ग्रामीण आत्मनिर्भरता की मिसाल बना उत्तराखंड, सीएम धामी ने सहकारिता मेला का किया उद्घाटन..
उत्तराखंड: उत्तराखंड के सामने सबसे बड़ी चुनौती पलायन है, जिसे रोकने में सहकारिता की भूमिका बेहद महत्वपूर्ण है। सीएम ने यह बात रेंजर्स मैदान में आयोजित अंतरराष्ट्रीय सहकारिता वर्ष 2025 और उत्तराखंड राज्य स्थापना की रजत जयंती वर्ष के अवसर पर आयोजित सहकारिता मेले के शुभारंभ के दौरान कही। सीएम ने कहा कि सहकारिता मेला केवल उत्पादों के प्रदर्शन तक सीमित नहीं है, बल्कि यह उत्तराखंड की सहकारिता शक्ति, ग्रामीण आत्मनिर्भरता और आत्मसम्मान का सशक्त प्रतीक है। उन्होंने कहा कि आज के प्रतिस्पर्धी युग में सहकारिता की भूमिका और भी अधिक महत्वपूर्ण हो गई है, इसी को ध्यान में रखते हुए संयुक्त राष्ट्र संघ ने वर्ष 2025 को अंतरराष्ट्रीय सहकारिता वर्ष घोषित किया है।
सीएम धामी ने कहा कि उत्तराखंड आज सहकारिता सुधारों के क्षेत्र में देश का अग्रणी राज्य बन चुका है। पूरे देश में बहुउद्देशीय सहकारी समितियों के कंप्यूटरीकरण की शुरुआत उत्तराखंड से हुई। वर्तमान में प्रदेश की सभी 670 सहकारी समितियां पूरी तरह से डिजिटल हो चुकी हैं। उन्होंने कहा कि जहां पहले किसानों को छोटी-छोटी सेवाओं के लिए दफ्तरों के चक्कर काटने पड़ते थे, वहीं अब वे मोबाइल फोन के माध्यम से सभी सहकारी सेवाओं से सीधे जुड़ रहे हैं। यह बदलाव सहकारिता को पारदर्शी, सशक्त और जनोन्मुखी बना रहा है। सीएम ने कहा कि यही कांग्रेस के कागजी मॉडल और भाजपा के जमीनी मॉडल का स्पष्ट अंतर है, जहां सरकार योजनाओं को धरातल पर उतारते हुए आम जनता तक उसका वास्तविक लाभ पहुंचा रही है।
सहकारी समितियां अब केवल ऋण देने तक सीमित नहीं..
सीएम धामी ने कहा कि प्रदेश की सहकारी समितियां अब केवल ऋण वितरण तक सीमित नहीं रह गई हैं, बल्कि वे आम जनता के लिए बहुउपयोगी सेवा केंद्र के रूप में कार्य कर रही हैं। सहकारी समितियों के माध्यम से जहां जन औषधि केंद्रों द्वारा सस्ती दवाइयां उपलब्ध कराई जा रही हैं, वहीं कॉमन सर्विस सेंटर के रूप में बीमा, पेंशन, बिजली बिल भुगतान, आधार और विभिन्न डिजिटल सेवाएं भी प्रदान की जा रही हैं। सीएम ने कहा कि जो सहकारी संस्थाएं कभी बोझ के रूप में देखी जाती थीं, वे आज जनता के लिए सुविधा और विश्वास का केंद्र बन चुकी हैं। इसका प्रत्यक्ष प्रमाण सहकारी बैंकों में जमा हो रही हजारों करोड़ रुपये की पूंजी है, जो लोगों के बढ़ते भरोसे को दर्शाती है। सीएम धामी ने कहा कि भाजपा सरकार ने सहकारिता के माध्यम से ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में ठोस कदम उठाए हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस ने महिलाओं को केवल नारे दिए, जबकि भाजपा सरकार ने उन्हें आगे बढ़ने के वास्तविक अवसर प्रदान किए हैं।
सहकारिता मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने कहा कि राज्य सरकार महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने के लिए नई ऋण योजनाएं लागू करने जा रही है। उन्होंने कहा कि एकल महिला समूहों और स्वयं सहायता समूहों से जुड़ी महिलाओं को नए वर्ष से बिना किसी गारंटर के 21 हजार रुपये से लेकर एक लाख रुपये तक का ऋण उपलब्ध कराया जाएगा। सहकारिता मंत्री ने कहा कि महिलाओं को तीर्थाटन के लिए भी विशेष सुविधा दी जाएगी, जिसके तहत उन्हें दो लाख रुपये तक का ऋण कम ब्याज दर पर प्रदान किया जाएगा। इसके साथ ही स्वरोजगार से जुड़ी महिलाओं के लिए अल्पकालिक ऋण योजना भी लागू की जा रही है। उन्होंने कहा कि सब्जी की ठेली लगाने या अन्य छोटे स्तर पर स्वरोजगार कर रही महिलाओं को एक से तीन दिन की अवधि के लिए मात्र आधा या एक प्रतिशत ब्याज दर पर ऋण दिया जाएगा, ताकि वे बिना आर्थिक दबाव के अपने व्यवसाय को आगे बढ़ा सकें। डॉ. धन सिंह रावत ने कहा कि सरकार का उद्देश्य महिलाओं को केवल योजनाओं से जोड़ना नहीं, बल्कि उन्हें आत्मनिर्भर बनाकर आर्थिक मुख्यधारा में शामिल करना है। यह कदम सहकारिता के माध्यम से महिला सशक्तिकरण को नई दिशा देगा।