रुद्रप्रयाग – 28 दिसम्बर 1815 को गढ़वाल राज्य की राजधानी बनी टिहरी पहाड़ के इतिहास, संस्कृति और नवोन्मेषी परंपराओ की जीवंत नगरी के रूप में जानी जाती रही है, एशिया के सबसे बड़े बाँध के साथ 70 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में 20 हजार हेक्टेयर भूमि, 125 गाँव, 462 पेड़ पौधो की प्रजातियों को जलसमाधि दे दी गयी। इसमे तकरीबन 2 लाख लोग भी विस्थापित हुए, विकास के लिए टिहरी का यह बलिदान सदा सदा के लिए अमर हो गया। बावजूद टिहरी को देखने, समझने और उसे जीने वाले उन लाखों लोगों के लिए आज भी वह दिलों में जिंदा है। टिहरी की उसी जिंदादिली को याद करने के लिए दस्तक पत्रिका एवं प्रकृति संस्था अगस्त्यमुनि में 28 दिसम्बर 2017 को यह आयोजन कर रही है। डाक्यूमेट्री, फोटो प्रदर्शनी और टिहरी को जीने वाले लोगों के साथ संवाद की यह पहल आपको इस डूबी विरासत से अवश्य रूबरू करवायेगी। तो आईये अपनी टिहरी को याद करें और फिर से उसे जिएं……
आयोजन : 28 दिसम्बर, सायं 3 बजे
स्थान : समौंण रेस्टोरेंट, सिल्ली, अगस्त्यमुनि
संकल्पना : दस्तक..ठेठ पहाड़ से