पौड़ी का लाल संभालेगा गांव की सैन्य विरासत
चमाली गांव का अभिनव रावत नेवी में अफसर के रूप में सेवाएं देगा
गांव व उत्तराखंड का नाम किया रोशन
स्वतंत्रता सेनानी से लेकर करगिल शहीद का गांव है चमाली
उत्तराखंड : पौड़ी गढ़वाल के चमाली गांव का बेटा अभिनव रावत यहां की सैन्य परम्परा की गौरवशाली परम्परा को आगे बढ़ाएगा। अभिनव रावत का चयन भारतीय नौसेना अकादमी में इंजीनियरिंग बैच के लिए हुआ है। वह अफसर ट्रेनिंग के लिए केरल के इजीमाला नेवल एकेडमी में पहुंच गया है। गांव में नेवी में जाने वाला अभिनव रावत पहला नौसैनिक अफसर होगा, जो कि सीधे सेकेंड लेफ्टिनेंट बनेगा। हालांकि गांव में भारतीय नौसेना में मेरे स्व. चाचा देवानंद जखमोला, भाई धर्मवीर रावत और भाई सुरेंद्र रावत तीन जेसीओ रह चुके हैं। अभिनव की इस सफलता से पूरे गांव में उत्साह का माहौल है।
यह गांव के लिए गर्व की बात है। अभिनव के पिता एमएस रावत एक कंपनी में मैनेजर हैं। यह रावत परिवार के संस्कार व शिक्षा का परिणाम है कि उनका बेटा गाजियाबाद जैसे शहर में रहते हुए भी देशप्रेम की भावना से ओत-प्रोत है। अभिनव को गांव से गहरा लगाव है और वह हर साल अपने गांव के कौथिग में अपने पूरे परिवार के साथ पहुंचता है। यह बात उल्लेखनीय है कि लगभग 125 परिवारों का चमाली गांव सैनिक परम्परा का निर्वहन कर रहा है। गांव के लगभग हर घर से सेना में कोई न कोई रहा है। इस गांव में मौजूदा समय में दो कर्नल, आधा दर्जन जेसीओ और कई सेवारत जेसीओ व सिपाही हैं।
इसके अलावा गांव के लगभग एक दर्जन बच्चे इंजीनियर हैं जो कि आईआईटी रुड़की, आईआईटी दिल्ली और दिल्ली इंजीनियरिंग कालेज से पासआउट हैं। गांव के पूर्वज स्वतंत्रता सेनानी बुद्धि सिंह रावत और झगड़ सिंह रावत ने सैन्य परम्परा का शुरू किया था। महज 21 वर्ष की आयु में देश के लिए सर्वोच्च बलिदान देने वाला करगिल शहीद बलबीर नेगी भी इसी गांव का है। इसके अलावा गांव में कीर्ति चक्र विजेता सुरेश सिंह भी है जो कि जाफना में भारतीय शांति सेना में लिट्टे से टकराए थे। अभिनव रावत को शानदार प्रदर्शन व स्वर्णिम भविष्य के लिए हार्दिक शुभकामनाएं। हमें उस पर गर्व है।