उत्तराखंड

ब्लड कैंसर से पीड़ित वंशिका को नहीं मिला मुख्यमंत्री स्वास्थ्य बीमा योजना का सहारा

सुमित जोशी

  • सरकारी मदद नहीं मिली, सामाजिक संगठन आए आगे।

रामनगर: प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर करने और मुख्यमंत्री स्वास्थ्य बीमा योजना का लाभ जनता तक पहुंचाने के सरकार के दावे किस प्रकार हावई साबित हो रहे हैं इसका ताजा उदाहरण रामनगर में देखने को मिला है। जहां एक गरीब परिवार आर्थिक असमर्थता के कारण ब्लड कैंसर से पीड़ित अपनी दस साल की बच्ची वंशिका के इलाज के लिए सराकार से गुहार लगा रहा है, लेकिन सरकार तो छोड़िए राज्य में संचालित स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ तक इस परिवार को नहीं मिल सका है। ऐसे में रामनगर के व्यापारि और कई सामाजिक संगठन वंशिका के परिवार की मदद के लिए आगे आए हैं। जिन्होंने डाॅक्टरों के परार्मश के बाद इलाज के लिए उसे दिल्ली भेजा है।

रामनगर में मोची का काम करने वाले मौहल्ला इंदिरा कालोनी उत्तरी खताड़ी निवासी बबलू सागर की दस वर्षिय बच्ची वंशिका को बीते कुछ महीनों से चक्कर आना और शरीर में सूजन की समस्या जूझ रही है परिजनों ने कुछ समय पहले उसका इलाज एसटीएच हल्द्वानी में कराया पैसों के अभाव में परिजन उसे वापस रामनगर ले आए। उसकी मां बबली देवी ने बताया कि शनीवार को अचानक तबीयत बिगड़ने के कारण वो उसे शहर के एक निजी अस्पताल में ले गई जहां जांच में उसके शरीर में खून की कमी पायी गई। जहां से वो वंशिका को काशीपुर के एक निजी अस्पताल में ले गई जहां उसने उसके परिवार को प्राप्त मुख्यमंत्री स्वास्थ्य बीमा योजना का कार्ड दिखाया तो अस्पताल प्रबंधन ने कार्ड के बंद होने की बात कह कर उसे स्वीकार नहीं किया। जिसके बाद काशीपुर के निजी अस्पताल में हुई जांचों के लिए सैम्पल को दिल्ली भेजा गया, जिसमें ब्लड कैंसर की प्राइमरी स्टेज में होने की पुष्टि हुई। जांच रिपोर्ट आने के बाद डाॅक्टरों ने वंशिका के परिजनों से उसे बिना देर किए दिल्ली के एम्स अस्पताल में भर्ती कराने का सुझाव दिया और इलाज में करीब तीन लाख रूपये का खर्च आने की बात कही। लेकिन आर्थिक असमर्थता के चलते उसके परिजन उसे वापस रामनगर ले आए। जहां उसके पड़ौस में राशन डीलर नरेन्द्र शर्मा को वंशिका की बिमारी का पता चला तो उन्होने सोशल मीडिया में सहायता की अपील की तब जा कर स्थानिय व्यापरियों के अलावा कई समाजसेवी संगठनों ने उसकी मदद के लिए हाथ आगे बढ़ाए और सोमवार को उसे इलाज के लिए दिल्ली भेज दिया गया। जहां एम्स में डाॅक्टरों के एक पैनल ने उसकी जांच कर बुधवार को फिर बुलाया है। लेकिन मंगलवार सुबह हालत बिगड़ने के कारण उसके परिजन आज फिर उसे एम्स ले गए हैं। बात दें करीब दो महीने पहले आर्थिक तंगी के कारण वंशिका के परिजन उसके पांच साल के भाई का बीमारी में इलाज नहीं करा सके थे जिस कारण उसकी मौत हो गई थी।

मुख्यमंत्री स्वस्थ्य बीमा योजना पर फिर सवाल।
– हरीश रावत सरकार में शुरू हुई मुख्यमंत्री स्वस्थ्य बीमा योजना पर मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र रावत ने रोक लगाने की बात कही थी लेकिन आलोचना के बाद बैकफुट कर आए सीएम ने इस योजना को फिर से शुरू करने का ऐलान कर दिया था। मगर राज्य के बहुत से अस्पताल अभी भी इस कार्ड को स्वीकार करने से मना कर रहे हैं। जिस कारण राज्य की जनता को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। ऐसा ही कुछ ब्लड कैंसर से पीड़ित वंशिका की मां जब उसे इलाज के लिए काशीपुर के एक निजी अस्पताल में ले गई तो वहां के डाॅक्टरों ने स्वास्थ्य बीमा का कार्ड स्वीकार कारने से इंकार कर दिया। ऐसे राज्य में बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं मुहौया करने वाली भाजपा सरकार पर सवाल उठना लाजमी है।

वंशिका के परिवार को जारी किया गया है पीला राशन कार्ड।

– ब्लड कैंसर का सामना कर रही वंशिका के परिवार की आर्थिक स्थिती बहुत खराब उसके पिता बबलू सागर शहर में मोची का काम करते हैं और मां गृहिणी है लेकिन उसे खाद्य आपूर्ति विभाग द्वारा पीला यानी एपीएल कार्ड जारी किया गया है। ऐसे में सरकार द्वारा कराए जाने वाले सर्वे भी सवालों के घेरे में हैं क्योंकि जब गरीबी में जीवन यापन कर रहे इस परिवार को जब गलत कार्ड निर्गत किया गया है तो प्रदेश में ऐसे कई सारे परिवार ऐसे होंगे जो सराकरी लापरवही के कारण सुविधाओं से वंचित हैं।

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