उत्तराखंड

रुदप्रयाग : एक दशक बाद भी नहीं बना जवाड़ी बाईपास

रुद्रप्रयाग – जवाड़ी बाईपास पर कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है। मार्ग पर वाहन रेंग-रेंग कर चल रहे हैं। बाईपास निर्माण को करीब एक दशक का समय हो गया है, लेकिन अभी तक भारी वाहनों के लिए पुल का निर्माण नहीं हो पाया है। ऐसे में भारी वाहन वैलीब्रिज से आवाजाही कर रहे है, जिससे हादसा होने की संभावना बनी रहती है। रुद्रप्रयाग शहर में बढ़ते जाम की समस्या से निजात दिलाने के लिए रुद्रप्रयाग-जवाड़ी बाईपास का निर्माण किया गया।

इस हाईवे का उदघाटन तत्कालीन केन्द्रीय मत्री भुवन चन्द्र खण्डूड़ी ने किया, हाईवे निर्माण को आज एक दशक का समय भी बीत गया है, मगर जवाड़ी के पास भारी वाहनों के लिए पुल का निर्माण आज तक नहीं हो पाया हैं। ऐसे में वैलीब्रिज के सहारे ही भारी वाहनों की आवाजाही हो रही है। वर्ष 2013 की आपदा में तो एक बार यह वैलीब्रिज बह भी चुका है। क्षमता से कई गुना ज्यादा इस पर वाहनों की आवाजाही हो रही हैं जो हादसों को न्यौता दे रही है। इसके अलावा राजमार्ग की कटिंग ऐसे की गई है, जिस पर सफर करना किसी खतरे से खाली हीं नहीं है। वाहन इस राजमार्ग पर रेंग-रेंग कर चल रहे है। एक ओर केन्द्र और राज्य सरकार आॅल वेदर रोड़ का ढोल पीट रही है, वहीं राजमार्गों की इतनी खस्ता बनी है कि यात्रियों के साथ साथ वाहन स्वामियों को जान हथेली पर रखकर सफर करना पड़ रहा है।

यही स्थिति ग्रामीण क्षेत्रों के मोटरमार्गों की बनी है, ठीक वही हाल रुद्रप्रयाग-जवाड़ी बाईपास के भी बने हुए है। हाईवे पर चलना मौत को दावत देने जैसा है।लेकिन विभागीय अधिकारी यात्रियों के जीवन के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। वाहन चालक राजेंद्र सिंह, रघुवीर, कमल ने बताया कि जवाड़ी बाईपास राजमार्ग पर आवाजाही करना किसी खतरे से खाली नहीं है। राजमार्ग को बने एक दशक का समय हो गया है। लेकिन आजतक डेंजर जोन वाली जगहों पर कोई सुधार नहीं किया गया है। राजमार्ग पर विभाग की ओर से करोड़ो रूपये खर्च किये गये, जो सिर्फ खानापूर्ति ही साबित हुए हैं। वहीं जिलाधिकारी का कहना है कि बाईपास पुल का कार्य पूरा हो गया है। पुल के लिए एप्रोच मार्ग को तैयार किया जा रहा है। राजमार्ग पर आॅल वेदर का कार्य चल रहा है। ऐसे में डेढ़ माह के लिए राजमार्ग पर आवाजाही पर रोक लगाने के आदेश दिये गये हैं कार्य पूरा होने के बाद फिर से जवाड़ी बाईपास पर आवाजाही शुरू कराने के लिए कहा जायेगा।

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