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बिहार में 12 दिनों के भीतर अलग-अलग जिलों में 3 धमाके..

बिहार में 12 दिनों के भीतर अलग-अलग जिलों में 3 धमाके..

देश-विदेश: पिछले कुछ दिनों से बिहार में अचानक एक के बाद एक धमाकों की गूंज सुनाई दी हैं। पहले बांका में मस्जिद में धमाका, उसके बाद दरभंगा रेलवे स्टेशन पर पार्सल में ब्लास्ट और अब सीवान में बैग में विस्फोट. एक के बाद एक हुई घटनाओं ने राष्ट्रीय जांच एजेंसी समेत तमाम जांच एजेंसियों को चौकन्ना कर दिया हैं। सवाल उठ रहा है कि क्या ये तीनों घटनाएं एक दूसरे से जुड़ी हैं और बिहार में टेरर मॉड्यूल के एक्टिव होने के संकेत दे रही है।

 

बिहार के सिवान में रविवार को सबकुछ सामान्य था। अचानक हुसैनगंज थाना क्षेत्र में एक मस्जिद के पीछे जोरदार धमाका होता है। जिसमे दो लोग बुरी तरह से जख्मी हो जाते हैं। बताया जा रहा है घायल विनोद मांझी अपने बच्चे को लेकर दुकान पर जा रहा था। इसी दौरान गांव के ही सागीर नाम के युवक ने बम भरा थैला उसे रखने के लिए दिया। कुछ ही देर बाद थैले में रखा बम फट गया। जिसके बाद पूरे इलाके में हड़कंप मच गया। धमाके पर सवाल उठना लाजिमी है क्योंकि वारदात को अंजाम बिल्कुल आतंकी स्टाइल में दिया गया। टेरर मॉड्यूल को लेकर सवाल भी जायज है क्योंकि बम से भरा थैला इसी गांव के एक शख्स ने दिया था।

 

आपको बता दे कि सिवान से पहले 17 जून को दरभंगा रेलवे स्टेशन पर एक पार्सल में ब्लास्ट हुआ था। हालांकि धमाका ज्यादा तेज नहीं था लेकिन साजिश बहुत बड़ी थी। क्योंकि पार्सल के अंदर छोटी सी शीशी में केमिकल था। सबसे बड़ी बात पार्सल दरभंगा में मोहम्मद सुफियान के नाम से था। पुलिस आतंकी एंगल से मामले की जांच कर रही है। आईजी अजिताभ कुमारका कहना हैं कि टेरर एंगल के सवाल पर हर तरह से जांच कर रहे हैं।

 

NIA और ATS की टीमें टेरर मॉड्यूल की जांच में जुटी..

इसी महीने की 8 तारीख को बिहार के बांका में मदरसा भवन में जबरदस्त धमाका हुआ था। विस्फोट इतना जोरदार था कि पूरा मदरसा जमींदोज हो गया था। जिसमें एक मौलाना की मौत भी हुई । जांच के दौरान एफएसएल की टीम को मलबे में से विस्फोटक के अंश मिले। जो कहीं न कहीं आतंकी कनेक्शन का इशारा कर रहे हैं।

 

बांका मस्जिद केस में मृतक मौलाना को लेकर कई बड़े खुलासे भी हो चुके हैं। बताया जा रहा है कि मौलाना ने आजमगढ़ से आलिम ऑनर्स की डिग्री ली हैं। सवाल ये भी उठ रहा है कि कहीं मौलाना के संबंध आतंकियों से तो नहीं थे। फिलहाल NIA और ATS की दोनों टीम बिहार में टेरर मॉड्यूल की जांच में जुटी है। ब्लास्ट के आंतकी कनेक्शन की तलाश कर रही है।

 

राज्य में पहले भी टेरर मॉड्यूल के लिंक मिले..

बिहार में पहली बार टेरर मॉड्यूल के लिंक नहीं मिले हैं। इससे पहले की कुछ घटनाओं का जिक्र करें तो 20 जुलाई 2006 को बिहार के मधुबनी से मो. कमाल नाम के शख्स को गिरफ्तार किया गया था। कमाल पर मुंबई लोकल ट्रेन में धमाके का आरोप था। इसके बाद 2 जनवरी 2008 को मधुबनी से ही सबाऊद्दीन नाम के शख्स की गिरफ्तारी हुई थी। सबाऊद्दीन के खिलाफ उत्तर प्रदेश के रामपुर में CRPF कैंप में विस्फोट मामले में कार्रवाई हुई थी।

 

21 फरवरी 2012 को बिहार के दरभंगा के शिवधारा से कफील अहमद को गिरफ्तार किया गया था। कफील को आतंकी संगठन इंडियन मुजाहिदीन (IM) का मेंटर बताया गया था। यानी कफील अहमद युवाओं का ब्रेन वॉश करता था. 21 जनवरी 2013 को बिहार के लहेरियासराय से मो. दानिश अंसारी की गिरफ्तारी हुई थी। दानिश पर आतंकी हमले की साजिश का आरोप था। उस पर IM सरगना यासीन भटकल से भी संबंध के आरोप लगे थे। अगस्त 2013 में पूर्वी चंपारण से IM आतंकी यासीन भटकल को गिरफ्तार किया गया था। भटकल बिहार के रास्ते नेपाल भागने की फिराक में था. नेपाल सीमा से भटकल की गिरफ्तारी हुई थी।

 

अगस्त 2019 में बिहार के गया से बांग्लादेशी आतंकी संगठन जमात-उल-मुजाहिदीन का सदस्य गिरफ्तार हुआ था। वहीं फरवरी 2021 में बिहार के सारण से रिटायर शिक्षक महफूज अंसारी का बेटा जावेद गिरफ्तार हुआ था। जावेद पर आतंकियों को हथियार मुहैया कराने का आरोप था।

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