उत्तराखंड

गुलदार के आदमखोर घोषित न होने पर आक्रोश में महिलाएं..

गुलदार के आदमखोर घोषित न होने पर आक्रोश में महिलाएं..

सोमवार को करेंगी वन विभाग और जिलाधिकारी कार्यालय का घेराव..

स्थानीय जनता के साथ खड़ा है क्षेत्रीय दल यूकेडी मोहित डिमरी..

 

 

 

रुद्रप्रयाग। बड़मा क्षेत्र के बष्टा में आतंक का पर्याय बने गुलदार को आदमखोर घोषित न किये जाने और प्रभावित क्षेत्र में शूटर की तैनाती न होने पर स्थानीय महिलाओं में आक्रोश बना हुआ है। आक्रोशित महिलाओं ने आगामी 18 जुलाई को वन विभाग कार्यालय और जिलाधिकारी कार्यालय घेरने का निर्णय लिया है।
दरअसल, चार दिन पूर्व वन विभाग की उत्तरी रेंज जखोली के बष्टा गांव में एक आठ वर्षीय बालक को गुलदार ने अपना निवाला बना दिया था। घटना के बाद से ग्रामीण खौफजदा हैं। उन्हें इस बात का डर सता रहा है कि कहीं कोई एक और अनहोनी न हो जाय।

 

ग्रामीण महिला मीना देवी, उर्मिला देवी, पुष्पा देवी, विनीता देवी, कांता देवी का कहना है कि अब महिलाएं घास लेने जंगल जाने से कतराने लगी हैं। अगर जंगल नहीं जाएंगे तो मवेशियों के लिए चारे की व्यवस्था कैसे करेंगे। स्कूली बच्चे स्कूल जाने से डर रहे हैं। स्कूल जाने के लिए जंगल से होकर गुजरना पड़ता है। गांव में पानी के प्राकृतिक स्रोत भी दूर हैं। हर समय गुलदार का भय बना रहता है। उन्होंने प्रभावित क्षेत्र में सोलर लाइट लगाने की भी मांग की। साथ ही स्कूली बच्चों के लिए बस सेवा शुरू करने की मांग की। महिलाओं ने कहा कि वन विभाग एक और घटना का इंतजार कर रहा है। अब किसी भी तरह की घटना होती है तो इसके लिए वन विभाग पूरी तरह जिम्मेदार रहेगा।

वन विभाग सिर्फ खानापूर्ति कर रहा है। एक पिंजरा और दो कैमरे लगाने के सिवाय वन विभाग का कोई कर्मचारी प्रभावित क्षेत्र में नहीं है। महिलाओं ने कहा कि गुलदार को आदमखोर घोषित नहीं किया गया तो बड़ी संख्या में महिलाएं सोमवार को वन विभाग और जिलाधिकारी कार्यालय का घेराव करेंगी। सामाजिक कार्यकर्ता कुंवर सिंह रावत ने कहा कि गुलदार को आदमखोर घोषित करने की मांग को लेकर जनप्रतिनिधियों ने जिलाधिकारी से भी मुलाकात कर ज्ञापन दिया था, लेकिन कोई कार्रवाई नही हुई।

वहीं उत्तराखंड क्रांति दल के नेता मोहित डिमरी ग्रामीणों की समस्या सुनने मौके पर पहुंचे। उन्होंने कहा कि जंगली जानवरों से बचाव के लिए आज तक सरकार कोई नीति नहीं बना पाई है। पहाड़ की समस्याओं को लेकर सरकार का कोई सरोकार नहीं है। सवाल यह है कि आखिर कब तक हमारे लोग इसी तरह जंगली जानवरों का शिकार बनते रहेंगे? उन्होंने कहा कि जनता का आक्रोश जायज है और संकट की इस घड़ी में उत्तराखंड क्रांति दल ग्रामीणों के साथ खड़ा है। जल्द ही गुलदार को आदमखोर घोषित नहीं किया गया तो उत्तराखंड क्रांति दल आंदोलन के लिये मजबूर हो जाएगा।

 

 

 

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