उत्तराखंड

जिला प्रशासन के अभिनव पहल की चारों ओर सराहना

रोहित डिमरी

तीर्थयात्री एवं पर्यटक संस्कृति का कर रहे अवलोकन
कार्यक्रम के दूसरे दिन पांडव नृत्य, नंदा देवी राज जात और नंदा की कथा का शानदार मंचन
रुद्रप्रयाग। यात्राकाल में देश-विदेश के तीर्थयात्रियों को पहाड़ की संस्कृति से रूबरू कराने की पहल का चारों ओर सराहना की जा रही है। जिला प्रशासन की ओर से पहली बार ऐसा प्रयास किया गया है, जिसे यात्राकाल में सांस्कृतिक पर्यटन के क्षेत्र में नये अध्याय के रूप में देखा जा रहा है। जिले के प्रतिष्ठित होटलों में जिला प्रशासन ने यह अभिनव प्रयास किया है, जिससे तीर्थयात्री एवं पर्यटक संस्कृति का अवलोकन और आनंद ले रहे हैं।

कार्यक्रम के तहत दूसरे दिन उत्सव ग्रुप के कलाकारों ने केदारघाटी का प्रसिद्ध पांडव नृत्य एवं विश्व विख्यात नंदा देवी राज जात और नंदा की कथा का शानदार मंचन किया। उत्सव ग्रुप के निदेशक डाॅ राकेश भट्ट के निर्देशन में आयोजित प्रस्तुतियों की तीर्थयात्रियों एवं पर्यटकों ने जमकर सराहना की और कहा कि इस प्रकार के कार्यक्रम से उत्तराखंड की संस्कृति का आभास होता है। समिति के प्रमुख संयोजक एवं राज्य सभा सांसद हुकम नारायण यादव ने कला और कलाकारों की भूरी-भूरी प्रशंसा की।

“उत्सव ग्रुप” उत्तराखंड की प्रस्तुति “नंदा की कथा” का आलेख डाॅ नंदकिशोर हटवाल ने तैयार किया, जबकि निर्देशन उत्सव के निदेशक डाॅ राकेश भट्ट ने किया। नंदा राज जात के मिथक पर आधारित इस गीत नाट्î में नंदा के जन्म उसके जवान होने की कथा और उसकी विदाई के साथ कैलाश में उसके रुष्ट होने की कारुणिक कथा का शानदार मंचन दिखाया गया। आमतौर पर नंदा राज जात को लोक समाज के समक्ष जिस रूप में प्रस्तुत किया जाता रहा है उसका कथन सिर्फ इतना है कि नौटी नाम के क्षेत्र से प्रारम्भ होने वाली 21 दिन की इस राज जात को विभिन्न पड़ावों में ठहरा कर कैलाश विदा किया जाता है, जिसमें उत्तराखंड और प्रवासी शामिल होकर एक अनुष्ठान पूर्ण करते हैं। निश्चित तौर पर एक माह तक सांस्कृतिक कुम्भ के स्तर पर यह आयोजन प्रदेश की सांस्कृतिक पहचान के लिए एक वैश्विक धरोहर है, लेकिन आज भी एक बहुत बड़ा वर्ग इसके मूल मिथक से अनविज्ञ है कि वास्तव में इस सांस्कृतिक घटना के पीछे ऐसी कौन सी मूल बात छिपी है जिस कारण यहां के जनमानस का इतना गहरा जुड़ाव इस जात यात्रा से है।

लोक मान्यता का अनुसार श्रृष्टि कि रचना, श्रृष्टि में मनुष्य की उत्पत्ति, मनुष्यों में महिला परुषों का अस्तित्व और उन्हीं में “नंदा” का जन्म इस लोक मिथक की केन्द्रीय अवधारण है। नंदा के जन्म, उसके विवाह, कैलाश में उसकी विदाई और और कैलाश पहुंचकर उसके द्वारा भोगे गए कष्टों और फिर उन कष्टों का निवारण का ताना-बाना ही “नंदा की कथा” है। जो हमारी सांस्कृतिक मान्यताओं में एक अनूठी किवदंती हैं। उत्सव ग्रुप के कलाकारों ने केदारघाटी का प्रसिद्द लोक नृत्य पांडव कौथीग दिखाया, जिसमें गैंडा वध प्रसंग का मार्मिक चित्रण किया गया। कलाकारों में लक्ष्मण सिंह नेगी, उपासना सेमवाल, पंकज नैथानी, गणेश डिमरी, हरीश पुरी, शीशपाल रावत, दीपक नेगी, मुकेश नेगी, राखी धनाई, भावना भट्ट, अर्जुन रावत, पवन जोशी अक्षिता रावत आदि प्रमुख रूप से थे।

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