उत्तराखंड

न पाइपलाइन न पानी की तैयारी,कागज़ पर दे डाले पानी के 4 लाख कनेक्शन..

न पाइपलाइन न पानी की तैयारी,कागज़ पर दे डाले पानी के 4 लाख कनेक्शन..

उत्तराखंड: हर घर में हो पीने के पानी का सरकारी नल इसके लिए दिए जा रहे हैं ताबड़तोड़ नए कनेक्शन वो भी केवल एक रुपए मे सुनंने में ये स्कीम जितनी शानदार लगती है दरअसल ग्रामीणों को उतनी प्रभावित कर नहीं पा रही है। क्योंकि सरकारी योजना के मुताबिक फाइलों में तो आपका कनेक्शन घर में लगा दिया जायेगा लेकिन कब तक और क्या सचमुच पानी आपके दहलीज़ तक विभाग पहुंचा पायेगा इसमें लोगों को शंका है। त्रिवेंद्र सरकार के इस चर्चित मिशन के अंतर्गत अभी फिलहाल पहले चरण में अधिक से अधिक ग्रामीणों को एक रुपये में पानी का कनेक्शन देने की योजना पर महकमा अपने कनेक्शन संख्या वृद्धि पर काम कर रहा है।

 

ये अच्छी बात है कि जल जीवन मिशन के तहत सरकार का मकसद सबको पेयजल उपलब्ध कराना है। लेकिन असली समस्या तो ये है कि ग्रामीण इस बात को लेकर सवाल खड़े कर रहे हैं कि जिस गांव में पानी की लाइन ही नहीं है या बेहद कम क्षमता की लाइन है, वहां पानी का कनेक्शन लेने पर सरकार का ये महकमा उन तक पानी कैसे पहुंचाएगा।

अब बात करें जौनसार बावर और गढ़वाल के उन ख़ास गांव और ग्रामीणों की जहाँ एक रुपये में पानी का कनेक्शन दिया जाना चर्चाओं में है। कई जगह तो निगम की टीमों को बहुत दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है क्योंकि जिन लोगों के पास प्राकृतिक स्रोत से आसानी से पानी उपलब्ध है, वह इस कनेक्शन को लेने में दिलचस्पी नहीं दिखा रहे हैं। जबकि केंद्र सरकार ने लक्ष्य दिया है कि वर्ष 2024 तक गांव-गांव तक पेयजल कनेक्शन पहुंचना चाहिए। लिहाज़ा पहाड़ के ज्यादातर लोग इस योजना से मुंह भी मोड़ रहे हैं।

 

ख़बरों पर यकीन करें तो सुनायी ये भी दे रहा है कि एक रुपये में पानी का कनेक्शन देने की योजना के तहत तमाम गांवों में इस बीच भ्रष्टाचार भी बढ़ने लगा है। ग्रामीणों का कहना है कि उन्हें कनेक्शन तो एक रुपये में दिया जा रहा है लेकिन पानी की लाइन बिछाने के लिए उनसे दो-दो हजार रुपये की मांग की जा रही है। अब ऐसे में पेयजल निगम भी इस तरह की ठगी को रोकने के लिए पूरी निगाह रख रहा है।

 

पेयजल निगम के मुखिया का कहना है कि जल जीवन मिशन के तहत ग्रामीण इलाकों में पानी के कनेक्शन एक रुपये में दिए जा रहे हैं। योजना के पहले चरण में केवल कनेक्शन दिए जा रहे हैं। दूसरे चरण में इन कनेक्शन के हिसाब से एस्टीमेट बनाकर पानी की लाइनें बिछाई जाएंगी। यानि देवभूमि के ग्रामीण इलाकों में अभी न पाइपलाइन है न पानी पहुंचाने की कोई व्यवस्था लेकिन आंकड़ों में बांटे जा रहे हैं लाखों नए कनेक्शन।

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