उत्तराखंड

कुंभ के बाद अब देवभूमि में चारधाम यात्रा की चुनौती..

कोरोना निगेटिव रिपोर्ट और वैक्सीनेशन सर्टिफिकेट हो सकता है अनिवार्य..

उत्तराखंड: कोरोना संक्रमण की बढ़ती रफ़्तार के बीच अब कुंभ के बाद अगले माह से शुरू होने वाली चारधाम यात्रा के सुरक्षित संचालन की चुनौती है। जिसे देखते हुए सरकार मंथन में जुट गई है। चारधाम यात्रा के लिए भी अब कुंभ की तरह कोरोना जांच की आरटीपीसीआर की निगेटिव रिपोर्ट अथवा वैक्सीनेशन सर्टिफिकेट अनिवार्य करने पर विचार चल रहा है। मंडलायुक्त गढ़वाल एवं उत्तराखंड चारधाम देवस्थानम बोर्ड के सीईओ का कहना हैं कि सभी पहलुओं पर मंथन के बाद चारधाम यात्रा के लिए भी जल्द ही मानक संचालन कार्यविधि (एसओपी) जारी की जाएगी।

 

कोरोना संकट के चलते ही राज्य में पिछले साल भी चारधाम यात्रा बुरी तरह से प्रभावित हुई थी। अब कोरोना के लिहाज से परिस्थितियां बीते वर्ष जैसी ही होने लगी हैं, जिससे चिंता और चुनौती दोनों ही बढ़ गयी हैं। पिछले साल से ज्यादा राज्य में कोरोना संक्रमण की रफ्तार तेजी से बढ़ी है। हरिद्वार में चल रहा कुंभ भी इसी चुनौती से जूझ रहा है। जिसको देखते हुए अब 14 मई से शुरू होने वाली चारधाम यात्रा के लिए भी चुनौती बनी हुई हैं।

 

चारधाम बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री व यमुनोत्री के साथ ही हेमकुंड साहिब की यात्रा पर हर साल ही बड़ी संख्या में श्रद्धालु देश के विभिन्न राज्यों से पहुंचते हैं। इसके साथ ही चारधाम यात्रा चमोली, रुद्रप्रयाग, उत्तरकाशी जिलों की आर्थिकी से भी जुड़ी हुई है। पिछले साल भी कोरोना संकट से यात्रा नाममात्र को ही चली थी। लेकिन बाद में जब स्थिति कुछ सुधरी थी तो उम्मीद जताई जा रही थी कि इस साल चारधाम यात्रा पूरे उत्साह के साथ चलेगी, परन्तु अब कोरोना की दूसरी लहर ने और चिंता बढ़ा दी है। वजह ये कि कोरोना संक्रमण के लिहाज से पर्वतीय जिलों में स्थिति फिलहाल नियंत्रण में है।

 

उत्तराखंड चारधाम देवस्थानम बोर्ड के सीईओ रविनाथ रमन का कहना भी हैं कि मौजूदा परिस्थितियों में चारधाम यात्रा काफी चुनौतीपूर्ण हो गई है। जिसे देखते हुए सभी पहलुओं पर गंभीरता से मंथन चल रहा है। चारधाम यात्रा के लिए पंजीकरण तो अनिवार्य किया ही जाएगा। दूसरे प्रदेशों से आने वाले श्रद्धालुओं के लिए आने से 72 घंटे पहले की आरटीपीसीआर की निगेटिव रिपोर्ट या फिर वैक्सीनेशन सर्टिफिकेट अनिवार्य किया जाएगा। वैक्सीन की दूसरी डोज लगने के 14 दिन बाद ही यात्रा की इजाजत दी जा सकती है। इन सभी पहलुओं को लेकर अभी गहनता से विचार विमर्श चल रहा है।

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