उत्तराखंड

घटूड़ा गदेरे के बढ़ने से तीन पुलिया बही

घटूड़ा गदेरे के बढ़ने से तीन पुलिया बही , भूस्खलन की जद में आये दो घराट , गदेरे का जल स्तर घटने का किया जा रहा इंतजार

रुद्रप्रयाग। विकासखंड ऊखीमठ की दूरस्थ ग्राम पंचायत तोसी में बृहस्पतिवार रात्रि गांव के बीचों बीच बह रहे घटूड़ा गदेरे के कटाव के कारण गांव को जोड़ने वाली तीन पुलिया बह गयी। साथ ही भूस्खलन की जद में आने से दो घराट भी जमीदोज हो गये। केदारघाटी में गत् कई दिनों से हो रही मूसलाधार बरसात के कारण जगह-जगह न केवल मोटरमार्ग क्षतिग्रस्त हो गये हैं, बल्कि कई गांव भूस्खलन की चपेट में आने से आवासीय भवन क्षतिग्रस्त होने के साथ ही आवासीय भवनों में दरारें पड़ चुकी हैं। त्रियुगीनारायण के करीब स्थित ग्राम पंचायत तोसी में गांव के बीचो-बीच बहने वाले घटूडा गदेरे का जल स्तर बढ़ने से गांव को जोड़ने वाली तीन पुलिया बहने के कारण ग्रामीणों का अन्य स्थानों से संपर्क टूट चुका है। विभिन्न तोकों में जाने के लिए लोग अब गदेरे का जल स्तर घटने का इंतजार कर रहे हैं।

भारी बारिश ने ग्रामीणों की दिनचर्या ही खराब हो गयी है। विद्यालय जाने वाले छात्र-छात्राओं को भी कई दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। गदेेरे के उफान पर आने से काश्तकारों की कई नाली सिंचित भूमि तबाह हो गयी है। लगातार हो रहे भूस्खलन से ग्रामीणों में डर का माहौल बना है। शिव पार्वती विवाह स्थल त्रियुगीनारायण से लगभग छः किमी की पैदल दूरी पर स्थित ग्राम पंचायत तोसी में वर्तमान में चालीस परिवार निवास करते हैं। गांव के बीचों-बीच बहने वाले घटूडा गदेरे के दोनों तरफ यह गांव विभिन्न तोकों में बिखरा हुआ है। इसी गदेरे पर लगी पुलिया के माध्यम से ग्रामीण तथा मवेशी आवाजाही करते हैं। साथ ही गांव में स्थित विद्यालय में जाने के लिए छात्र-छात्रा इन्हीं पुलों का सहारा लेते हैं। ज्ञात हो कि वर्ष 2013 की केदारनाथ त्रासदी के दौरान भी ये तीनों पुल गदेरे के तेज बहाव में बह गये थे। ग्रामीणों की दिक्कतों को देखते हुये दैवीय आपदा मद से वर्ष 2014 में इस गदेरे पर दो पुल निर्मित किये गये। साथ ही वर्ष 2017 में एक और पुल लगाया गया था। गत् रात को गदेरे के उफान पर आने से तीनों पुल धराशायी हो गये।

साथ ही पशु पालक रामकृष्ण सेमवाल की गौशाला भी आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त होने के कारण एक गाय की मौत हो गई। गदेरे का जल स्तर इतने उफान पर था कि गांव के बीचों-बीच बने दो पौराणिक घराट भी बह गये। गदेरे के निकट बना प्रसूति स्नान गृह भी गदेरे की चपेट में आने से बह गया। जिस कारण अब लोगों के सामने आवाजाही के साथ ही खाद्यान्न की समस्या भी उत्पन्न हो गई है। सामाजिक कार्यकर्ता दिनेश सेमवाल ने बताया कि गत रात्रि भयंकर गर्जना के साथ गदेरे ने गांव में हाहाकार मचा दिया। डर के मारे रात भर ग्रामीण चैन से नहीं सो पाये। उन्हांेने बताया कि त्रियुगीनारायण से तोसी के मध्य इस आधुनिक दौर के बाद भी मोटर मार्ग नहीं बन पाया है, जिस कारण ग्रामीणों को रोजमर्रा की वस्तुओं को घोड़े खच्चर या खुद पीठ पर लाद कर ढोना पड़ रहा है। अब प्रकृति की मार के चलते ग्रामीणों का जन जीवन अस्त व्यस्त हो गया है। कहा कि घटूड़ा तोक के नीचे लगातार भूस्खलन हो रहा है, जिस कारण गांव को कभी भी खतरा उत्पन्न हो सकता है। उन्होने प्रशासन से शीघ्र क्षति के मुआवजे के साथ ही पुल निर्माण की मांग की है।

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