उत्तराखंड

कलश यात्रा के साथ आचार्य मंमगाई किया श्रीमद्भागवत कथा प्रारम्भ..

बड़कोट। मानव जीवन के मूल में भक्ति का होना आवश्यक है ,कई पीड़ियों तक सुख रूपी ईमारत सुस्थिर रहे मैं और मेरा कर्तव्य क्या है ,इसके बोध को ज्ञान कहते है , संासारिक आकर्षण व तेरे मेरे झगड़े से दूर रहकर जीवन बिताना भक्ति है ,वेदव्यास जी ने मानव जीवन के मूल में भक्ति रखी जिसका संबन्ध वर्तमान से है ,हर वर्तमान को सुधारने पर व्यक्ति का भविष्य सुधरता है , इतिहास प्रधान ग्रन्थ महाभारत को लिखने के बाद नारद जी के अंशात मन को शान्त करने के लिए श्रीमद् भागवत बद्रीनाथ जी में लिखा गया । उक्त विचार यमुनाघाटी के नगर पालिका बड़कोट में श्रीमद् भागवत सप्ताह के प्रथम दिन आयोजकों द्वारा भव्य कलश यात्रा पीत वस्त्रों में सिर पर कलश लिये वाद्य यंत्रों की गूज मुख्य मार्गो से होते हुए गोविन्द मेरों है आदि भजनों के स्वर नाद से चन्द्रेश्वर महादेव मन्दिर तक और यमुनोत्री घाटी में वेदयंत्रों के साथ गोपाल जी का जलाभिषेक व सारगर्भित प्रवचनों के माध्यम से ज्येातिष पीठ बद्रीनाथ व्यास पद से अलंकृत आचार्य शिव प्रसाद मंमगाई ने कही ।

उन्होने कहा कि उत्तराखण्ड संस्कृत संस्कृति का स्रोत है ,जहां गंगा ,यमुना , बद्री केदार प्रत्येक स्थल आस्था के केन्द्र जंहा जल गंगा ज्ञान ,गंगा का उद्गम स्थल उत्तराखण्ड है। इस देव भूमि मंे प्रवेश करने पर स्वस्थ चित वृत्ति हो जाती है । उन्होने कहा श्रीमद्भागवत कालजयी दपर्ण यह लोक परलोक सौन्दर्य को सुधारने वाला व मनुष्य को अपनी पहचान कराने वाला गं्रथ जिसके प्रतिपाद्य देवता वेणुधर हैं , व्यक्ति का वाबी स्वर मधुर हो तो पूर्णता जीवन में आती है । भागवत में 18000 श्लोक आठ और एक नौ पूर्णांक है का मतलब पूर्ण ब्रहम से मेल कराने वाला ग्रन्थ है ।

व्यास जी ने यह सोचकर कि हर व्यक्ति का वर्तमान सुधरे , मेल प्रेम बढ़े , मानव जीवन का लक्ष्य भगवान है जबकि लोगों ने आजकल भोग को प्रधानता दी । जिससे परोत्कर्ष असहन की भावना राग द्वेष बढ़ते जा रहे है । पश्चिमी सभ्यता के दुष्परिणाम से हमारा आहार व्यवहार बिगड़ता जा रहा है , आहार सुधरे व्यवहार सुधरे अंतर के व्यवहार से ईश्वर की प्राप्ती और बाहर से व्यवहार से सुख प्राप्ती आज मुख्य रूप से कलश यात्रा मुख्य आकर्षण का केन्द्र रही। इस मौके पर आयोजक विशालमणी रतुड़ी , आचार्य मुन्शीराम बेलवाल , हरीशरण उनियाल , रमेश प्रसाद नौटियाल , वृन्दावन नौटियाल , अमित थपलियाल, श्रीमती सुन्दरा देवी , भगवती रतुड़ी , एश्वर्या देवी, मुरारी लाल रतुड़ी , प्रकाश रतुड़ी ,शैलेन्द्र रतुड़ी, उन्नति , नैतिक , वैभवी , आशाराम, हर्षपति , प्रभात , ममता , नरोत्तम दत्त , वाचस्पति , शिवशरण डबराल, व्यापार मण्डल अध्यक्ष राजराम जगुड़ी सहित नगर की दर्जनों महिलायें शामिल थी।

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