों ने इंसानों के आंत कुछ माइक्रोब्स की खोज की है जिसमें दो तरह के एंजाइम निकलती है. वैज्ञानिकों ने इन एंजाइम्स की मदद के जरिए ब्लड ग्रुप ए को यूनिवर्सल डोनर में बदलने का सफल कारनामा कर दिखाया हैं। मैरीलैंड स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ क्लीनिकल सेंटर के ब्लड ट्रांसफ्यूजन एक्सपर्ट हार्वे क्लेन का कहना है कि इस तरह का शोध पहली बार किया गया है अगर यह बड़े पैमाने पर सफल होती है तो यह मेडिकल साइंस के क्षेत्र में बड़ा योगदान होगा।

 

आपको बता दे कि इंसान में चार तरह के ब्ल्ड ग्रुप A, B, AB, O होते हैं। इन ब्लड ग्रुप को लाल रक्त कोशिकाओं में मौजूद शुगर मॉलीक्यूल्स कणों की वजह से पहचाना जाता है। अस्पतालों में खून की जरूरत सबसे ज्यादा होती है। ऑपरेशन थियेटर में एक्सीडेंट के पीड़ितों को ब्लड ग्रुप जांचने का समय नहीं होता है ऐसे में युनिवर्सल डोनर वाले खून की मांग ज्यादा रहती है। एक मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार जानकारों का कहना है कि अमेरिका समेत दुनियाभर में ब्लड ग्रुप ओ की कमी लगातार बनी रहती है।

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