संविदा और आउटसोर्स भर्तियों पर पूर्ण प्रतिबंध, चयन आयोग से ही होंगी नियुक्तियाँ..
उत्तराखंड: यह निर्णय प्रदेश सरकार की भर्ती प्रक्रिया को अधिक पारदर्शी और नियमित बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा सकता है। संविदा, आउटसोर्स, दैनिक वेतन, अंशकालिक, नियत वेतन व तदर्थ नियुक्तियों पर पूर्ण प्रतिबंध लगाकर सरकार ने यह स्पष्ट संकेत दिया है कि अब सिर्फ चयन आयोगों के माध्यम से नियमित नियुक्तियाँ ही मान्य होंगी। इस फैसले से भ्रष्टाचार व मनमानी भर्तियों पर रोक लगेगी, साथ ही योग्य उम्मीदवारों को समान अवसर मिलेगा, प्रशासनिक जवाबदेही बढ़ेगी, क्योंकि अब किसी भी अनियमित भर्ती के लिए अधिकारियों की व्यक्तिगत जिम्मेदारी तय की जाएगी।
उत्तराखंड के मुख्य सचिव आनंद बर्द्धन ने प्रदेश में सभी प्रमुख सचिव, सचिव, मंडलायुक्त और जिलाधिकारियों को एक आदेश जारी किया है, जिसमें संविदा, आउटसोर्स, दैनिक वेतन, अंशकालिक, नियत वेतन, और तदर्थ भर्तियों पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया गया है। मुख्य सचिव का कहना हैं कि छठे वेतन आयोग की सिफारिशों के बाद, चतुर्थ श्रेणी के पदों को समाप्त कर दिया गया था, और उन पदों की पूर्ति के लिए समय-समय पर आउटसोर्स के माध्यम से कर्मचारियों की तैनाती की जाती रही है। इसके साथ ही, विभागों में नियमित भर्तियों में होने वाले विलंब के कारण भी आउटसोर्स और संविदा भर्तियों को बढ़ावा मिला। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि अब से रिक्त नियमित पदों पर भर्ती के लिए केवल चयन आयोग के माध्यम से ही नियुक्तियाँ की जाएंगी। यदि कोई विभाग या अधिकारी इस आदेश का उल्लंघन करता है और आउटसोर्स या संविदा कर्मचारियों को नियुक्त करता है, तो उसके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी।
उत्तराखंड में आउटसोर्स और संविदा नियुक्तियों पर हालिया प्रतिबंध के पीछे सरकार के सामने उभरी कानूनी और प्रशासनिक जटिलताएँ भी एक बड़ी वजह रही हैं। 27 अप्रैल 2018 और 29 अक्टूबर 2021 को शासनादेश जारी कर प्रदेश में शासकीय कार्य के सरलीकरण और मितव्ययता का उद्देश्य रखा गया था। इन आदेशों के तहत कुछ विभागों ने आउटसोर्सिंग को प्राथमिकता दी, लेकिन नियमित चयन होने के बावजूद कई पदों पर आउटसोर्स कर्मियों की नियुक्तियाँ जारी रहीं। जब नियमित कर्मचारियों की तैनाती की प्रक्रिया शुरू की गई, तो आउटसोर्स कर्मचारियों ने न्यायालयों से स्थगन आदेश (Stay Order) ले लिए। इससे नियमित नियुक्तियों में बाधा उत्पन्न हो रही है। कई विभागों में न्यायालय की अवमानना की स्थिति बन रही है। न्यायिक दखल के कारण प्रशासनिक निर्णयों में असमंजस की स्थिति पैदा हो रही है। इसके साथ ही, आउटसोर्स व संविदा कर्मचारी अपनी नियमितीकरण की मांग को लेकर न्यायालयों में वाद दाखिल कर रहे हैं, जिससे राज्य सरकार पर कानूनी दबाव भी बढ़ रहा है। मुख्य सचिव आनंद बर्द्धन के ताजा आदेश के पीछे यही स्पष्ट मंशा है कि इस भ्रम की स्थिति को खत्म कर प्रदेश में सिर्फ चयन आयोगों के माध्यम से पारदर्शी व नियमित नियुक्तियाँ सुनिश्चित की जाएं।
लिहाजा तय किया गया है कि पूर्व के शासनादेश अब संशोधित समझे जाएंगे। किसी भी विभाग में नियमित रिक्त पदों के सापेक्ष संविदा, आउटसोर्स या अन्य इस तरह की कोई भर्ती पूर्णरूप से प्रतिबंधित रहेगी। रिक्त नियमित पदों पर नई भर्तियों के लिए संबंधित चयन आयोग को अधियाचन भेजने होंगे। अगर किसी अधिकारी ने संविदा-आउटसोर्स भर्तियां कीं तो इसे उसकी व्यक्तिगत जिम्मेदारी मानते हुए अनुशासनिक कार्रवाई की जाएगी।
समय से भेजें अधियाचन, समीक्षा भी होगी..
मुख्य सचिव आनंद बर्द्धन द्वारा जारी आदेश में स्पष्ट किया गया है कि अब सिर्फ चयन आयोगों के माध्यम से ही नियमित रिक्त पदों पर भर्तियाँ की जाएंगी। उन्होंने कहा कि पूर्व के शासनादेश संशोधित माने जाएंगे और किसी भी रूप में वैकल्पिक भर्तियाँ प्रतिबंधित रहेंगी। मुख्य सचिव ने सभी विभागाध्यक्षों को निर्देश दिए हैं कि वे नियमित पदों की सभी रिक्तियों का समय पर आकलन करें। भर्ती के लिए अधियाचन संबंधित चयन आयोग को भेजें। चयन आयोगों से समन्वय बनाकर समय से नियुक्ति प्रक्रिया पूरी कराएं। इस पूरी प्रक्रिया की नियमित समीक्षा करें। आदेश में यह भी कहा गया है कि यदि कोई अधिकारी इन निर्देशों की अवहेलना करते हुए संविदा या आउटसोर्स भर्तियाँ करता है, तो उसे व्यक्तिगत जिम्मेदार मानते हुए उसके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी।
