लगभग चार महीने पहले एक युवा दुनिया-जहां नापने के सपने के साथ अपनी साइकिल पर सवार होकर देहरादून से निकला था तो तब किसी को भी उसके सफर के बारे में कोई जानकारी नहीं थी। लेकिन आज हजारों लोग उस युवा का नाम अखबारों, समाचार चैनलों और सोशल मीडिया के जरिए न केवल जान चुके हैं, बल्कि गौरव भी महसूस कर रहे हैं। उत्तराखंड के पहाड़ी जिले बागेश्वर के गरुड़ इलाके के रहने वाले इस युवा ने बीते 117 दिनों में पंद्रह हजार कीलोमीटर से भी ज्यादा दूरी का सफर तय कर एक नया आयाम रच दिया है। इतनी लंबी दूरी साइकिल से तय करने वाला यह युवा भारत का ही नहीं, दुनिया का पहला इंसान बन गया है। इस युवा का नाम है प्रदीप राणा।
देहरादून स्थित ग्राफिक इरा हिल यूनिवर्सिटी के छात्र प्रदीप राणा इन 117 दिनों में देश के तकरीबन बीस राज्यों के डेढ़ सौ से ज्यादा शहरों को नाप चुके हैं। देहरादून से सफर शुरू कर उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल, नागालैंड, सिक्किम, कर्नाटक, मेघालय, असम, गोवा, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, केरल, राजस्थान, हरियाणा और हिमाचल प्रदेश के तमाम इलाकों को नापते हुए वे अब पंजाब की सीमा में प्रवेश कर चुके हैं। इन दिनों उनकी साइकिल पालमपुर से पठानकोट के रास्ते पर दौड़ रही है।
इस रोमांचकारी सफर के दौरान प्रदीप राणा के पास खट्टे-मीठे अनुभवों का ऐसा खजाना तैयार हो चुका है, जिसमें एक से बढ़कर एक किस्से-कहानियां हैं। इस सफर के दौरान भीड़ भरे रास्तों से गुजरते हुए उन्होंने तमाम संस्कृतियों का दीदार किया तो सुनसान रास्तों पर चलते हुए खतरनाक वन्य जीवों से भी उनका साबका पड़ा। ऐसा ही एक वाकया उनके साथ केरल- कर्नाटक की सीमा पर स्थिति मुदुमलाई वाइल्ड लाइफ सेंचुरी से गुजरते हुए हुआ जब उनका जंगली हाथियों से सामना हो गया था। उनके और हाथियों के झुड के बीच करीब 100 मीटर का ही फासला था। मगर प्रदीप ने सूझबूझ से काम लिया और खामोशी के साथ वहां से निकलने में कामयाब रहे।
प्रदीप हर रोज मैदानी रास्तों पर 130 से 140 तो पहाड़ी रास्तों पर 100 से 110 किलोमीटर तक का सफर तय करते हैं। उन्होंने बताया कि इससे पहले सबसे लंबी दूरी तक साइकिल चलाने का रिकार्ड संतोष होली के नाम था जिन्होंने साल 2015 में 111 दिन में 15222 किलोमीटर सफर तय किया था। संतोश होली ने प्रसाद इरांडे का 141 दिन में 14576 किलोमीटर साइकिल चलाने का रिकार्ड तोड़ते हुए यह उपलब्धि हासिल की थी। प्रदीप का लक्ष्य 20 हजार किलोमीटर की दूरी तय करना है। उनका यह अभियान अक्टूबर के पहले हफ्ते तक पूरा होने की उम्मीद है।