उत्तराखंड

30 अक्तूबर तक नहीं करेंगे इंतजार, शुरू होगा आंदोलन-तीर्थ पुरोहितों..

30 अक्तूबर तक नहीं करेंगे इंतजार, शुरू होगा आंदोलन-तीर्थ पुरोहितों..

तीर्थ पुरोहितों का सरकार पर वादाखिलाफी का आरोप..

 

 

उत्तराखंड: देवस्थानम बोर्ड के मामले में सरकार पर वादाखिलाफी का आरोप लगाते हुए तीर्थ पुरोहित हक हकूकधारी फिर से आंदोलन शुरू करने जा रहे हैं। साथ ही ऐलान किया कि अब सरकार से देवस्थानम बोर्ड समाप्त होने तक कोई भी वार्ता नहीं होगी। उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने चारधाम तीर्थ पुरोहित महापंचायत से वार्ता में देवस्थानम बोर्ड को फ्रीज करने का ये कहते हुए आश्वासन दिया था कि 30 अक्तूबर तक आंदोलन स्थगित कर दें।

 

महापंचायत ने मुख्यमंत्री की बात मानी और आंदोलन स्थगित कर दिया। गुरूवार को यहां हुई महापंचायत की बैठक में सरकार पर वादाखिलाफी का आरोप लगाया गया। महापंचायत के अध्यख कृष्ण कांत कोटियाल का कहना हैं कि देवस्थानम बोर्ड पूरी तरह से फंक्शन में हैं। देवस्थानम एक्ट पर बनी हाईपावर कमेटी फंक्शन में नहीं है। जाहिर है सरकार देवस्थानम एक्ट को समाप्त करने की मंशा नहीं लगती। सराकर सिर्फ तीर्थ पुरोहितों हक हकूकधारियों को उलझाए रखना चाहती है। सरकार के मंत्री और पूर्व मुख्यमंत्री लगातार देवस्थानम बोर्ड की वकालत कर अपनमानित करने का प्रयास कर रहे हैं। ऐसा हरगिज नहीं होने दिया जाएगा।

 

 

 

कोटियाल का कहना हैं कि चारधाम यात्रा न के बराबर है। वजह सरकार ने कथित सुरक्षा के नाम पर इतनी औपचारिकताएं रखी हैं कि लोग पचड़े में नहीं पड़ना चाहते। इसका खामियाजा राज्य के लोग भुगत रहे हैं। महामंत्री हरीश डिमरी और कोषाध्यक्ष लक्ष्मी नारायण जुगडाण, आदि ने कहा कि सरकार इस मामले में वादाखिलाफी कर रही है। ऐसे में 30 अक्तूबर तक इंतजार का कोई मतलब नहीं रह जाता है।

 

देवस्थानम एक्ट के खिलाफ फिर से सड़कों पर उतरा जाए। साथ ही बैठक में निर्णय लिया गया कि देवस्थानम एक्ट के खिलाफ चारों धामों के अलावा तमाम अन्य स्थानों पर आंदोलन शुरू किया जाएगा। आम लोगों तक सरकार की हिंदुओं की धार्मिक स्थलों पर नजर के बारे में बताया जाएगा।

 

बैठक में महापंचायत के अध्यक्ष कृष्ण कांत कोटियाल, महामंत्री हरीश डिमरी, कोषाध्यक्ष लक्ष्मी नारायण जुगडाण, प्रशांत भटट, राकेश कोटियाल, अखिलेश कोटियाल, एसएल ध्यानी, मनोज कुमार भटट, श्याम पंचपुरी, अरूण कुमार भटट, पन्ना लाल कोटियाल, दुर्गेश भटट, ओपी ध्यानी, संदीप खत्री, उमाकांत भटट, भूपेंद्र भटट, बृजनारायण ध्यानी आदि मौजूद थे।

 

 

 

 

 

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