नैनीताल। अब राज्य में समकक्ष परीक्षा और उर्दू विषय में डिग्री के बिना प्राथमिक सहायक अध्यापक नहीं बन सकते। शिक्षक बनने के लिए टीईटी जरूरी है।
दरअसल उधमसिंह नगर के मो हफीज व अन्य ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर सहायक अध्यापक के पदों पर आवेदन निरस्त करने को चुनौती दी। इनका कहना था कि वह उर्दू मोअल्लिम पास हैं जो बीटीसी के समकक्ष मानी जाती है। उत्तर प्रदेश में भी यही नियम लागू है तो एकलपीठ ने याचिका स्वीकार कर इन अभ्यर्थियों को भर्ती प्रक्रिया में शामिल करने का आदेश पारित कर दिया। इस फैसले के खिलाफ सरकार ने विशेष अपील दायर की। सरकार की ओर से कहा गया कि उत्तराखंड में उर्दू मुख्य विषय के साथ स्नातक, दो साल का बीटीसी व टीईटी के बाद ही शिक्षक बन सकते हैं। उर्दू मोअल्लिम एक साल का है और राज्य में समकक्ष डिग्री को नौकरी के लिए अयोग्य घोषित किया जा चुका है, ऐसे में आवेदक पात्र नही है।
मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति केएम जोसफ व न्यायमूर्ति आलोक सिंह की खंडपीठ ने सरकार की दलीलें स्वीकार कर अभ्यर्थियों की याचिका को खारिज कर दिया।