वेतन वृद्धि न होने से नाराज संस्कृत महाविद्यालय के अध्यापकों ने खोला मोर्चा
पांच, दस, पंद्रह वर्ष की सेवा के बाद संस्कृत महाविद्यालय के अध्यापकों का वेतन नहीं बढ़ा।
विधि अधिकारी को पांच वर्ष की स्थायी सेवा के बाद रिटायरमेंट के बाद पेंशन का लाभ..
केदारनाथ: बद्रीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति संस्कृत महाविद्यालय और संस्कृत विद्यालयों के उत्थान के नारे लगाती है। कर्मचारियों के वेतन, पुस्तकालय के लिए दानी दाताओं से दान प्राप्त करती रही है। अपनी उपलब्धियों में संस्कृत महाविद्यालयों का उन्नयन मुख्य उद्देश्य बताया गया है, लेकिन संस्कृत महाविद्यालयों के संविदा अध्यापकों को लम्बी सेवाओं के बाद भी वेतन का लाभ नहीं दिया जा रहा है, जबकि कई सिफारिशी कर्मचारियों की वेतन चार हजार से चालीस हजार हो गयी है। इस मामले में मंदिर समिति अध्यक्ष अजेंद्र अजय ने संस्कृत महाविद्यालय के अध्यापकों का अप्रैल फूल बना दिया है।
दस्तावेज बता रहे हैं कि मंदिर समिति अध्यक्ष के आदेश वेतन वृद्धि के तो हैं, लेकिन वेतन वृद्धि नहीं हुई और ना ही सुनवाई हो रही है। इस तरह मंदिर समिति अध्यक्ष अजेंद्र अजय ने संस्कृत महाविद्यालय के अध्यापकों का अप्रैल फूल बना दिया, जिससे सभी हैरत में हैं। संस्कृत महाविद्यालय के संविदा अध्यापकों का कहना है कि एक तरफ दबंग विधि अधिकारी पांच साल की स्थायी सेवा के बाद पेंशन पा गया। इतना ही नहीं रिटायरमेंट के बाद 70 हजार की संविदा नियुक्ति भी मिल गयी। काम के नाम पर कुछ नहीं। न्यायालयों में किराये के वकील पैरवी कर रहे हैं। यह सब भगवान बद्री विशाल का आशीर्वाद है, लेकिन संस्कृत महाविद्यालय और विद्यालयों के अध्यापकों पर भगवान मेहरबान नहीं है और ना ही मंदिर समिति अध्यक्ष मेहरबान हैं।
संस्कृत महाविद्यालय जोशीमठ, कमेड़ा, सिमली, किमोठा, विद्यापीठ गुप्तकाशी के संविदा अध्यापकों ने पत्र लिखकर मंदिर समिति अध्यक्ष की दोहरी नीति तथा झूठ को उजागर किया। संस्कृत महाविद्यालय के अध्यापकों ने मंदिर समिति अध्यक्ष अजेंद्र अजय को धिक्कारने हुए कहा कि क्या उनके संज्ञान में नहीं है कि 5, 10 से 15 वर्ष सेवा के बाद भी वेतन का लाभ नहीं मिला है। उनका आरोप है कि मंदिर समिति अध्यक्ष की दोहरी नीति तथा झूठ सामने आ गया है। यह निरंकुशता है कि मंदिर समिति के कर्मचारियों को वेतन वृद्धि दी गई, लेकिन संस्कृत विद्यालयों के अध्यापकों की सुध लेने वाला कोई नहीं है। अध्यापकों ने आरोप लगाया कि अगर संस्कृत महाविद्यालय के अध्यापकों के साथ न्याय नहीं हुआ तो किसी अन्य के साथ न्याय की क्या उम्मीद की जा सकती है।
वैसे भी मंदिर समिति में घोर अराजकता है। मंदिर समिति के पास केदारनाथ में संपत्ति के नाम पर तीन चार हट हैं। अब बद्रीनाथ में भी मंदिर समिति के हाथ से सब कुछ निकल चुका है, जिसके लिए मंदिर समिति पहल नहीं कर रही है। मंदिर समिति की देश भर में करोड़ों नहीं, अरबों की भू संपत्ति है। लेकिन कुछ मामलों में मंदिर समिति के पास दाननामा तक के रिकार्ड मौजूद नहीं है, जिससे रामनगर, देहरादून, महाराष्ट्र, लखनऊ यहां तक कि बद्रीनाथ एवं जोशीमठ तक मंदिर समिति की भूमि पर अवैध कब्जे हैं। दूसरी ओर मंदिर समिति में नूराकुश्ती चल रही है। मंदिर समिति अध्यक्ष कर्मचारियों से दो-दो हाथ कर रहे हैं, जिसका ताजा उदाहरण विशेष कार्याधिकारी को चैकीदार दिखाने का भी मामला उजागर हुआ है। बैकडोर की नियुक्तियों, चैलाई लडू मामला, बद्रीनाथ पूजा काउंटर में चोरी पर शासन ने एसआईटी या सीबीआई जांच बिठायी तो मंदिर समिति में कोई नहीं बच पायेगा।
